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स्वाधार गृह से भागी दो किशोरियां, पुलिस में की रिपोर्ट

locationमोरेनाPublished: Dec 07, 2021 09:22:52 pm

Submitted by:

Ashok Sharma

– गृह में रखे चाबियों के गुच्छे से चाबी निकाली और ताला खोलकर निकल गई बाहर- सुरक्षा में बड़ी चूक, सोता रह गया स्टाफ

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मुरैना. नगर निगम के वार्ड क्रमांक दो बड़ोखर स्थित स्वाधार गृह से सोमवार मंगलवार की दरम्यानी रात दो किशोरियां भाग गई। गृह में पदस्थ स्टाफ की लापरवाही है कि चाबी के गुच्छे को खुले में छोड़ दिया। गृह के स्टाफ को सुबह पता चला तब हडकंप मच गया और तुरंत प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी महेन्द्र अंब ने गृह का निरीक्षण किया और संचालक को पुलिस थाने में आवेदन देने के लिए निर्देशित किया। गृह की संचालक द्वारा स्टेशन रोड थाने में आवेदन दिया है। उसमें सुबह चार बजे भागना बताया गया है।
यहां बता दें कि म प्र महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित स्वाधार योजना अंतर्गत गृह में १८ की उम्र से लेकर ऊपर तक की महिलाओं को रखा जाता है। इसका संचालन महात्मा शिक्षा प्रसार समिति सबलगढ़ द्वारा संचालन किया जा रहा है। शासन द्वारा बड़ी मात्रा में इस गृह के संचालन पर राशि दी जाती है उसके बाद भी यहां सुरक्षा व्यवस्था सहित अन्य कमियां व्याप्त हैं। दो किशोरियां भागी हैं, वह एक बानमोर और एक भिंड की रहने वाली है। इनमें से एक जुलाई और दूसरी सितंबर में गृह में आई थीं। खबर है कि रात को गृह में चौकीदार सो गया था इसी दौरान किशोरियों ने वहां रखे चाबियों के गुच्छे से मुख्य गेट की चाबी निकाली और ताला खोलकर भाग गई। यह गंभीर लापरवाही है अगर चौकीदार व स्टाफ अलर्ट रहता तो यह किशोरियां नहीं भागतीं। इस गृह में १८ साल से ऊपर की महिलाएं रहती हैं। लेकिन इन दोनों किशोरियों को बाल कल्याण समिति ने भेजा था इसलिए यहां रखा गया।

दो बाल गृह में से एक को बनाया जा सकता है बालिका गृह ……….
महिला बाल विकास विभाग द्वारा शहर में दो बाल गृह संचालित किए जा रहे हैं। जिनकें शासन का लाखों रुपए खर्च किया जा रहा है। जबकि एक बाल गृह में तो सिर्फ दो तीन बच्चे ही हैं। इनमें से एक को बालिका गृह बनाया जा सकता है लेकिन विभाग ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए।

बाल कल्याण समिति के निर्णय पर सवाल!…………
नियमानुसार ऐसी नाबालिग व बालिग लडक़ी, महिलाएं जिनको परिजन नहीं रखना चाहते, उनको पहले वन स्टॉप सेंटर में भेजा जाता है। वहां चार पांच दिन तक रखने का प्रावधान है। वहां काउंसलिंग के बाद जब उनके घर जाने की स्थिति नहीं बनती है तब नाबालिग लडक़ी को बालिका गृह भेजा जाता है और महिलाओं को स्वाधार गृह भेजा जाता है। लेकिन यहां बाल कल्याण समिति ने जुलाई और सितंबर में अलग अलग निर्णय जारी कर दो नाबालिगों को स्वाधार गृह भेजा गया।
बाल कल्याण समिति द्वारा स्वाधार गृह जिसमें बालिग होने पर महिलाओं को रखा जाता है, वहां नाबालिग लड़कियों को भेजना समिति के निर्णय पर सवाल उठ रहे हैं।

संचालक को नहीं पता, गृह में कितनी महिलाएं……..
स्वाधार गृह म प्र महिला बाल विकास विभाग के सहयोग से जिस संस्था के तहत संचालित किया जा रहा है। उसके संचालक बी एल शर्मा को यह नहीं पता कि गृह में कितनी महिलाएं तो ऐसे लापरवाह व्यक्ति को स्वाधार गृह जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी कैसे दे दी गई। खबर तो यह है कि गृह में शासन के मापदंड के अनुसार उसमें रह रही महिलाओं को सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। जबकि शासन से बड़े स्तर पर राशि दी जा रही है जिसे संस्था के लोग डकार जाते हैं।

प्रवेश प्रतिबंधित, फिर भी रहते हैं गृह के अंदर पुरुष …….
शासन के ऐसे निर्देश हैं कि स्वाधार गृह में पुरुष कर्मचारी पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। उसके बाद भी एनजीओ की तरफ से कुछ पुरुष गृह में अंदर रुकते हैं। किसी दिन कोई ऊंच नीच हो गया तो विभाग के साथ साथ जिला प्रशासन को भी जवाब देते नहीं बनेगा। प्रदेश में स्थित अन्य गृहों में पूर्व में महिलाओं के साथ ज्यादती की वारदात हो चुकी हैं इसलिए संस्था के स्टाफ व प्रशासन को अलर्ट रहना होगा।

कथन
– लड़कियां कम उम्र की थीं। इनको स्वाधार गृह में नहीं रखा जा सकता चूंकि बाल कल्याण समिति ने आगामी व्यवस्था तक रखने को बोला था इसलिए उनका रखा गया। रात को गुच्छे से चाबी निकालकर मुख्य गेट का ताला खोला और दोनों भाग गई। हालांकि ग्वालियर में एक होटल पर मिल गई हैं। पुलिस उनको मुरैना लेकर आ रही हैं।
बी एल शर्मा, संचालक, स्वाधार गृह
– सीडब्ल्यूसी से यह कहना हैं कि ऐसे केस को स्वाधार गृह नहीं भेजे, बाल गृह में ही भेजना हैं। हालांकि लड़कियां ग्वालियर में मिल गई हैं।
महेन्द्र अंब, प्रभारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास
– ग्वालियर चंबल संभाग में एक भी बालिका गृह नहीं हैं। मुरैना में दो बाल गृह संचालित हैं लेकिन उनमें दस साल से बड़ी उम्र की लड़कियों को नहीं रखा जा सकता। चूंकि दोनों लड़कियों का अभी न्यायालय में केस चल रहा है इसलिए बार बार भोपाल से पेशी पर आने में परेशानी होती इसलिए स्वाधार गृह भेज दिया था।
आलोक राजावत, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति, मुरैना
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