युवाओं के इर्द-गिर्द बुनी गई जुबान में युवाओं के सपने और उनकी मंजिल की तलाश को बहुत ही खूबसूरती के साथ पेश किया गया है…
पत्रिका एंटरटेनमेंट। निर्माता गुनीता मोंगा ऑफबीट फिल्म बनाने के लिए माहिर हैं। जिन दर्शकों ने द लंच बॉक्स और मसान देखी है, वो इस बात से इत्तफाक रखेंगे। इसमें कोई दोराय नहीं कि उन्होंने शान व्यास के साथ मिलकर एक बार फिर श्रेष्ठ सिनेमा की रचना की है, जो असर छोड़ती है। फिल्म है जुबान। यह फिल्म युवाओं के इर्द-गिर्द बुनी गई है, जिसमें युवाओं के सपने और उनकी मंजिल की तलाश को बहुत ही खूबसूरती के साथ पिरोया गया है। इसकी कहानी संदेश भी देती है। इंडस्ट्री में कुछ गिने-चुने निर्माता-निर्देशक ही हैं, जो असरदार सिनेमा को अहमियत देते हैं। इस पंक्ति में यकीनन अब गुनीता मोंगा भी शुमार हो गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिल में सराही गई जुबान…
एशिया के सबसे बड़े फिल्म फेस्टिवल बुसान फिल्म फेस्टिवल में जबरदस्त सराहना पाने के बाद फिल्म जुबान शुक्रवार को रिलीज हुई। फिल्म को द लंच बॉक्स और मसान के निर्माता गुनीता मोंगा और शान व्यास ने मिलकर जुबान फिल्म बनाई है। अपनी पिछली दोनों फिल्मों की तरह इस बार भी उन्होंने दर्शकों को एक अलग और हटके कहानी के साथ एक खास संदेश देनी की कोशिश की है। फिल्म में मसान फेम एक्टर विका कौशल और एंग्री इंडियन गॉडेस की एक्ट्रेस सारा जेन डायस लीड रोल में हैं। आइए एक नजर डालते हैं मंजिल की तलाश में सपनों के पीछे भागते नौजवानों की राह बनी जुबान की पृष्ठभूमि के बारे में…
जुबान की कहानी…
पंजाब के छोट से गांव गुरुदासपूर का एक नौजवान दिलशेर (विकी कौशल) जो जुबान से हकलाता है, लेकिन बड़ा आदमी बनने का सपना लेकर दिल्ली पहुंचता है। गुरुदासपूर का साधारण शख्स गुरुचरण सिकंद (मनीष चौधरी) दिल्ली का बहुत बड़ा बिजनेसमैन होता है। इसी गुरुचरण सिकंद की वजह से दिलशेर दिल्ली आता है, क्योंकि बचपन में गुरुचरण ही दिलशेर को अपनी मेहनत से अपनी तकदीर बनाने की सीख देता है। काफी मशक्कत के बाद आखिरकार दिलशेर की गुरुचरण से मुलाकात होती है और उसे वो सब मिल जाता है, जो वह चाहता है। उधर, दिलशेर की वजह से गुरुचरण की पत्नी (मेघना मलिक) और बेटा सूरया सिकंद (राघव चनना) में तनाव पैदा हो जाता है। इसी बीच सूरया की दोस्त अमिरा (सारा जेन डायस) जो एक बेहतरीन सिंगर है, उससे दिलशेर की दोस्ती होती है।
अमिरा के जरिए दिलशेर को इस बात का अंदाजा होता है कि वो जब गाता है, तो हकलाता नहीं है। लेकिन फिर भी इस बात को ज्यादा गंभीरता से ना लेते हुए दिलशेर अपने मालिक गुरुचरण के आदेश का पालन करने में ही अपनी भलाई समझता है। दिलशेर की गुरुचरण की बढ़ती नजदीकियों के कारण सूरया और उसकी मां दिलशेर को नापंसद करने लगते हैं। दिलशेर को एहसास होता है कि उसके कारण सिकंद परिवार में झगड़े हो रहे हैं, लेकिन आखिरकार दिलशेर को इस बात का पता लगता है कि वो जिस कामयाबी को हासिल कर चुका है वह उसके टैलेंट की बदौलत नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश के तहत उसे मिला है, तो वह भौचक्का रह जाता है। अंत में दिलशेर इस झूठी कामयाबी को ठोकर मारकर वह राह चुनता है, जिसके लिए वह बना हुआ होता है। इस तरह से मजिल की तलाश में सपनों के पीछे भागने वाले दिलशेर को कामयाबी की सही राह नजर आती है और वह दिलशेर से शेरदिल बन जाता है।
बेहतरीन निर्देशन…
किसी भी निर्देशक को एक नई कहानी को दर्शकों के सामने रखना आसान नहीं होता। लेकिन निर्देशक मोजेज सिंह का बेहतरीन निर्देशन फिल्म को कमजोर नहीं पडऩे देता। कहते हैं अच्छी कहानी को अच्छा निर्देशक मिल जाए, तो सोने पे सुहागा का काम करता है। मोजेज ने अपने निर्देशन कौशल का बखूबी परिचय दिया है और फिल्म के ज्यादातर सीन वास्तविक लगते हैं। इसी वजह से बुसान फिल्म फेस्टिवल में उन्हें राइजिंग डायरेक्टर के खिताब से नवाजा गया है।
अभिनय कौशल…
विकी कौशल और सारा जेन डायस ने अपनी पिछली फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी शानदार एक्टिंग करते नजर आए। मनीष चौधरी ने भी अपनी डायलॉग डिलीवरी और एक्सप्रेशन से दर्शकों को प्रभावित करने में सफल हुए हैं।
गीत-संगीत…
फिल्म का गीत-संगीत पक्ष उतना मजबूत नहीं है, जितना होना चाहिए। लेकिन ऑफबीट फिलमों में संगीत की कोई खास उपयोगिता नहीं होती है। बावजूद इसके आशुतोष पाठक का संगीत कानों कोसुकून देने वाला है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर प्रभावित करता है।
- मजबूत पक्ष…
- – फिल्म की कहानी नई है। इस साल अब तक जितनी फिल्में रिलीज हुईं, उनमे से जुबान की कहानी बेहद हटके है।
- – एक अच्छी कहानी को अच्छे अदाकार मिल जाएं, तो चार चांद लग जाते हैं। विकी, मनीष और सारा ने अपनी अदाकारी से इस कहानी को बेहतर बना दिया है।
- – यह एक ऐसी फिल्म है, जिसे फैमिली के साथ बैठकर देख सकते हैं।
- कमजोर कड़ी…
- – फिल्म की कहानी और एक्टिंग बेशक उम्दा है, लेकिन फिल्म कई जगह स्लो हो जाती है, जिसकी वजह से दर्शक पेशंस खो सकते हैं।
- 2- फिल्म में लव स्टोरी का भी एंगल डालने की कोशिश की गई है, लेकिन वो महज गानों के ज़रिए ही जाहिर की गई है। हिंदी फिल्म के दर्शकों को यह बात खटक सकती है।
- 3-फिल्म ने भले ही बुसान फिल्म फेस्टिवल में कामयाबी के झंडे गाड़े हों, लेकिन सभी को यह फिम पसंद आएगी, यह कह पाना बेहद मुश्किल होगा।
इसलिए देखें…
जुबान फिल्म देखने के लिए आपको पेशंस की भले जरूरत हो, लेकिन यह फिल्म आपकी धड़कने यकीनन बढ़ा सकती है। साथ ही फिल्म दर्शकों को आखिर तक बांधे रखने में कामयाब भी होती है। सभी वर्ग के लोग इस फिल्म को देख सकते हैं ।
रेटिंग: 3/5