script

स्वच्छता रैंकिंग सुधारने फिर से करेंगे मशक्कत, बढ़ाएंगे ताकत

locationमोरेनाPublished: Aug 20, 2020 11:41:06 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

डोर टू डोर कचरा संग्रहण, गोबर के प्रबंधन और सौंदर्यीकरण में पिछड़े, संसाधनों की कमी भी खली, इन कमियों को दूर करने के लक्ष्य के साथ होगा अब काम

स्वच्छता रैंकिंग सुधारने फिर से करेंगे मशक्कत, बढ़ाएंगे ताकत

स्वच्छता रैंकिंग सुधारने फिर से करेंगे मशक्कत, बढ़ाएंगे ताकत

मुरैना. स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट में नगर निगम ने सीमित संसाधन, सीवर प्रोजेक्ट के खुदाई कार्य सहित तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद 16 पायदान की छलांग लगाई है। बदले हुए फॉर्मेट में हो रहे सर्वे में नगर निगम को साल 2019 में में 190वीं रैंकिंग मिली थी। लेकिन गुरूवार को जारी साल 2020 की रैंकिंग में नगर निगम 174पीं रैंक बनाने में सफल रहा है। यह रैकिंग 150 तक भी आ सकती थी, लेकिन वहां मात खा गए जहां प्रबंधन किया जा सकता था। हालांकि निगम का दावा है कि अगली रैंकिंग में अंडर-50 में जगह बनाने का लक्ष्य लेकर काम करेंगे और किसी भी सूरत में अंडर-100 भीतर ही रहना है। इसके लिए अभी से तैयारियों और प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा। रैकिंग में जहां उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं हो पाया, उन कमियों को दूर किया जाएगा।
नगर निगम को स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान जनता का अभिमत अच्छा मिला। लेकिन डोर टू डोर कचरा संग्रहण की व्यवस्था में नगर निगम उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाया। 25 वाहनों के साथ आधे नगर में नगर निगम और बाकी वार्डों में अनुबंधित कंपनी ईको ग्रीन को यह काम करना था। लेकिन बीच में आयुक्त मूलचंद वर्मा के समय सफाई कर्मियों का वेतन न मिलने से हड़ताल और कचरा संग्रहण के लिए अनुबंधित कंपनी ईको ग्रीन से विवाद के चलते अनुबंध समाप्त होने से निगम कचरा संग्रहण में पिछड गया। जब सर्वे टीम आई तब अनुबंधित कंपनी ने काम बंद कर दिया था और कर्मचारी हड़ताल कर रहे थे। सर्वे के दौरान दल ने देखा कि कचरा सुबह तो आठ बजे तक उठ जाता है लेकिन उसके कुछ देर बाद ही लोग गोबर के ढेर लगा देते हैं और घरों से भी कचरा बाहर डाल देते हैं। वहीं जब ईको ग्रीन कंपनी से विवादों के चलते अनुबंध समाप्त हो गया तो नगर निगम का बाहरी वार्डों में कचरा संग्रहण कार्य भी ठप हो गया। इसे वहां लोग सड़कों व सार्वजनिक जगहों पर ही कचरा डालने लगे और सर्वे के दौरान इसका खामियाजा नगर निगम को भुगतना पड़ा। वहीं नगरीय इलाके में लोग खुले में मूत्र त्याग करते हुए देखे जाने, खुले में शौच को जाने की वजह से भी रैंकिंग में उम्मीद के अनुरूप अंक नहीं मिल पाए। यही वजह रही कि नगर निगम का ओडीएफ दर्जा भी बरकरार नहीं रह सका।
यह कमियां आड़े आईं रैकिंग को आगे ले जाने में

सिटीजन फीडबैक में अच्छे अंक पर संसाधनों के अभाव से कटे।

डोर टू डोर कचरा संग्रहण, सार्वजनिक पेशाबघरों की कमी और नगर में पशु पालन मुसीबत साबित हुआ।
कूडा उठने के बाद भी गोबर नजर आया सार्वजनिक स्थानों पर इसका खामियाजा भुगतना पडा।

डोर टू डोर कचरा संग्रहण का कंपनी से अनुबंध टूट जाने और कर्मचारियों की हड़ताल भी सर्वे के समय हुई।
नगर की मुख्य एमएस रोड भी किसी नगर जैसी नहीं दिखती, इसका असर भी सर्वेक्षण की रैकिंग पर पडा।

नगर के सौंदर्यीकरण में अहम स्थान रखने वाले पार्क भी बदइंतजामी का शिकार रहे और इसका खामिजयाज भुगतना पडा।
रैकिंग सुधारने के लिए यह उठाए जाएंगे कदम

डोर टू डोर कचरा संग्रहण को 24 नए वाहन मंगाए जा रहे हैं, दो जेसीबी और दो डोजर भी मंगाए जा रहे हैं।

एमएस रोड पर सौदर्यीकरण में तिरंगी प्रकाश व्यवस्था के साथ डिवाइडर भी सुंदर बनाया जा रहा है। बैरियर चौराहा सहित कॉलोनियों के प्रवेश द्वार भी बनाए जाएंगे।
सीवर प्रोजेक्ट का काम हर हाल में इसी साल पूरा करके आगे 30 करोड़ रूपए से अधिक की सड़कें बनवाई जाएंगी।

पहले से उपलब्ध 300 सफाई कर्मचारी, छोटी-बड़ी आठ हिटैची, 4 डंपर का सदुपयोग होगा। दो डंपर, दो जेसीबी और दो डोजर और मंगाए जा रहे हैं।
सुविधाओं के बदले कोई कर न लिया जाना भी सर्वे की रैकिंग में आडे आया। इसलिए नगर निगम अब सुविधाओं पर कर वसूलने पर भी जोर देगा।


गोबर स्वच्छता सर्वेक्षण में सबसे बड़ा सिरदर्द
नगर की स्वच्छता रैकिंग में गोबर सबसे बड़ी बाधा है। नगर के हर गली-मोहल्ले में भैंस और गाय पाली जा रही हैं। इनका गोबर प्रबंधन का कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में ज्यादातर लोग सफाई होने के बाद भी इसे नालियों में ही बहा देते हैं। कुछ वार्डों में जनप्रतिनिधियों या उनके समर्थकों ने नगर निगम के कर्मचारियों से गोबर उठवाए और इसे लेकर विवाद भी हुए। एक-दो मामले पुलिस तक भी पहुंचे, लेकिन बाद में सुलझा लिए गए।
सीवर ने बिगाड़ी चाल

138 करोड़ का सीवर प्रोजेक्ट नगर की स्वच्छता रैकिंग के लिए बाधक साबित हुआ। दो साल की यह परियोजना चार साल में भी पूरी नहीं हो पा रही है। सर्वे के दौरान कई जगह सड़कें खुदी होने से गलियों में कचरा संग्रहण वाहन और सफाईकर्मियों के न पहुंच पाने का नुकसान नगर निगम को उठाना पडा।
क्या है नगर में सफाई की व्यवस्था, क्या होनी चाहिए

नगर निगम इलाके में सफाई के लिए संसाधनों का अभाव है। स्वच्छता सर्वे टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में इसे इंगित किया है। 47 वार्डों में विस्तारित और 3 लाख से ज्यादा की आबादी वाले नगर में महज 300-350 सफाई कर्मचारी हैं, जो मैदान में काम कर सकते हैं। संख्या तो 500 से अधिक है, लेकिन बाकी कर्मचारी रसूखदार होने से काम पर नहीं आते और कुछ ने वाहन चालन, पंप संचालन आदि काम संभाल रखे हैं। इसके अलावा कई वार्डों में 20 से 30 और कई जगह 5 भी नहीं हैं। खास तौर से निगम गठन के लिए जरूरी मानकों को पूरा करने के लिए जो ग्राम पंचायतें जोडी गई थीं, वहां काम उम्मीद के अनुरूप नहीं हुआ।
बीते साल की तुलना में स्वच्छता सर्वेक्षण की रैकिंग में हमने 16 पायदान का सुधार किया है। 174वीं रैंक को अगले साल अंडर-50 तक लाने के लक्ष्य के साथ काम करेंगे। जो कमियां रह गईं उन्हें सुधारेंगे, सीवर प्रोजेक्ट पूरा हो जाने का भी लाभ मिलेगा। सभी के समन्वित प्रयासों से हम लक्ष्य हासिल कर लेंगे। कचरा संग्रहण वाहन, जेसीबी, डंपर आदि संसाधन बढ़ाए जा रहे हैं।
अमरसत्य गुप्ता, आयुक्त, ननि, मुरैना।

ट्रेंडिंग वीडियो