स्टारकास्ट : विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख, आफताब शिवदासानी, उर्वशी रौतेला, पूजा बनर्जी, मिष्ठी, रेटिंग : 1.5/5
निर्माता: समीर नायर, अमन गिल, अशोक ठकेरिया, आनंद पंडित
निर्देशक : इंद्र कुमार
जोनर : एडल्ट कॉमेडी
संगीतकार : शारिब-तोषी सबरी, सुपरबिया
रोहित तिवारी/ मुंबई ब्यूरो। इंडस्ट्री को अपने निराले अंदाज में कॉमेडी फिल्मों को परोसते आ रहे निर्देशक इंद्र कुमार अब ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ लेकर हाजिर हुए हैं। एडल्ट कॉमेडी की बारीकियों को समझने वाले इंद्र ने इस फिल्म से दर्शकों को रिझाने के लिए जबर्दस्त कॉमेडी का तड़का लगाने का भरसक प्रयास किया है। लेकिन वो क्या इसमें सफल हुए हैं? आगे कहानी पढ़कर आप समझ जाएंगे…।
कहानी…
2 घंटे 7 मिनट की कहानी प्रेम चावला (आफताब शिवदासानी) के घर से शुरू होती है, जहां उसकी साली (कंगना शर्मा) प्रेम से शरारत करती है और उसकी पत्नी निशा चावला (श्रद्धा दास) अपनी बहन को 2 महीने के लिए पढ़ाई करने को लंदन भेजना चाहती है, इसीलिए निशा प्रेम से 10 लाख मांगती है। महीनों से अपनी पत्नी से न मिल पाने ली ललक में उसे साली को बहार भेजने वाला निशा का आइडिया समझ में आ जता है और वह रुपए के इंतजाम में जुट जाता है। वहीं अमर सक्सेना (रितेश देशमुख) अपनी सास (ऊषा नाडकर्णी) से तंग आ चुका होता है। दरअसल, उसकी सास अमर को अपनी बीवी सपना सक्सेना (पूजा बनर्जी) से मिलने नहीं देती, क्योंकि अमर की सास अंताक्षरी बाबा (संजय मिश्रा) के टोटकों पर विश्वास करती है। कुछ ऐसी ही समस्याओं से मीत मेहता (विवेक ओबेरॉय) भी जूझ रहा होता है। मीत की पत्नी रेखा मेहता (मिष्ठी) अपने बिल्डर भाई (केतन कारांडे) को साथ में रखती है और रेखा की एक जुड़वां होती है, जिसकी वजह से दोनों की एक जैसी ही हरकतें करते हैं। इसी के चलते मीत भी अपनी बीवी से मिलने के लिए तड़पता रहता है। बस, सभी अपने साथी से मिलने की तड़प में दूधवाड़ी गांव जाते हैं। जहां अमर की पुरानी सुनसान हवेली होती है और वहां सबको सबरी (उर्वशी रौतेला) मिलती है। दिल को कायल कर देनी वाली सबरी की जवानी के सभी दीवाने हो जाते हैं। फिर अचानक सभी को पता चलता है कि सबरी एक भूत है। इसी ट्विस्ट के साथ कहानी आगे बढ़ती है।
अभिनय…
इस फिल्म की पिछली सीरीज की तरह ही इस फिल्म में भी विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख और आफताब शिवदासानी सभी एक-दूसरे का पूरा साथ देते नजर आए। तीनों ने अपने रोल को जीवंत करने के लिए काफी मेहनत की है। उर्वशी रौतेला, पूजा बनर्जी और मिष्ठी अपनी-अपनी भूमिकाओं में फिट लगी हैं। साथ ही सभी ने अपना शत-प्रतिशत देने का प्रयास भी किया है। श्रद्धा दास और संजय मिश्रा भी अपने अभिनय में कई मायनों में सफल से रहे। ऊषा नाडकर्णी ने सास व केतन करांडे ने साले का किरदार बखूबी निभाया है। साथ ही कंगना शर्मा प्रेम की साली के किरदार में सटीक रहीं। सोनाली राउत और सुदेश लहरी भी अपनी-अपनी भूमिकाओं में ठीक ही रहे। इसके अलावा श्रेयस तलपड़े ने फिल्म में अपनी मौजूदगी को सही से दिखाने की पूरी कोशिश की। कुछ देर की मौजूदगी में ही वे वाहवाही लूटते नजर आए।
निर्देशन…
निर्देशक इंद्र कुमार ने एडल्ट फिल्म में कॉमेडी की हर तरह की कमान संभालने का भरसक प्रयास किया है। उन्होंने इसमें कई तरह के प्रयोग भी किए हैं, साथ ही वे एडल्ट कॉमेडी की इस सीरीज को आगे बढ़ाने में भी काफी हद तक सफल रहे। हालांकि उन्होंने फिल्म में कॉमेडी का तड़का तो जरूर लगाया, लेकिन कहीं-कहीं कॉमेडी थोड़ी फूहड़ सी महसूस होती है। लगता है कि उन्होंने कॉमेडी के वर्क में होम वर्क की काफी हद तक कमी रही है, इसीलिए वे थोड़ा-बहुत ही ऑडियंस की वाहवाही लूटने में सफल रह सके। इसके अलावा फिल्म में जबरदस्ती का मसाला ठूंसा गया है, जिसकी वजह से ऑडियंस कहीं न कहीं बोर होती नजर आई। बहरहाल, ‘सपने को झटका, ऊपर वाले तूने कहां लाकर पटका…’ और ‘एसएमएस यानी सिंपल मगर सेक्सी’ जैसे कुछ एक डायलॉग्स की तारीफ की जा सकती है। इसके अलावा फिन्म का गीत-संगीत (शारिब-तोषी सबरी, सुपरबिया) कहानी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
क्यों देखें :
एडल्ट कॉमेडी की सीरीज में वही पुरानी तीकड़ी को नए कलेवर में देखने की चाहत रखने वाले दर्शक सिनेमाघरों की ओर आराम से रुख कर सकते हैं। लेकिन अगर आप फुल एंटरटेनमेंट और फैमिली के साथ फिल्म देखने का मन बनाते हैं, तो आपको कहीं न कहीं सोचना पड़ सकता है। क्योंकि इसमें ‘ग्रेट’ कुछ भी नहीं है…सिर्फ ग्रैंड मस्ती है…वह भी फीकी…फीकी…।