पलंग पर सड़ता रहा युवक का शव, पड़े कीड़े
– जिला अस्पताल में मानवता हुई शर्मसार, इलाज के साथ साथ मरीजों की देखभाल पर उठे सवाल
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मुरैना. जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड में इलाज के दौरान एक युवक की मौत हो गई और अस्पताल के स्टाफ को पता ही नहीं था कि उसकी मौत कब हुई। उसके शरीर के पिछले हिस्से में कीड़े पड़ गए और उसमें से दुर्गंध आने लगी तब वार्ड में भर्ती अन्य मरीज के अटेंडरों ने नर्सिंग स्टाफ केा सूचना की। उसके बाद बॉडी को पलंग से हटाया गया। जिला अस्पताल का यह घटनाक्रम मानवता को शर्मशार करने वाला है।
मृतक का पहले लावारिस हालत में इलाज चल रहा था लेकिन बाद में उसकी देवेन्द्र (३५) पुत्र रामबाबू वर्मा निवासी फिरोजाबाद उप्र हाल गणेश पुरा मुरैना के रूप में उसकी पहचान हुई है। गणेश पुरा में उसकी बहन आरती पत्नी जितेन्द्र सोनी रहती हैं, उसके यहां आना जाना था और शहर के होटलों पर काम करता था। पैर से विकलांग था। कुछ समय से बीमार चल रहा था। ३१ जुलाई को कोई इसको जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड में भर्ती करा गया था। तभी से इसका इलाज लावारिसी में चल रहा था। जिला अस्पताल में पर्याप्त सफाईकर्मी, वार्ड ब्यॉय हैं उसके बाद भी उसकी सफाई नहीं की गई इसलिए उसके पिछले हिस्से में घाव हो गया और उसमें कीड़े पड़ गए। उसकी पलंग पर मौत हो गई कब हो गई इसकी जानकारी नर्सिंग स्टाफ को भी नहीं हैं। बॉडी में दुर्गंध आने लगी तब वार्ड में भर्ती अन्य मरीज के अटेंडरों ने नर्सिंग स्टाफ को बताया तब उसका वार्ड से बाहर ले जाया गया। इसमें अस्पताल प्रबंधन के साथ साथ हर स्टाफ कहीं न कहीं दोषी है जो लावारिस मरीज के प्रति लापरवाह रहे। यह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना हैं कि एक मरीज की पलंग पर मौत हो जाती है और उसमें कीड़े पडऩा और फिर दुर्गंध आना। इससे तो इलाज पर भी सवाल उठ रहे हैं। अस्पताल के स्टाफ केा पता था कि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है तो उसकी साफ सफाई के लिए एक कर्मचारी क्यों नहीं लगाया गया। अगर उसका चेकअप हुआ या नहीं हुआ वह तो छोड़ो लेकिन उसको पानी भी कोई पूछता रहता तो पता चल जाता कि उसकी मौत कब हुई है। लावारिस मरीजों के साथ जिला अस्पताल में यह भद्दा मजाक किया गया, इसकी जांच के बाद दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होना चाहिए।
मर्ची होम के लिए किया गया था रेफर
नर्सिंग स्टाफ का कहना हैं कि उक्त मरीज की हालत के बारे में हमने सिविल सर्जन को अवगत कराया था और पांच अगस्त को मर्ची होम ग्वालियर के लिए रेफर भी किया था। उसका पत्र सिविल सर्जन को भेजा गया था लेकिन अब सिविल सर्जन पल्ला झाड़ रहे हैं कि उनको कोई जानकारी नहीं थीं।
कथन
– मृत व्यक्ति लावारिस था। उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। पुलिस को सूचना कर दी गई थी लेकिन पुलिस उसके परिजन को नहीं ढूंड़ सकी। वह मानसिक रोगी था और उसको दस्त भी लग रहे थे। डॉ. नागेन्द्र ऋषीश्वर उसका इलाज कर रहे थे। शुक्रवार की सुबह आठ बजे उसकी मौत हुई है। अब उसके परिजन आ गए हैं।
डॉ. अशोक गुप्ता, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
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