टिड्डी दल के आने पर लोगों ने अपने स्तर पर ही शोरगुल कर उसे भगाने का प्रयास किया। कृषि अधिकारियों का कहना है कि दिन में तो यह उड़ता ही रहता है। रात को जहां विश्राम करता है वहां अंडे भी देता है और हरियाली को भी नष्ट कर देता है। सहायक संचालक कृषि बीडी नरवरिया के अनुसार शुक्रवार की रात को टिड्डी दल को पहाडग़ढ़ में घसटुआ के जंगल में छोड़ा था। शनिवार को सुबह यह उडक़र नूरपुर, सुमावली, निटेहरा होते हुए मुरैना शहर में जौरा रोड से प्रवेश किया। यहां से केएस मिल, अंबाह बाईपास, लालौर व इमलिया होते हुए दिमनी के लहर-जखौना की ओर चला गया है।
ज्यादा ऊंचाई पर होने से यह दल तेजी से उड़ रहा है। इसके शाम तक चंबल की ओर या भिण्ड की सीमा में पहुंचने की उम्मीद है। दूसरा दल पहाडग़ढ़ के हुसैनपुर से चंबल की ओर मुड़ गया है। इस दल ने चिन्नौनी और उसके आसपास के गांवों में खरीफ की अरहर फसल के अंकुरित पौधों पर हमला कर बहुत नुकसान पहुंचाया है। कृषि विभाग का मैदानी अमला पहाडग़ढ़, जौरा क्षेत्र में दो दिन से टिड्डियों से बचाव के उपाय ग्रामीणों को बता रहा है। शहर में बाईपास स्थित कुछ कारखानों में टिड्डी दल की वजह से अफरा-तफरी मच गई। हालांकि शोरगुल की वजह से टिड्डी दल आगे बढ़ गया।
टिड्डियों के दो दलों ने शुक्रवार को जिले में प्रवेश किया था। इन दोनों दलों की लंबाई करीब एक से डेढ़ किलोमीटर है। जबकि चौड़ाई 500 मीटर से 1000 मीटर तक है। सहायक संचालक कृषि नरवरिया के अनुसार अभी ज्यादा फसलें नहीं होने से नुकसान भी कम है। उम्मीद है कि यह दल जिले से ज्यादा नुकसान किए बिना ही निकल जाएगा। लेेकिन रात को पता लगाया जाएगा कि इसकी वास्तविक स्थिति क्या है। यदि जिले में इसकी उपस्थिति मिली तो कीटनाशक छिडक़वाकर नष्ट कराने का प्रयास करेंगे।
उधर टिड्डी दल ने सुमावली के बड़ोना, हथरिया, नूरपुर, गदालपुरा, चंदपुरा, इटावली, लोहबसई आदि गांवों में टिड्डीदल ने हमला किया। यहां अरहर, सब्जी की फसल को नष्ट कर दिया। किसानों ने टिड्डी दल को भगाने के लिए बंदूक से हवाई फायर भी किए। वहीं अंबाह के सबसुखकापुरा में भी टिड्डीदल ने हमला कर दिया।