scriptरिटायर्ड भृत्य की डीएफओ कार्यालय परिसर में हार्ट अटैक से मौत | Retired peon dies of heart attack in DFO office premises | Patrika News

रिटायर्ड भृत्य की डीएफओ कार्यालय परिसर में हार्ट अटैक से मौत

locationमोरेनाPublished: Jun 19, 2021 12:34:05 am

Submitted by:

rishi jaiswal

पेंशन व क्लेंम के लिए साढ़े पांच महीने से कार्यालय के लगा रहा था चक्कर
 
 

रिटायर्ड भृत्य की डीएफओ कार्यालय परिसर में हार्ट अटैक से मौत

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मुरैना. साढ़े पांच महीने से पेंशन व क्लेंम के लिए डीएफओ कार्यालय के चक्कर लगा रहे भृत्य की शुक्रवार की शाम हार्ट अटैक से मौत हो गई। भृत्य वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों से प्रताडि़त था। डीएफओ कार्यालय परिसर में स्थित सरकारी आवास को खाली करने के लिए विभाग का उसके ऊपर दबाव था। बड़े बाबू ने कहा था कि सरकारी आवास खाली करो तब पेंशन मिलेगी। वहीं डीएफओ से मिलने पर उन्होंने भी कहा कि अगर आवास खाली नहीं किया तो सात हजार रुपए महीना किराए देना होगा।
जानकारी के अनुसार ओमप्रकाश शाडिल जो कि डीएफओ कार्यालय में भृत्य थे। यह 31 दिसंबर 2020 को रिटायर्ड हो गए थे। इनका आवास डीएफओ परिसर में ही है। शासन के नियमानुसार सरकारी कर्मचारी के रिटायर्ड होते ही उसी दिन पेंशन व क्लेंम संबंधी जो भी प्रकरण में उनका निपटारा हो जाना चाहिए लेकिन वन विभाग कुछ अधिकारी कर्मचारियों की मनमानी व लापरवाही के चलते न ओमप्रकाश को पेंशन मिली और न क्लेम मिले। उनके बेटे तरुण शाडिल का कहना हें कि पापा 31 दिसंबर को रिटायर्ड हो गए थे लेकिन अभी तक न तो उनकी पेंशन दी गई और न उनके क्लेमों के भुगतान किए गए हैं। वहीं आवास खाली करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।
लॉक डाउन के चलते हम सरकारी आवास खाली नहीं कर सके। जब डीएफओ से भी मिले तो उन्होंने भी कहा अगर आवास खाली नहीं किया तो सात हजार रुपए महीना किराए देना होगा। टूटे फूटे आवास के सात हजार रुपए विभाग द्वारा मांगे जा रहे, यह समझ से परे है। बेटे तरुण ने कहा कि पापा को विभागीय लोगों द्वारा आए दिन प्रताडि़त किया जा रहा था इसलिए वह परेशान रहते थे। शनिवार की शाम उनको अटैक पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। विभागीय प्रताडऩा के चलते हुई ओमप्रकाश की मौत के बाद तीन बेटी व एक बेटा के सिर से पिता का साया उठ गया। बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है उसके बाद बेटा और उससे छोटी दो बिटियां हैं। पिता के अचानक उनके बीच से चले जाने पर उनका रो रोकर बुरा हाल था। वन विभाग की महिला कर्मचारियों ने रोती बिलखती बच्चियों को दिलासा दिलाई।
दो दर्जन कर्मचारियों के लटके हैं भुगतान

विभागीय प्रताडऩा के चलते हुई ओमप्रकाश की मौत के बाद तीन बेटी व एक बेटा के सिर से पिता का साया उठ गया। बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है उसके बाद बेटा और दो बिटियां हैं। एक बेटी शादी लायक है, उसके लिए घरर देख रहे थे। लेकिन अभी तक संबंध तय नहीं हो सका था। पिता के अचानक उनके बीच से चले जाने पर उनका रो रोकर बुरा हाल था। वन विभाग की महिला कर्मचारियों ने रोती बिलखती बच्चियों को दिलासा दिलाई और उनको सीने से लगाकर काफी समझाया। वन विभाग में ओमप्रकाश जैसे करीब दो दर्जन कर्मचारी और हैं जिनकेभुगतान लटके हुए हैं। वाहन चालक मुरारी एक साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं, अभी तक उनके पेंशन प्रकरण व देयकों का भुगतान नहीं हुआ। रामनिवास दण्डौतिया जून 2020 में रिटायर हुए थे। आज तक वह भी पेंशन व देयकों के लिए भटक रहे हैं। राजेन्द्र प्रसाद कटारे भी एक माह से पेंशन व देयकों के लिए भटक रहे हैं।
मेरे ज्वॉइनिंग के बाद ओमप्रकाश की पेंशन व क्लेम की फाइल मेरे यहां तक नहीं आई है। किस कर्मचारी ने गड़बड़ की है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ओमप्रकाश का काम काफी अच्छा था इसलिए संविदा पर दोबारा रखने के लिए मैंने तो प्रस्ताव भी भेजा था। किराए को लेकर भी मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है जिससे उनको आघात पहुंचा हो।

अमित निकम, डीएफओ

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