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यह है एकदंत की 4 कहानियां, इनका एक मंत्र बदल देता है तकदीर

Published: Sep 03, 2016 05:49:00 pm

Submitted by:

Manish Gite

mp.patrika.com आपको बताने जा रहा है कि गणेशजी को एकदंत क्यों कहा जाता है और उसके पीछे कौन-कौन सी कहानियां प्रचलित है। उनके एक दंत टूटने के पीछे कई कहानियां हैं। जिनमें से तीन प्रमुख हैं।

Ganesh Chaturthi 2016

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हिन्दू संस्कृति में भगवान गणेश को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणएश की ही आराधना की जाती है। देवता भी अपने कार्यों की बगैर किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेशजी की पूजा करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि देवगणों ने स्वयं अनकी अग्रपूजा का विधान बनाया है। पुराणों में बताया गया है कि गणेशजी की भक्ति शनि समेत सारे ग्रह दोषों को दूर करने वाली होती है। गणेशजी की पूजा करने से व्यक्ति का सुख और सौभाग्य बढ़ता है वहीं सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। 

mp.patrika.com आपको बताने जा रहा है कि गणेशजी को एकदंत क्यों कहा जाता है और उसके पीछे कौन-कौन सी कहानियां प्रचलित है। उनके एक दंत टूटने के पीछे कई कहानियां हैं। जिनमें से 4 प्रमुख हैं।


1. जब परशुरामजी ने तोड़ा गणेशजी का एक दंत
पुराणों में बताया गया है कि एक बार विष्मु अवतार भगवान परशुराम जी शिवजी से मिलने कैलाश पर्वत पर गए थे। उस दौरान शिव पुत्र गणेशजी ने उन्हें उनसे मिलने से रोक दिया और उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी। इस बात से परशुरामजी बेहद क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेशजी को युद्ध के लिए चुनौती दे डाली। गणेशजी भी पीछे हटने वालों में से नहीं थे। उन्होंने परशुरामजी की यह चुनौती स्वीकार कर ली। दोनों में घोर युद्ध हुआ। इसी युद्ध में परशुरामजी के फरसे से उनका एक दंत टूट गया। तभी से वे एकदंत कहलाए।

2. कार्तिकेय ने तोड़ा था दंत
भविष्य पुराण में एक कथा बताई गई है, जिसमें कार्तिकेय ने अपने भाई गणेश ता दंत तोड़ दिया था। हम सभी जानते हैं कि गणेशजी बचपन से ही बेहद नटखट थे। एक बार उनकी शरारतें बढ़ती जा रही थी और उन्होंने अपने बड़े भाई कार्तिकेय को भी परेशान करना शुरू कर दिया था। इन सब हरकतों से परेशान होकर कार्तिकेय ने उन पर हमला कर दिया। इस हमले में भगवान गणेश को एक दांत गंवाना पड़ गया था। यही दांत कई मूर्तियों और फोटो में गणेशजी के हाथों में दिखाया जाता है।

3. महाभारत लिखने खुद का तोड़ा दांत
एक अन्य कथा यह भी है कि महर्षि वेदव्यास को महाभारत लिखने के लिए बुद्धिमान किसी लेखक की आवश्यकता थी। उन्होंने इस कार्य के लिए भगवान गणेश को चुना था। गणेश इस कार्य के लिए मान तो गए थे, लेकिन उन्होंने एक शर्त भी रख दी थी कि वेदव्यासजी महाभारत लिखाते समय बोलना बंद नहीं करेंगे तब श्री गणेशजी ने अपना एक दंत तोड़कर उसकी कलम बना ली। इसी प्रकार वेद व्यासजी के वचनों पर महाभारत लिखी गई।


4. राक्षस को मारने के लिए तोड़ा था दंत
एक कथा यह भी है कि जब गजमुखासर नामक एक असुर से गजानन का युद्ध हुआ। उस समय गजमुखासुर को यह वरदान मिला हुआ था कि वह किसी भी अस्त्र से नहीं मर सकता है। गणेशजी ने इसे मारने के लिए अपने एक दांत को तोड़ा और गजमुखासुर पर वार किया। गजमुखासुर इससे खबरा गया और मूषक बनकर भागने लगा था। इसके बाद गणेश भगवान ने अपनी शक्ति से उसे बांध लिया और उसे अपना वाहन बना लिया।


शक्तिशाली है एकदंत का यह मंत्र
यदि आप इस गणेश चतुर्थी से सालभर चतुर्थी के दिन व्रत का संकल्प लेते हैं तो आने वाले समय में आपके जीवन में चमत्कारिक बदलाव हो सकते हैं। यदि आप पूरे साल की चतुर्थी का व्रत नहीं कर सकते तो सिर्फ एक मंत्रा का जाप ही आपकी तकदीर बदल सकता है।


यह है चमत्कारी मंत्र
गं गणपतये नमः
1. प्रातः स्नान के बाद कुश या ऊनी आसन पर पूरब या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बैठे।
2.गणेशजी की प्रतिमा को अपने सामने विराजे।
3.चंदन,दीप,धूप और मोदक से पूजन करें।
4.गणेशजी का स्मरण करें और उनका ध्यान करं।
5.शुद्ध घी का दीपक जलाकर मंत्र का जप करें।
6. दस दिनों तक लगातार इस मंत्र की 11,31,51 या 108 माला जपें।

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