दो दिन पूर्व बारिश के बाद तापमान में गिरावट आई है, लेकिन उमस बढऩे से गर्मी से ज्यादा राहत नहीं मिली है। लोगों का मानना है कि अब एक तेज बारिश होने के बाद कुछ दिन मध्यम बारिश हो तभी मौसम का मिजाज बदलेगा। किसान रतीराम का कहना है कि अभी खेतों में खाद-बीज डालने की स्थिति नहीं बनी है। 25-30 एमएम तक और बारिश होने के बाद ही बोवनी का काम गति पकड़ सकता है। सामान्य तौर पर 100 एमएम तक बारिश होने के बाद खरीफ फसलों की बोवनी के लिए खेतों को उपयुक्त माना जाता है। अधीक्षक भू अभिलेख कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 26 जून की स्थिति में जिले में 72.9 एमएम बारिश हो चुकी है। बीते साल इसी अवधि में 60.1 एमएम बारिश दर्ज की गई थी। इस साल 12.8 एमएम बारिश अधिक हो चुकी है। शुक्रवार को सुबह आठ बजे की स्थिति में कोई बारिश दर्ज नहीं की गई है। किसान हंसराज सिंह कहते हैं कि बारिश के बाद किसानों ने अपने खेतों को तो तैयार कर लिया है। एक बार भराव वाल बरसात हो जाए तो बोवनी का काम भी गति पकड़ जाएगा।
बाजरे की बोवनी किसान बारिश होने के बाद शुरू कर देंगे। जिन किसानों के पास स्वयं के सिंचाई साधन हैं वे अरहर की बोवनी भी कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि किसान खेतों को पूरी तरह तैयार रखें, बारिश के बाद उपयुक्त मौसम होते ही बोवनी करें।