स्क्रिप्ट
स्टोरी में दो ट्रैक एक साथ चलते हैं। वर्तमान ट्रैक में जेल से रिहा होने के बाद अद्वैत(आदित्य रॉय कपूर) एक के बाद एक कॉप का मर्डर करता जा रहा है। इसकी ततीश ड्रग-स्नॉर्टिंग कॉप अगाशे(अनिल कपूर) और स्पेशल सेल के ऑफिसर माइकल(कुणाल खेमू) कर रहे हैं। वहीं दूसरा ट्रैक पांच साल पहले का है, जहां अद्वैत और सारा(दिशा पटानी) की गोवा में मुलाकात होती है। अद्वैत हमेशा रिश्तों से भागता रहा है तो सारा स्वछंद यालों वाली लड़की है। सारा हर वो चीज करना चाहती है, जिससे वह डरा करती है। साथ में टाइम स्पेंड करते हुए दोनों करीब आ जाते हैं, तभी कहानी में ट्विस्ट आता है।
डायलॉग पंच
‘आज का अंधेरा बहुत गहरा होने वाला है और खामोशी कान फाड़’, ‘इतना खौफ वही भर सकता है, जिसमें खुद में खौफ न बचा हो’, ‘बदले में हमेशा दो कब्रें खोदनी पड़ती हैं, उनमें से एक खुद की’ जैसे डायलॉग्स रोमांच को गति देते हैं।
एक्टिंग
डेशिंग लुक के साथ आदित्य की परफॉर्मेंस अच्छी है। उन्होंने अपनी इमेज से थोड़ा हटकर कैरेक्टर अदा किया है। दिशा लवेबल लगी हैं। आदित्य व दिशा की सिजलिंग कैमिस्ट्री है। अनिल कपूर अपनी फुल फॉर्म में हैं। इंटेंस लुक के साथ ही वह हास्य का तड़का भी लगाते हैं। कुणाल के कैरेक्टर में कई लेयर्स हैं, जिसे उन्होंने धांसू अंदाज में निभाया है। एली अवराम ने अपना बेहतरीन दिया है । कीथ और वत्सल का काम ओके है।
डाायरेक्शन
स्टोरी ठीक-ठाक है । स्क्रिप्ट में हर किरदार में पागलपन का पुट है। स्क्रीनप्ले एंगेजिंग है। हालांकि क्रिस्पनेस की कमी है। मोहित ने मूवी को अच्छे से हैंडल किया है। उन्होंने रोमांच और रोमांस का अच्छा कॉबिनेशन परोसने का प्रयास किया है। हालांकि फिर भी कई लूपहोल्स हैं। बैकग्राउंड स्कोर और यूजिक ठीक है। टाइटल ट्रैक हिट नंबर्स में शुमार है। सिनेमैटोग्राफी मूवी को मनोरम बनाती है। एडिटिंग सिंपल है।