स्टार कास्ट: नेहा शर्मा , आदित्य सील, आशिम गुलाटी, कंवलजीत सिंह ,मेहर विज , सोनिया बलानी, रेटिंग: 2 स्टार
निर्माता: अनुभव सिन्हा-भूषण कुमार
डायरेक्टर: अनुभव सिन्हा
मुंबई। इस सप्ताह दो फिल्में रिलीज हुईं। फोर्स 2 और तुम बिन 2। इलके टाइटल से ही आपको अंदाजा हो गया होगा कि ये दोनों फिल्में सीक्वल हैं। ये दोनों ऐसी फिल्में हैं, जिनका पहला पार्ट यानी तुम बिन और फोर्स ने बॉक्स ऑफिस पर बेहद कामयाब रही हैं। दोनों फिल्मों को जोनर अलग है। एक रोमांटिक लव स्टोरी पर बेस्ड है, तो दूसरी एक्शन ड्रामा…। जहां तक बात तुम बिन 2 की है, तो इसका पहला भाग 15 साल पहले यानी 2001 में रिलीज हुआ था। फिल्म का गीत-संगीत सुपरहिट था। फिल्म ने कारोबार भी अच्छा किया था। फिल्म को काफी सराहना मिली थी। 15 साल बाद अब तुम बिन के सीक्वल की चर्चा है। सवाल यह है कि तुम बिन 2 दर्शकों को कितना पसंद आएगी। तो यदि आप फिल्म देखने का मन बना रहे हैं, तो फिलम की कहानी और उसके दूसरे पक्षों के बारे में जान लें, उसके बाद ही फैसला लें कि फिल्म देखने जाना चाहिए या नहीं…।
कहानी…
फिल्म की कहानी के केंद्र में है स्कॉटलैंड। यहां तरन (नेहा शर्मा) अपने मंगेतर अमर (आशिम गुलाटी) को एक स्कीईंग एक्सीडेंट में खो देती है, लेकिन इस एक्सीडेंट के आठ महीने बाद धीरे-धीरे तरन अपनी बहनों और अमर के पिता (कंवलजीत) के साथ इस हादसे को भुलाकर जिंदगी में आगे बढऩे की कोशिश करती है, लेकिन बार-बार उसको अमर की याद आती है, उसके साथ गुजारे पल सामने आ जाते हैं। इसी दौरान कहानी में टिवस्ट आता है। कहानी में एक नए किरदार शेखर (आदित्य सील) की एंट्री होती है जो 26 साल की उम्र में बहुत सी घटनाओं का सामना कर चुका है। तरन से उसकी मुलाकात होती है और दोनों में दोस्ती गहतरी हो जाती है। तरन पिछले दर्द को भूलने लगती है और शेखर का उसे अच्छा लगने लगता है। लेकिन यहां सबके जेहन में एक सवाल उठेगा कि क्या तरन अपने पहले प्यार को भुला पएंगी? क्या पिछली सारी बातें भूलकर शेखर से शादी कर लेगी? वह दिल की सुनती है या दिमाग की? तरन पुरानी यादों के सहारे जीवन में आगे बढ़ेगी या फिर शेखर के साथ? यही वो सवाल हैं, जिनका जवाब आपको थिएटर में ही मिलेंगे।
कमियां-खामियां…
फिल्म में एक नहीं, कई खामियां नजर आती हैं। मसलन, फिल्म की लंबाई। पुरानी घिसी-पिटी कहानी। कमजोर एडिटिंग। हां, फिल्म के लोकेशन दिल को छूते हैं, लेकिन फिल्म की लंबाई कम होती, तो शायद बात बन जाती, क्योंकि ये जमाना फटाफट किक्रेट का है। टेस्ट मैच देखने की किसे फुरसत है। फिल्म में गानों का भरमार है। ऐसे लगता है, जैसे हम फिल्म देखने नहीं, बल्कि कोई अलबम देख रहे हैं, जिसमें कई गाने डाले गए हैं। क्लाइमेक्स भी दमदार नहीं है। कुछ चीजें जबरदस्ती ठूंसी गई-सी प्रतीत होती हैं।
क्यों देखें?
इसमें कोई दोराय नहीं कि फिल्म का गीत-संगीत पक्ष मजबूत है, लेकिन आज के जमाने में कोई फिल्म गीतों के दम पर बॉक्स ऑफिस कमाल नहीं देखा सकती। इसके अलावा लोकेशन शानदार हैं। खूबसूरत वादियां, पहाड़ देखकर आप खुश हो सकते हैं। कलाकारों का अभिनय भी अच्छा है। नेहा ने अच्छा काम किया है। फिल्म में शेरो-शायरी भी है, जो आपको आकर्षित कर सकती है। फिल्म फस्र्ट हाफ तक बांधे रखती है, लेकिन दूसरे हाफ में आप यकीनन बोर हो जाएंगे। ऐसे में यदि आप पर नोटबंदी का असर न हो, तो टाइम पास के लिए फिल्म देखी जा सकती है।