खुलेआम निकल रहे वन नाके से रेत से भरे टै्रक्टर-ट्रॉली
मोरेनाPublished: May 13, 2020 08:52:19 pm
– रेत माफिया का खौफ इसलिए नहीं रोकते नाके पर टै्रक्टर ट्रॉलियों को- एसएएफ की एक पूरी बटालियन फिर भी माफिया हावी
खुलेआम निकल रहे वन नाके से रेत से भरे टै्रक्टर-ट्रॉली
मुरैना. वन विभाग ने रेंज कार्यालय के सामने हाइवे पर नाका स्थापित किया है। उस पर एसएएफ का फोर्स भी तैनात रहता है लेकिन पिछले कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है कि नाका खत्म ही कर दिया हो, क्योंकि यहां से रात तो छोडि़ए दिन दहाड़े रेत से भरे सैकड़ों टै्रक्टर-ट्रॉली लाइन लगाकर निकल रहे हैं। वन विभाग और एसएएफ अपनी नौकरी पका रहे हैं। वहीं अगर वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो माफिया के खौफ से अपनी जान बचाकर ड्यूटी कर रहे हैं। वन विभाग के पास एसएएफ की बटालियन हैं लेकिन वह भी माफिया के सामने कमजोर पड़ रही है।
मुरैना के इतिहास में पहली बार देखने को मिला है कि वन नाके पर स्टाफ तैनात है और रेत से लदे टै्रक्टर ट्रॉलियां खुलेआम निकल रहे हैं। यहां रुकें तो तब जब रोकने का प्रयास किया जाए। इन दिनों तो रोकने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है। वहीं वन विभाग के नाके पर तैनात कुछ अधिकारी कर्मचारियों का कहना हैं कि संसाधन और पुलिस फोर्स के न होने से कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। रेत माफिया सीधे टै्रक्टर ट्रॉली ऊपर चढ़ाने का प्रयास करता है ऐसी स्थिति में अपनी जान कौैन गंवाए। हालांकि रोकने का प्रयास किया जाता है लेकिन माफिया के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित होकर आते हैं इसलिए उनका सामना नहीं कर पाते। वन नाके से रात दिन में चंबल रेत से लदे सैकड़ों टै्रक्टर ट्रॉली निकल रहे हैं लेकिन कोई रोक टोक नहीं की जा रही। वन विभाग की कार्रवाई भगवान भरोसे चल रही हैं। यहां वर्तमान डीएफओ जब से आए हंै, वह मुरैना में अपनी उपस्थिति तक दर्ज नहीं करा सकें। वहीं एसडीओ फोरेस्ट का भी कोई अता पता नहीं रहता। इसके चलते निचला स्टाफ डर डर के काम कर रहा है।
टै्रक्टर निकल रहे हैं तो क्या अपनी जान दे दें
वन नाके के शिफ्ट प्रभारी डिप्टी रेंजर शिव सागर गौतम से बात की तो उन्होंने झुंझलाहट भरे शब्दों में कहा कि वन नाके से रेत से भरे टै्रक्टर ट्रॉली निकल रहे हैं तो क्या करें, अपनी जान दे दें। खूब रोकते हैं जहां तक हमारी बनती हैं रोकते हैं। वह मरने मारने पर उतारू हैं।
मेरे ऊपर टै्रक्टर चढ़ाने का किया प्रयास
रेंजर व नाका प्रभारी एम के कुलश्रेष्ठ ने बताया कि रेत माफिया के सपोॢटंग वाले बहुत रहते हैं, हमारे पास तो सिर्फ सात का स्टाफ रहता है। बुधवार की सुबह करीब साढ़े चार बजे जब रेत के टै्रक्टर ट्रॉली को रोका तो मेरे ऊपर चढ़ाने का प्रयास किया। वह तो मैं पीछा हट गया नहीं तो कुछ भी कर सकता था। मैं सिविल लाइन थाना व आर आई को पत्र लिख रहा हूं सुबह के लिए करीब १५ पुलिस जवान दें दे तो रेत के टै्रक्टर ट्रॉलियों को रोका जा सकता है।