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23 साल बाद चंबल का रौद्र रूप, टापू में तब्दील हुए कई गांव, खतरे के निशान से 140.50 मीटर तक पहुंचा पानी

locationमोरेनाPublished: Aug 18, 2019 08:18:48 am

Submitted by:

Pawan Tiwari

भिंड में 23 साल पहले 1996 में 128.40 मीटर तक पानी बहा था।
कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण मध्यप्रदेश का भिंड और मुरैना में बाढ़ आ गई है।

मुरैना/ भिंड. मध्यप्रदेश में भारी बारिश के कारण कई नादियां उफान पर हैं। मुरैना में चंबल नदी के रौद्र रूप के कारण पुराना पुल डूबने के कगार पर है। चंबल नदी मुरैना में खतरे के निशान के ढाई मीटर ऊपर से बह रही है। भारी बारिश के कारण 89 गांव और 35 गांव में पानी भर गया है। चंबल में बाढ़ का कारण कोटा बैराडज से पानी छोड़े जाने के कारण आई है। वहीं, राजधानी भोपाल में लगतार बारिश का दौर जारी है, जबकि विंध्य क्षेत्र में 4 दिनों से बारिश नहीं होने के कारण तापमान में वृद्धि हो गई है।
140 मीटर पहुंचा जल का स्तर
मुरैना जिले के राजघाट पुल पर चंबल खतरे के निशान से 140.50 मीटर पर बह रही है। चंबल में खतरे का निशान 138 मीटर पर है। ऐसे में चंबल नदी के किनारे बसे करीब 40 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। दूसरी तरफ प्रदेश में भारी बारिश भी हो रही है। 7 गांवों में स्थिति ज्यादा खराब होने के कारण प्रशासन ने रेस्क्यू कर 500 लोगों को सुरक्षित निकाला है।
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भिंड में भी खतरे के निशान के ऊपर चंबल
वहीं, भिंड के बरही पुल में भी चंबल खतरे के निशान के ऊपर से बह रही है। 23 साल पहले 1996 में 128.40 मीटर तक पानी बहा था। यहां खतरे का निशान 122 मीटर पर है।
फसलें खराब
चंबल में बाढ़ के कारण कई गांवों में पानी भर गया है। जिस कारण मुरैना जिले में करीब 10 हजार हैक्टेयर भूमि पर फसल बर्बाद हो गई है। वहीं, भिंड के कई गांवों में पानी भरा है।
लगातार बढ़ रहा है पानी
कोटा बैराज से लगातार छोड़े जा रहे पानी की वजह से चंबल का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि चंबल नदी के किनारे बसे 19 गांव जहां टापू बन गए हैं। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर सिर्फ गांव को जाने वाले रास्तों पर होमगार्ड सैनिक तैनात कर दिए हैं। जबकि गांव के अंदर के हालात जानने और वहां राशन मुहैया कराने के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं किया गया है।

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