बैनर : इरोश इंटरनेशनल
निर्माता: कृषिका लुल्ला
निर्देशक : रवि जाधव
जोनर : म्यूजिकल एक्शन ड्रामा
संगीतकार : विशाल-शेखर
रोहित के. तिवारी/ मुंबई ब्यूरो: मराठी फिल्मों के निर्देशन में अपना सिक्का जमा चुके और ऑडिसंस के लिए तरह-तरह के जोनर परोसनले में कामयाब रहे निर्देशक रवि जाधव अब पहली बार किसी बॉलीवुड की फिल्म का निर्देशन किया है। उन्होंने इसमें संगीत के साथ-साथ एक्शन और ड्रामा का धमाकेदार तड़का लगाया है।
कहानी…
फिल्म की कहानी मुम्बई के रहने वाले बैंजो प्लेयर नन्द किशोर उर्फ तरात (रितेश देशमुख) की है, जो वहां के लोकल मंत्री के लिए काम भी करता है, साथ ही अपने तीन दोस्तों पेपर, ग्रीस और वाजा के साथ फंक्शन्स में परफॉर्मेंस भी करता है। तभी न्यूयॉर्क से क्रिस (नरगिस फाखरी) मुम्बई आती है, जिसका मकसद यहां के लोकल बैंजो प्लेयर्स के साथ 2 गाने रिकॉर्ड करना है, जिनको वो न्यूयॉर्क के एक म्यूजिक कॉम्पिटिशन में भेज सके। क्रिस के मुम्बई आने पर कहानी में बहुत सारे ट्विस्ट और मोड़ आते हैं और आखिरकार एक रिजल्ट सामने आता है, जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी। हम आपको बता दें कि 137:47 मिनट की पूरी कहानी मायानगरी मुंबई की स्लम बस्तियों के इर्द-गिर्द घूमती है।
अभिनय…
बॉलीवुड समेत मराठी फिल्मों में भी अपने दमदार अभिनय की बदौलत अलग ओहदा बनाने में सफल रहे रितेश देशमुख ने इसमें भी गजब रोल निभाया है। उन्होंने तरात के किरदार को अपने निराले अंदाज में ही पेश किया है, जो लोगों को काफी हद तक पसंद भी आया। साथ ही नरगिस फाखरी भी रितेश के साथ बहुत की कूल और अनोखे रोल में दिखाई दीं। उन्होंने अभिनय में अपना शत-प्रतिशत दिया है। इसके अलावा धर्मेश येलांडे रितेश के दोस्त के किरदार में खूब जंचे। धर्मेश कोरियाग्राफी के अलावा अभिनय में भी अपना लोहा मनवाने में सफल होते से नजर आ रहे हैं।
निर्देशन…
बॉलीवुड में अपनी पहली ही फिल्म से निर्देशक रवि जाधव ने लोगों को बता दिया है कि भाषा चाहें जो भी, बस जरूरत होती है तो सिर्फ निर्देशन के समझ की। उन्होंने म्यूजिकल एक्शन ड्रामे की कमान संभालने में हर संभव प्रयास किया है। निर्देशक ने इसमें हर तरह के प्रयोग तो किए हैं और एक्शन का गजब तड़का भी लगाया है। संगीत की दुनिया में उन्होंने वाकई में कुछ अलग करने का भरपूर प्रयास किया है, इसीलिए वे कई मायनों में दर्शकों की वाहवाही लूटने में सफल होते दिख रहे हैं।
कमजोर कड़ी…
फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी कहानी है, जो फस्र्ट हाफ में काफी धीमी है साथ ही कुछ गीत ऐसे भी आते हैं, जो कहानी की रफ्तार को कमजोर बनाते हैं। स्टार वैल्यू की वजह से भी कमाई पर असर पड़ सकता है।
गीत-संगीत…
फिल्म का बैंजो है, इससे यह लगता है कि ये एक संगीत प्रधान फिल्म है। हालांकि विशाल-शेखर की जोड़ी ने फिल्म का म्यूजिक अच्छा दिया है और हरेक गीत को फिल्म से जोडऩे की भरपूर कोशिश की है, लेकिन कुछ गाने फिल्म की कहानी पर भारी पड़ते नजर आते हैं।
क्यों देखें…
फिल्म की कहानी में कोई दम नहीं है, लेकिन रितेश देशमुख और नरगिस फाखरी को एक अलग अंदाज में देखने की चाहत रखने वाले सिनेमाघरों की ओर बेझिझक रुख कर सकते हैं।