scriptMovie Review : मस्ती, रोमांस और ड्रामा से भरपूर हैजब हैरी मेट सेजल | Jab Harry Met Sejal Movie Review: Shah Rukh Khan Anushka Sharma | Patrika News

Movie Review : मस्ती, रोमांस और ड्रामा से भरपूर हैजब हैरी मेट सेजल

Published: Aug 04, 2017 05:15:00 pm

शाहरुख खान और अपनी फिल्मों में रोमांस को जर्नी के साथ पिरोकर दिखाने के लिए डायरेक्टर इम्तियाज अली लेकर आए हैं ‘जब हैरी मेट सेजल’

डायरेक्शन : इम्तियाज अली
स्टार कास्ट : शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा, चंदन राय सान्याल, अरू के. वर्मा
कैमियो : एवलिन शर्मा
रेटिंग : 2.5 स्टार

किंग ऑफ रोमांस शाहरुख खान और अपनी फिल्मों में रोमांस को जर्नी के साथ पिरोकर दिखाने के लिए फेमस डायरेक्टर इम्तियाज अली साथ में पहली बार फिल्म लेकर आए हैं और उसका टाइटल है ‘जब हैरी मेट सेजल’। इम्तियाज की अन्य फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी एक यात्रा है, जिसके दौरान मुख्य किरदारों में प्यार का अंकुर पनपता है, जो बाद में फूल बनकर खिलता है। लेकिन यह फूल उतनी खुशबू नहीं बिखेरता, जितनी दर्शक उम्मीद लगाए बैठे थे। असल में, इस फिल्म में शाहरुख कई फिल्मों के बाद रोमांटिक रोल में नजर आए हैं, ऐसे में हर कोई उनसे ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के राज वाले रोमांस के जादू की एक्सपेक्टेशन कर रहा था। हालांकि फिल्म की शुरुआत तो फन, रोमांस और नोक-झोंक के साथ होती है, लेकिन इंटरवल के बाद वह जादू बरकरार नहीं रह पाता। इसकी प्रमुख वजह है कहानी में ताजगी का अभाव। लिहाजा ‘जब हैरी…’ एक औसत फिल्म बनकर रह गई है।


स्क्रिप्ट
कहानी यूरोप में टूर गाइड हैरी (शाहरुख खान) और गुजराती लड़की सेजल (अनुष्का शर्मा) के इर्द-गिर्द घूमती है। इसकी शुरुआत एयरपोर्ट से होती है, सेजल फ्लाइट मिस कर देती है और हैरी से कहती है कि उसने अपनी एंगेजमेंट रिंग खो दी है, जिससे उसका फियॉन्से नाराज है। वह हैरी से रिंग ढूंढने में मदद करने के लिए कहती है। चूंकि हैरी का उनके ग्रुप के साथ कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है, ऐसे में शुरुआत में तो हैरी उसे टालने की कोशिश करता है, पर अपने बॉस के प्रेशर में मजबूरन उसके साथ रिंग ढूंढना शुरू करता है। इस सफर में कहानी एम्सटर्डम, प्राग, बुडापेस्ट, लिस्बन की सैर कराती हुई पंजाब की धरती तक पहुंचती है।


एक्टिंग
गाइड हैरी के किरदार में शाहरुख डेशिंग व चार्मिंग लगे हैं। साथ ही अच्छी एक्टिंग भी की है। लेकिन उन्हें स्क्रिप्ट चुनते समय सोच-विचार करने की जरूरत है। अनुष्का गुजराती लहजे में बोलती नजर आई हैं। दोनों की कैमिस्ट्री अच्छी है, लेकिन इमोशंस वाले कुछ दृश्यों में कशिश की कमी खलती है। सपोर्टिंग कास्ट का रोल ज्यादा नहीं है, पर ठीक-ठाक है।


डायरेक्शन
इम्तियाज का डायरेक्शन अच्छा है, लेकिन उन्होंने लचर स्क्रिप्ट लिखी है, जो रूमानियत को पर्दे पर दिखाने की राह में रोड़ा बन गई है। फस्र्ट हाफ मजेदार है, जिसमें दोनों लीड किरदारों की चुहलबाजी हंसाती है, पर सेकंड हाफ खिंचा हुआ लगता है। हालांकि कैमरा वर्क और लोकेशंस खूबसूरत हैं। फिल्म के बहाने इम्तियाज ने दर्शकों को यूरोप की सैर करवाई है। गीत-संगीत अच्छा है। ‘राधा’, ‘सफर’, ‘हवाएं’ चार्टबस्टर्स में हैं।

‘जब वी मेट’, ‘लव आज कल’, ‘रॉकस्टार’ जैसी मूवी के निर्देशक इम्तियाज इस फिल्म में अपनी क्रिएटिविटी बखूबी नहीं दिखा पाए। यही वजह रही कि राइटिंग फिल्म का कमजोर पहलू है। क्लाइमैक्स भी प्रीडिक्टेबल रहा, जिसे दिलचस्प बनाया जा सकता था। फिल्म रिंग को ढूंढने के साथ-साथ शाहरुख में ‘राज’ को रिवाइव करने की कोशिश भी है। अगर आप शाहरुख, अनुष्का और इम्तियाज के फैंस हैं तो फिल्म पसंद आएगी, लेकिन ‘डीडीएलजे’ वाले रोमांस की उम्मीद न रखें।

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