नदुआपुरा से आई महिलाओं ने कहा कि बाढ़ में उनके मकान जमींदोज हो गए। प्रशासन ने उन्हें गांव से बाहर निकालकर आवास दिलाने का आश्वासन दिया था। लेकिन चार माह बाद भी उनकी समस्या यथावत बनी हुई है। हालांकि एडीएम मिश्रा ने कहा कि उनके आवासों के प्रस्ताव शासन के पास विचार के लिए भेजे गए हैं। जैसे ही वहां से कोई मार्गदर्शन प्राप्त होगा,उसके अनुसार प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। इसी प्रकार किर्रायंच से आई महिलाओं ने कहा कि नौकरी-पेशा लोगों को आवास के लिए जमीन और पैसा दिया जा रहा है जबकि गरीबों की सुनवाई नहीं हो रही है।
खुद को भाजपा का कार्यकर्ता बताने वाली इस महिला ने कहा कि मोदी साहब ने गरीबों के आवास और शौचालयों के लिए बजट दिया है, लेकिन जनपद में जगदीश बाबू एवं अन्य अधिकारी हमें हमारे अधिकारों से वंचित कर रहे हैं। हम इसके पहले भी जन सुनवाई में आवेदन दे चुके हैं, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। अपर कलेक्टर व अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत ने महिलाओं को समझाया कि जिन लोगों को आवास मिल रहे हैं उनके नाम वर्ष 2011 में हुए सर्वेक्षण की रिपोर्ट में पात्रों की सूची में शामिल हैं। बाढ़ एवं अन्य प्राकृतिक आपदा में घरोंं से वंचित हुए लोगों के लिए नया प्रस्ताव भेजा गया है। इसे स्वीकृति मिलने पर प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी।