script2 से 8 साल के बच्चों की बिगड़ी तबियत, उल्टी-दस्त से शरीर में नहीं बची जान | Vomiting diarrhea in 24 children aged 2 to 8 years | Patrika News

2 से 8 साल के बच्चों की बिगड़ी तबियत, उल्टी-दस्त से शरीर में नहीं बची जान

locationमोरेनाPublished: May 13, 2022 08:18:53 am

Submitted by:

Subodh Tripathi

गर्मी के मौसम में बच्चों ने पक्का भोजन खाया और इसके बाद धूप में खेलने चले गए, इस कारण करीब दो दर्जन यानी 24 से अधिक बच्चों की तबियत खराब हो गई.

2 से 8 साल के बच्चों की बिगड़ी तबियत, उल्टी-दस्त से शरीर में नहीं बची जान

2 से 8 साल के बच्चों की बिगड़ी तबियत, उल्टी-दस्त से शरीर में नहीं बची जान

सबलगढ़/मुरैना. गर्मी के मौसम में बच्चों ने पक्का भोजन खाया और इसके बाद धूप में खेलने चले गए, इस कारण करीब दो दर्जन यानी 24 से अधिक बच्चों की तबियत खराब हो गई, उन्हें उल्टी, दस्त की समस्या होने से उनकी शरीर काफी कमजोर पड़ गया, शरीर से पानी निकाल जाने के कारण उनमें जान नहीं बची, ऐसे में अस्पताल में उपचार देने के बाद हालात में कुछ सुधार बताया जा रहा है।

सबलगढ़ तहसील क्षेत्र के चार गांवों में बच्चों में हैजा और डायरिया की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा है। एक महिला व दो बच्चों की हालत ज्यादा खराब होने पर उन्हें जिला अस्पताल रात में ले जाया गया। बच्चों में ज्यादातर दो से आठ वर्ष तक के हैं। इन बच्चों की तबियत रात में खराब होने पर परिजन सीधे सिविल अस्पताल सबलगढ़ लेकर पहुंचे। उपचार के बाद राहत है।

जानकारी के अनुसार ग्राम दातेकापुरा, चोखपुरा, हबुआपुरा, मूल चंद का पुरा एवं समाकापुरा में 25 बच्चों की तबियत बुधवार-गुरुवार की रात अचानक खराब हो गई। उल्टी और दस्त से पीडि़त इन बच्चों को परिजन रात में ही अस्पताल लेकर आए। बीमार बगच्चों में रंजीत पुत्र बंटी, कोमेश पुत्र बंटी, सुमन पुत्री रामखिलाड़ी, अवधेश पुत्र रामसिंह, मेनका पुत्री कैलाशी, लवकुश पुत्र हरिलाल, रवि पुत्र ज्ञान सिंह, पूजा पुत्री रामसिंह, सुहानी पुत्री रामसिंह, स्वार्थी पुत्री विनोद, सोनू पुत्र रामदयाल, लक्ष्मी पुत्री राजू, अंजलि पुत्री राजू, रज्जो पुत्री विष्णु, आसमी पुत्री मेहरबान, भावना पुत्री राजू, आशिक पुत्र रामलखन का उपचार सिविल अस्पताल में किया जा रहा है। जबकि ललिता (7) पुत्री पप्पू एवं करिश्मा (30) पत्नी विजय सिंह केवट, निवासी दाते का पुरा की तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण इनके परिजन इन दोनों को रात में ही मुरैना ले गए। बीमार ज्यादातर बच्चे और महिलाएं केवट समुदाय से हैं।

अस्पताल में मिली अव्यवस्थाएं
सिविल अस्पताल में जब एक साथ दो दर्जन मरीज आ गए तो अव्यवस्थाएं फैल गईं। जिस वार्ड में बच्चों का उपचार किया जा रहा था वहां डस्टबिन मरहम-पट्टी के कचरे से भरे थे और बदबू आ रही थी। मरीजों से स्वयं इसकी शिकायत की। जबकि बीएमओ का कहना है कि नपा की कचरा गाड़ी न आने से कचरा नहीं फैंका जा सका।

कथा का प्रसाद खाया और धूप में खेलते रहे
बच्चों के बीमार होने की वजह स्वास्थ्य प्रशासन पास के ही मंदिर पर आयोजित श्रीमद भागवत कथा का प्रसाद (भंडारा) खाने और दिन भर धूप में खेलते रहने से बिगड़ी है। हालांकि उपचार के बाद बच्चों की स्थिति में सुधार है।

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इन गांवों के पास ही एक मंदिर पर श्रीमद भागवत कथा आयोजित की गई थी, समापन पर उसका भंडारा बच्चों और ग्रामीणों ने खाया। दिन भर धूप में भी खेलते रहे, जिससे डायरिया और हैजे के लक्षण दिखे। सबका उपचार किया जा रहा है।
डॉ. राजेश शर्मा, बीएमओ, सबलगढ़

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