नलकेश्वर महादेव पर अवशेष आज भी मौजूद
मृगनयनी के लिए राजा मानसिंह जौरा के पास नलकेश्वर महादेव मंदिर के पहाड़ पर स्थित झरने का पानी गुजरी महल तक ले गए थे। इसके लिए भूमिगत पाइप लाइनें बिछाई गई थीं। इन दावों को पुष्ट करतीं नल जल की जर्जर पाइप लाइन के अवशेष मंदिर परिसर के आस पास अब भी मौजूद हैं। जौरा से 30 किमी घने जंगल में लखनपुर वन चौकी से 7 किमी दूर स्थित द्वापर कालीन नलकेश्वर महादेव मंदिर की पहाड़ी पर सदियों से प्राकृतिक झरना बह रहा है। गांव सरगाम की रहने वाली मृगनयनी (घरेलू नाम निन्नी) और सहेली लक्खी पानी भरने आई थीं। पानी भरकर चली तो रास्ते में दो सांड़ लड़ गए। मृगनयनी ने दोनोंं सांड़ों को हाथों से पकडकऱ अलग कर दिया। राजा मान सिंह ये देख रहे थे। राजा मृगनयनी की बहादुरी से इतने प्रभावित हुए कि मृगनयनी के परिजनों के समक्ष शादी का प्रस्ताव रख दिया। बताते हैं, राजा के यहां से साधारण परिवार की बेटी के लिए रिश्ते पर परिजन तो मान गए, लेकिन मृगनयनी ने मानसिंह के सामने शादी के लिए तीन शर्तें रख दीं। राजा ने तीनों ही शर्तें मान ली थीं।
ये रखी थीं शर्तें
पहली शर्त यही रखी कि नलकेश्वर महादेव मंदिर की पहाड़ी से बह रहे प्राकृतिक झरने का पानी उनके लिए उपलब्ध होना चाहिए।
दूसरी शर्त थी कि उनके लिए अलग से महल बनवाया जाए
तीसरी शर्त में मृगनयनी ने कहा, उनके खेलने के लिए महल में व्यवस्था होनी चाहिए।
ऋषि गालव लेकर आए थे गंगा
मान्यता है, नलकेश्वर महादेव मंदिर के आसपास पानी नहीं था। यहां ऋषि गालव तपस्या करने पहुंच गए। जब वहां पानी की समस्या देखी तो तप बल से वे गंगा को यहां लेकर आए और पहाड़ में उसे समाहित कर दिया। बाद में यहां एक गोमुख का निर्माण किया।
पहाड़ से निकलता है गंगाजल
ऋषि गालव ने यहां तपस्या की, कई दिनों तक पानी नहीं मिला तो उन्होंने गंगा मैया से निवेदन किया। तब से ही गंगा का जल यहां प्रवाहित है। यहां मंदिर का निर्माण महंत शिवगिरि ने कराया।
बहादुर गिरि, महंत नलकेश्वर महादेव मंदिर