छपाक कहानी है एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल। मेघना ने मुख्य किरदार का नाम लक्ष्मी से बदलकर मालती कर दिया है, पर कहानी उन्हीं की ही है। लक्ष्मी से हम सभी परिचित हैं, उस बहादुर महिला के तौर पर जिसने ना सिर्फ अपने दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी बल्कि एसिड की खुली बिक्री के खिलाफ भी कानून में संशोधन करवाने की वजह बनी।
अलहदा कहानी ही किसी फिल्म को उठाने के लिए काफी नहीं होती। इस बात को दीपिका पादुकोण से बेहतर भला कौन समझ सकता था। उन्होंने इस फ़िल्म में अपने अब तक के करियर के सबसे बेहतरीन अभिनय में से एक किया है। मालती के किरदार के दर्द, खुशी, हिम्मत, संकोच सबको उन्होंने अपने अभिनय से जीवंत किया है। दीपिका का पूरा-पूरा साथ दिया है, विक्रांत मेसी ने। उन्होंने ज़बर्दस्त परफॉर्मेंस किया है। बाकी के सपोर्टिंग किरदारों का भी काम अच्छा ही रहा है। फ़िल्म का गीत संगीत कहानी के मुताबिक है। संवाद तो अंदर तक छू जाते हैं। गुलज़ार के गाने भी गज़ब संवेदनशीलता लिए हुए हैं। पूरा का पूरा पैकेज आपको बेहतरीन इंसान बनने के लिए प्रेरित करेगा।
सार्थक सिनेमा देखने की चाह रखने वालों के लिए यह ख़ूबसूरती से बनाई गई एक संवेदनशील फ़िल्म है। अगर आप शुद्ध मसाला मूवी प्रेमी हैं तो आपको शायद इतनी अच्छी न लगे। हमें फ़िल्म को न देखने का कोई और कारण समझ में नहीं आता, हां आप दीपिका का विरोध करने के लिए फ़िल्म न देखना चाहें तो अलग बात है। पर यह देखने जैसी फ़िल्म है।