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‘102 Not Out’ Movie Review: एक्टिंग के ओल्ड स्कूल्स की सुपरकूल फिल्म

Published: May 05, 2018 05:05:35 pm

Submitted by:

Amit Singh

सौम्या जोशी के लिखे गुजराती लोकप्रिय नाटक पर आधारित फिल्म ‘102 नॉट ऑउट’ दो बुजुर्गों के जीवन पर आधारित है

102 Not Out

102 Not Out

आर्यन शर्मा . जयपुर

डायरेक्शन : उमेश शुक्ला
स्टोरी, स्क्रीनप्ले एंड डायलॉग्स : सौम्य जोशी
जोनर : कॉमेडी ड्रामा
म्यूजिक : सलीम-सुलेमान
एडिटिंग: बोधादित्य बनर्जी
बैकग्राउंड स्कोर : जॉर्ज जोसेफ

सिनेमैटोग्राफी: लक्ष्मण उतेकर
रेटिंग : ३ स्टार
रनिंग टाइम : १०२ मिनट
स्टार कास्ट
अमिताभ बच्चन , ऋषि कपूर , जिमित त्रिवेदी, धर्मेन्द्र गोहिल, निलेश पांड्या

अक्सर हम अपने आस-पास देखते हैं कि जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है तो वह खुद को बूढ़ा मानने लगता है। उसकी सोच पर भी बुढ़ापे का आवरण आ जाता है। इस वजह से वह जिंदगी का लुत्फ उठाने के बजाय उसे ढोने लगता है। वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो इस फिलॉसफी में यकीन रखते हैं कि ‘उम्र महज एक संख्या है और कुछ नहीं…।’ इसी फलसफे पर आधारित उमेश शुक्ला की फिल्म ‘१०२ नॉट आउट’ पिता-पुत्र की असाधारण कहानी है, जो कि मनोरंजन के साथ जिंदगी को जिंदादिली के साथ जीने का संदेश देती है।

102 Not Out

स्क्रिप्ट फिल्म का प्लॉट लेखक सौम्य जोशी के इसी शीर्षक के गुजराती नाटक पर बेस्ड है। कहानी में मुंबई के विले पार्ले ईस्ट में १०२ वर्षीय दत्तात्रय वखारिया (अमिताभ बच्चन) अपने ७५ साल के बेटे बाबूलाल (ऋषि कपूर) के साथ रहते हैं। दत्तात्रय १०२ साल के होने के बावजूद २६ साल के युवा जैसी ऊर्जा व उमंग रखते हैं और उन्हें जिंदगी को बिना किसी तनाव के मजेदार अंदाज में जीने में यकीन है। वहीं, बाबू ने बुढ़ापे को ओढ़ लिया है। उन्होंने अपने आस-पास ऐसा ऑरा बना लिया है, जिससे उनमें नकारात्मकता और खीझ बढ़ गई है। एक दिन दत्तात्रय घर आकर बाबू को बताते हैं कि वह दुनिया में सबसे ज्यादा जीने वाले व्यक्ति का रिकॉर्ड (११८ साल, ३ महीने, २८ दिन) तोडऩा चाहते हैं, जो कि चीन के एक शख्स के नाम है। लेकिन दत्तात्रय को लगता है कि उनके रिकॉर्ड बनाने के मकसद में बाबू बाधक है, क्योंकि जिंदगी के प्रति उसका नीरस रवैया माहौल को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में वह बेटे को वृद्धाश्रम भेजना तय करते हैं। जब वह जाने से मना कर देता है तो दत्तात्रय उसके सामने एक के बाद एक शर्त रखते जाते हैं।

102 Not Out

एक्टिंग

अमिताभ और ऋषि इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकार हैं और इसमें कोई दोराय नहीं कि दोनों ने इस फिल्म में बेहतरीन अभिनय किया है। अमिताभ ने १०२ साल के खुशदिल इंसान को पर्दे पर बखूबी जीवंत किया है और संवादों में गुजराती लहजा भी दिलचस्प अंदाज में पकड़ा है। ऋषि भी अमिताभ से कदम से कदम मिलाकर चले हैं। दोनों के बीच के दृश्य कभी हंसाते हैं तो कभी भावुक कर देते हैं। फिल्म में इन दोनों के अलावा तीसरा किरदार धीरू है, जिसे जिमित त्रिवेदी ने फन एलीमेंट के साथ शानदार ढंग से परफॉर्म किया है।

डायरेक्शन
टाइटल की तरह महज १०२ मिनट लंबी फिल्म में सौम्य जोशी लिखित कहानी दिल को छू लेती है। स्क्रीनप्ले अच्छा है, पर थोड़ा टाइट किया जा सकता था। डायलॉग्स इंटरेस्टिंग हैं। उमेश शुक्ला ने अपने निर्देशकीय दृष्टिकोण से बुजुर्गों पर बेस्ड फिल्म को अलग आयाम देने की कोशिश की है। वह फिल्म को कॉमिक अंदाज में शुरुआत देकर भावनात्मक सफर पर ले गए हैं। कुछ सीन वाकई भावुक कर देते हैं। हालांकि रफ्तार थोड़ी धीमी है। ऑरिजिनल व बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। सिनेमैटोग्राफी आकर्षक है।

क्यों देखें

फिल्म की टैगलाइन ‘बाप कूल, बेटा ओल्ड स्कूल’ की तर्ज पर फिल्म में बाप-बेटे की जोड़ी हंसाती है। इस फिल्म में अमिताभ और ऋषि की जोड़ी २७ साल बाद साथ आई है। ऐसे में जीवन के रंग, उमंग और जिंदादिली को दर्शाने वाली ‘१०२ नॉट आउट’ का फैमिली के साथ लुत्फ उठा सकते हैं।

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