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मोरेना

पहले से नहीं थी व्यवस्था, जनसुनवाई में पहुंचे सैकड़ों लोग, न निराकरण हुआ न सुनवाई

लोग पहुंचे तो आवेदन लेकर लौटाया घर

मोरेनाAug 11, 2020 / 11:58 pm

rishi jaiswal

पहले से नहीं थी व्यवस्था, जनसुनवाई में पहुंचे सैकड़ों लोग, न निराकरण हुआ न सुनवाई

पहले से नहीं थी व्यवस्था, जनसुनवाई में पहुंचे सैकड़ों लोग, न निराकरण हुआ न सुनवाई

मुरैना. कोरोनाकाल में बंद आर्थिक, सामाजिक, प्रशासनिक गतिविधियां पर पटरी पर आ रही हैं। जनसुनवाई को लेकर अब भी अनिश्चय की स्थिति बनी हुई हुई है। लॉकडाउन की बंदिशों के बीच वैसे तो लोग कलेक्ट्रेट भी कम ही आ रहे थे, लेकिन सोमवार से बाजार सामान्य स्थिति में खोलने के आदेश के बाद मंगलवार को जनसुनवाई के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। यहां कोई व्यवस्था नहीं थी।
कलेक्ट्रेट में जब भीड़ बढऩे लगी तो अपर कलेक्टर एसके मिश्रा ने लोगों के आवेदन लेने का प्रयास किया। लेेकिन कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते व्यवस्थित जन सुनवाई नहीं हो पाई। कई लोगों के आवेदन ले लिए गए लेकिन उनका कोई लेखाजोखा नहीं किया गया। जन सुनवाई के नाम पर करीब 200 लोग कलेक्टे्रट पहुंचे, लेकिन वहां बताया गया कि कलेक्टर नवीन कार्यालय भवन परिसर में पौधरोपण कर रही हैं। ऐसे में एक बार तो यह स्थिति बनी कि किसी का आवेदन ही नहीं लिया जा रहा था। बाद में अपर कलेक्टर ने आवेदन लिए। इस काम में सहयोग के लिए अपने अंगरक्षक व अन्य कर्मचारियों को भी लगाया। इसके बावजूद सभी लोगों के आवेदन भी नहीं लिए जा सके और जब लगा कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का उल्लंघन हो सकता है तो लोगों को कलेक्टर कार्यालय परिसर से बाहर किया गया। व्यवस्थाएं बिगड़तीं दिखीं तो अधिकारी एक-दो बार तल्ख भी दिखे। जौरा से आए अंकित ने बताया कि सरकारी जमीन पर कब्जे की एक शिकायत में कोई कार्रवाई नहीं हो रही। मार्च से ही लॉकडाउन के चलते सुनवाई नहीं हो रही थी। आज लगा अधिकारी सुनवाई करेंगे लेकिन यहां तो आवेदन भी नहीं दे पाए। बानमोर से आए कुबेर सिंह का कहना था कि अब बाजार, होटल-ढाबे, दफ्तर, बैंक सब कुछ सामान्य हो गए हैं तो अधिकारी जन सुनवाई भी शुरू करवाएं। छोटी-मोटी हजारों समस्याएं लोगों के पास जमा हैं। इनके निराकरण की पहल तक नहीं हो पा रही है। लोगों के आवेदन तो लिए जा रहे हैं, लेकिन उन पर विधिवत प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है।
फर्जी केसीसी पर कौन करेगा सुनवाई

दिमनी से आए रामप्रताप सिंह ने बताया कि उनके यहां तीन दर्जन से अधिक लोगों की फर्जी केसीसी बना दी गई हैं। कुछ लोगों ने अपनी पत्नी के नाम से फर्जी केसीसी बनवाकर करीब दो लाख रुपए लोन के नाम पर भी शासन से माफ करवा लिए हैं। ऐसे अनेक मामले हैं। गांव मे कई लोगों की फर्जी केसीसी बनाई गई हैं। इसके पहले भी आवेदन दिए जा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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