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movie review: बोल्ड सीन, लेकिन कोल्ड जूली

Published: Nov 24, 2017 06:02:18 pm

मूवी रिव्यू : बोल्ड सीन, लेकिन कोल्ड ‘जूली’
 

Julie_2

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राइटिंग-डायरेक्शन : दीपक शिवदासानी

स्टार कास्ट : राय लक्ष्मी, रवि किशन, रति अग्निहोत्री, आदित्य श्रीवास्तव, पंकज त्रिपाठी, निशिकांत कामत, अनंत जोग, देव गिल, यूरी सूरी, असद
म्यूजिक : वीजू शाह, रूह बैंड, आतिफ अली, जावेद-मोहसिन
रेटिंग : 1 स्टार


निर्देशक दीपक शिवदासानी अपनी इरोटिक थ्रिलर फिल्म ‘जूली’ (2004) का सीक्वल ‘जूली 2’ लेकर आए हैं, जिसमें दक्षिण भारतीय फिल्मों की एक्ट्रेस राय लक्ष्मी लीड रोल में हैं और इस फिल्म से वह बॉलीवुड में बतौर लीड एक्ट्रेस इंट्रोड्यूस हुई हैं। फिल्म की टैग लाइन है ‘बोल्ड…ब्यूटीफुल…ब्लेस्ड’, लेकिन फिल्म न तो ब्यूटीफुल है और न ही ब्लेस्ड। थोड़ी बहुत बोल्ड जरूर है, लेकिन वह भी कोल्ड अंदाज में। स्टोरीलाइन और कंटेंट के मामले में फिल्म बेहद पुअर है, जिसे देखकर दर्शकों को खुद पर ही खीझ आने लगती है कि क्यों वो यह फिल्म देखने आए। स्टोरी में ग्लैमर वल्र्ड यानी सिनेमा के स्याह पहलू के साथ सियासत और अंडरवल्र्ड की कारगुजारियों को भी पिरोया है, लेकिन नयापन कुछ नहीं है। इस तरह की कई फिल्में पहले भी बॉलीवुड में आ चुकी हैं, जिनमें से कुछ ही चली हैं, बाकी बॉक्सऑफिस पर ढेर।

कहानी
‘जूली 2’ एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसे बॉलीवुड में सफलता की सीढ़ी पर चढऩे के लिए कॉम्प्रोमाइज करने को मजबूर किया गया है। आज जूली (राय लक्ष्मी) मशहूर एक्ट्रेस बन चुकी है और उसकी झोली में पावर ब्रोकर अश्विनी अस्थाना (पंकज त्रिपाठी) की पत्नी सुमित्रा देवी की बायोपिक है। इस फिल्म को लेकर अश्विनी भी उत्साहित है। अपने २५वें जन्मदिन पर जूली प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिंदगी के कुछ राज खोलती है। इसके बाद वह एक ज्वैलरी शोरूम पर शॉपिंग के लिए जाती है, जहां कुछ रॉबर्स उसे गोलियों से भून देते हैं। इस केस की छानबीन कर रहे एसीपी देवदत्त (आदित्य श्रीवास्तव) को लगता है कि यह सिर्फ ज्वैलरी शोरूम की रॉबरी का केस नहीं है, बल्कि हाई प्रोफाइल सेलेब्रिटी को मारने की साजिश है। फिर वह तफ्तीश के तहत जूली की मेकअप आर्टिस्ट और आंटी एनी (रति अग्निहोत्री) से पूछताछ करता है, जिसमें जूली की बीती जिंदगी के पन्ने पलटने शुरू होते हैं और कई रसूखदार लोगों के घिनौने चेहरे सामने आने लगते हैं। इसके बाद हिलती-डुलती इस कहानी में कई मोड़ आते हैं।

एक्टिंग
परफॉर्मेंस की बात करें तो राय लक्ष्मी ने स्किन शो तो भरपूर किया है, लेकिन एक्टिंग के मामले में वह खास असरदार नहीं हैं। कॉप के किरदार में ‘सीआईडी’ फेम आदित्य श्रीवास्तव खुद को दोहराते हैं। रति अग्निहोत्री ने ठीक काम किया है। पंकज त्रिपाठी ने परफेक्शन से अपना रोल निभाया है, वहीं रवि किशन साउथ सुपरस्टार की भूमिका में ठीक हैं। निशिकांत कामत, अनंत जोग और अन्य सपोर्टिंग कास्ट का काम ठीक-ठाक है।

राइटर-डायरेक्टर दोनों की मोर्चों पर दीपक इम्प्रेस करने में नाकाम रहे। स्क्रीनप्ले एकदम लचर है, जो कहीं भी दर्शकों को फिल्म से नहीं जोड़ता। फिल्म में बोल्ड दृश्य हैं, लेकिन वो भी इस एडल्ट थ्रिलर को बचा नहीं पाते। डायलॉग्स भी घिसे-पिटे हैं, जो इरिटेट करते हैं। संगीत में दम नहीं है। कोई भी ऐसा गाना नहीं, जो याद रहे। बैकग्राउंड स्कोर भी कुछ खास नहीं है। समीर रेड्डी की सिनेमैटोग्राफी साधारण है, वहीं एडिटिंग की तो काफी गुंजाइश है।

क्यों देखें
अभिनय, पटकथा, निर्देशन, संगीत सरीखे सभी प्रमुख सिनेमाई ऑस्पेक्ट्स में ‘जूली 2’ एक बेहद कमजोर और उबाऊ पेशकश है। लिहाजा ‘जूली’ में कोई ऐसी खूबी नहीं है, जिसके लिए फिल्म देखने पर पैसा खर्च किया जाए।

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