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ये कैसा विकास: डिवाइडर की सुंदरता पर खर्च होंगे सवा करोड़, शहर की प्रमुख सडक़ें अधूरीं

– दो दशक पूर्व बने एम एस रोड के डिवाइडर से तीसरी बार की जाएगी तोडफ़ोड़

मोरेनाMar 21, 2024 / 11:33 am

Ashok Sharma

ये कैसा विकास: डिवाइडर की सुंदरता पर खर्च होंगे सवा करोड़, शहर की प्रमुख सडक़ें अधूरीं

मुरैना. नगर निगम ने शहर की एम एस रोड पर बैरियर चौराहे से ओवरब्रिज चौराहे तक बने डिवाइडरों की सुंदरता पर सवा करोड़ रुपए खर्च करने की योजना तैयार की है। जबकि शहर में जल निकासी व अधूरी पड़ी सडक़ों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। जहां विकास की आवश्यकता है, वहां निगम प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।
एम एस रोड पर वर्ष 1996 में डिवाइडर का निर्माण किया गया था। उसके बाद वर्ष 2005- 06 में डिवाइडर तोडकऱ लोहे की रैलिंग लगाई गईं। कुछ समय बाद वह रैलिंग टूटकर सडक़ पर बिखर गई और उनको लोग उठाकर ले गए। उसके बाद सीमेंट से फिर डिवाइडर तैयार किया गया। उसके बाद भी समय समय पर मरम्मत होती रही। इन डिवाइडरों के रख रखाव पर पूर्व में तमाम पैसा खर्च किया जा चुका है। अब फिर से रैलिंग लगाकर सुंदर बनाने के नाम पर सवा करोड़ रुपए खर्च करने की प्लानिंग की गई है। जबकि शहर की कुछ सडक़ों का निर्माण अधूरा पड़ा है और कुछ उखड़ी पड़ी हैं, जल निकासी की शहर की व्यवस्था ध्वस्त पड़ी है, इस पर निगम का फोकस नहीं हैं।
ये सडक़ें पड़ीं अधूरी
शहर की प्रमुख मार्ग में शुमार आमपुरा की सडक़ पिछले कई दिन से अधूरी पड़ी है। यहां ठेकेदार ने एक साइड सीमेंटीकरण कर दिया है, दूसरी साइड छोड़ दी है। इसी तरह मालगोदाम के बगल में शिकारपुर मार्ग की सडक़ को कई महीने हो गए, उसका निर्माण पूरा नहीं हो सका है। इन अधूरी पड़ी सडक़ों पर आए दिन वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं और जाम के हालात निर्मित हो रहे हैं। इसके अलावा शहर की नाला नंबर एक पुराना बस स्टैंड से बाइपास तक तीन करोड़ से सडक़ निर्माण कराई गई थी, वह पूरी तरह उखड़ चुकी है लेकिन निगम प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा। शहर के फाटक बाहर और निगम होने के साथ जुड़ी 12 पंचायतों में जल निकासी की सुविधा नहीं होने से जल भराव की समस्या बनी हुई है।
कथन
– एम एस रोड पर बैरियर से ओवरब्रिज तक डिवाइडरों पर रैलिंग लगाकर सवा करोड़ में सुंदरता लाई जाएगी। अधूरी पड़ी सडक़ों के निर्माण के लिए संबंधित ठेकेदारों को नोटिस जारी किया जाएगा।
देवेन्द्र चौहान, आयुक्त, नगर निगम
ठेकेदारों को जितना पैसा, उतना काम
नगर निगम का ठेकेदारों पर नियंत्रण नहीं हैं। निगम से जितना पैसा ठेकेदारों को जारी कर दिया जाता है, वह उतना काम करके अधूरा छोड़ देते हैं। जबकि इससे पूर्व ये था कि ठेका हो गया, उसके बाद ठेकेदार को पूरा काम कराना ही होता था, भुगतान बाद में निगम से होता था। अधूरी पड़े निर्माण कार्य के लिए निगम चाहे तो संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी कर सकता है लेकिन निगम ने ऐसा कुछ नहीं किया। इसलिए ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं। खबर है कि निगम में निर्माण कार्यों को ठेका कुछ पार्षदों द्वारा स्वयं किया जा रहा है। इसलिए निगम उन पर दबाव नहीं बना पा रहा है।

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