शुक्रवार को रिलीज हुई बहुचर्चित फिल्म शोरगुल का बेस्ड है राजनीति…जिसमें प्यार है, नफरत है और बदले की भावना…
निर्माता: स्वतंत्र विजय सिंह, व्यास वर्मा
निर्देशक: प्रणव कुमार सिंह / जीतेंद्र तिवारी
कलाकार: जिम्मी शेरगिल, आशुतोष राणा, संजय सूरी, नरेंद्र झा, एजाज खान, सुहा गोजेन
संगीतकार: ललित पंडित
रेटिंग: 1.5-5
मुंबई। रिलीज से पहले फिल्म शोरगुल को लेकर खूब शोर मचाया गया। अब यह फिल्म रिलीज हो गई है। निर्माताओं ने राहत की सांस ली है। इसमें कोई दोराय नहीं कि यह फिल्म पॉलिटिक्स बेस्ड है, लेकिन इसमें लव भी है और लस्ट भी…। देखने वाली बात यह है कि रिलीज से पहले फिल्म को लेकर जितना शोर मचाया गया, क्या वह शोर बॉक्स ऑफिस पर भी उतना ही दिखाई देगा।
कहानी…
पूरी फिल्म कि कहानी उत्तर प्रदेश के पास स्थित मलीहाबाद की है, जहां के चौधरी (आशुतोष राणा) की बात गांव के लोग काफी मानते हैं। वहीं गांव के विधायक ओम भैया (जिम्मी शेरगिल) का रुझान सिर्फ हिन्दू लोगों के प्रति अच्छा रहता है लेकिन मुस्लिम धर्म के लोगों से मन मुटाव बना के रखता है। ओम की भरपूर कोशिश रहती है कि हिन्दू-मुस्लिम के बीच दंगे हों, जिसका फायदा उनके वोट बैंक के लिए हो। वहीं फिल्म में सलीम (हितेन तेजवानी) और जैनाब (सुहा गोजेन) के बीच निकाह की बात होती है, लेकिन सलीम को जैनाब और उसके बचपन के दोस्त राघव (अनिरुद्ध दवे) के बीच की दोस्ती अच्छी नहीं लगती। इसी बीच सिलसिलेवार घटनाओं में राघव की मौत हो जाती है। राघव दरअसल चौधरी का बेटा होता है, और उसकी मौत को ओम भैया के लोग कैश करना चाहते हैं, जिसकी वजह से दंगे होते हैं। अंतत: फिल्म में एक निष्कर्ष निकलता है, जिसे आप थिएटर में ही जाकर पता कर सकते हैं।
अभिनय…
आशुतोष राणा और जिम्मी शेरगिल ने उम्दा प्रदर्शन किया है। एक्ट्रेस सुहा गोजेन ने भी बेहतरीन एक्टिंग की है, जबकि बाकी किरदारों ने भी अच्छा काम किया है। कई सारे ऐसे किरदार हैं, जिनको पूरी तरह से कैश नहीं किया जा सका है। नरेंद्र झा, संजय सूरी और दीपदास राणा के रोल और भी बेहतर हो सकते थे। एजाज खान ने भी काफी अच्छी एक्टिंग की है।
गीत-संगीत…
फिल्म का गीत-संगीत अच्छा है। कव्वाली के साथ-साथ रोमांटिक और इमोशनल गीत भी फिल्म को सजाते हैं।
क्यों देखें…
राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के लिए फिल्म अच्छी है। वैसे भी बॉलीवुड में बनने वाली हर तीसरी फिल्म राजनीति जरूर घुसा होता है। यानी कह सकते हैं कि बॉलीवुड ने पर्दे पर इतनी राजनीति दिखाई है कि दर्शक भी राजनीति के वास्तविक चेहरे से वाकिफ हो चुकी है। इस लिहाज से देखें, तो फिल्म में नयापन कुछ नहीं है। हां, फिल्म का अंदाज अलग है। ऐसे में पॉलिटिकल ड्रामा पसंद करने वाले एक बार ट्राई कर सकते हैं।