वर्ष 2007 में इस शिवलिंग को ग्राम पंचायत ऐंती के जंगलों में तस्करों से छुड़ाया गया था। शिवलिंग का सबसे निचला हिस्सा चतुष्कोणीय है। इसे चतुर्भुज भगवान ब्रह्मा का स्वरूप माना गया है। इसके ऊपर चारों कोनों पर पूजा के बाद दीपक रखने के लिए स्थान बने हुए हैं। इसके बाद अष्टकोणीय आकार है, जिसे भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है। अष्टभुजाधारी विष्णु की पूजा सृष्टि के पालनहार के तौर पर की जाती है। सबसे ऊपर शिवलिंग का आकार है जो भगवान शिव का स्वरूप है। इसकी चोटी पर अर्ध चंद्र बना हुआ है, जो इस शिवलिंग की विशेषता बढ़ाता है। पुरातत्वविदों ने इस शिवलिंग को 10वीं सदी के अंत या 11वीं सदी के प्रारंभ का माना है।
आठ फीट के करीब है शिवलिंग की ऊंचाई तस्करों से छुड़ाए गए इस शिवलिंग की ऊंचाई करीब आठ फीट है। दो फीट तक जमीन में दबा होने के बावजूद करीब छह फीट ऊपर दिखता है। लोगों को इसके चमत्कारी होने का आभास है। इसीलिए सावान के सोमवार, महाशिवरात्रि और खास मौकों पर विशेष अनुमति से यहां पूजा-अर्चना करने लोग आते हैं। शिवलिंग का वजन 20 क्विंटल के करीब बताया जाता है।
गोली चली थी शिवलिंग की बरामदगी के समय चमत्कारी शिवलिंग के तस्करों द्वारा ले जाने की खबर मिलने पर तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी, एसपी हरी सिंह यादव के अलावा वन और पुरातत्व विभाग की टीम ने घेराबंदी की थी। तस्करों को इसका आभास हुआ तो उन्होंने गोलियां चलाना शुरू कर दीं और मौके से भाग गए। जिला पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा के अनुसार तस्करों ने वाहन लगाने के लिए चबूतरा बना लिया था और उस पर शिवलिंग को रख लिया था। मौका मिलते ही वे वाहन में लादकर इसे अंतर्राष्ट्रीय मूर्ति बाजार में ले जाकर बेच देते। लेकिन प्रशासन की सजगता से ऐसा नहीं हो सका। बरामद करने के बाद इसे मुरैना तक लाने में करीब 15 का समय लगा। इस दौरान भी तस्करों ने इसे ले जाने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सके।