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Janmashtami 2017 पर होगा चमत्कार! यहां पर लड्डू गोपाल पलक झपकते ही पी जाते है पेप्सी और चाय

locationभोपालPublished: Aug 14, 2017 11:03:00 am

Submitted by:

Manish Gite

mp.patrika.com जन्माष्टमी के मौके पर बताने जा रहा है ऐसे ही लड्डू गोपाल के बारे में जो हर साल भोपाल आते हैं और अपनी इन मजेदार हरकतों से…

janmashtami 2017

भोपाल। क्या कोई मूर्ति चाय पी सकती है। क्या कोई प्रतिमा बच्चों के जैसे दूध उगल सकती है। क्या किसी मूर्ति का आकार बढ़ सकता है। शायद नहीं, पर ऐसा होता है। हर साल भोपाल आने वाली इस मूर्ति का आकार दिनों दिन बढ़ रहा है और इस धातु की मूर्ति के मुंह पर यदि चाय, दूध या पेप्सी से भरा चम्मच लगाएंगे तो वो देखते ही देखते गायब हो जाता है।

mp.patrika.com Janmashtami 2017 के मौके पर बताने जा रहा है चमत्कारिक लड्डू गोपाल ( श्री कृष्ण ) के बारे में जो हर साल भोपाल आते हैं और अपनी इन मजेदार हरकतों से..

धातु के लड्डू गोपाल की एक मूर्ति हमेशा ही चर्चा में रहती है। कुछ माह पहले ही यह मूर्ति दो परिवारों के घर सप्ताह भरके लिए आई थी। लोगों का मानना है कि उन्होंने इस मूर्ति का आकार बढ़ते हुए देखा है। इतना ही नहीं इस मूर्ति को बच्चे की तरह दुलार दे रहे लोगों ने बताया कि यह लड्डू गोपाल अनोखे हैं। बच्चे की तरह सुबह-सुबह दूध उगल देते हैं और बढ़ों की तरह चाय सुड़क कर पी जाते हैं।

मेहमान बनकर आते हैं लड्डू गोपाल
भोपाल के ईश्वर नगर में लड्डू गोपाल की यह मूर्ति मेहमान बनकर आती है। लोगों के अनुसार यह चमत्कारिक प्रतिमा है। लड्डू गोपाल का आकर्षण इतना है कि इन्हें घर ले जाने वालों का तांता लगा रहता है। लड्डू गोपाल को पालने में झुलाने के लिए भी लोगों की भीड़ लग गई है। वे यहां कांग्रेस नेता ठाकुर ईश्वर सिंह चौहान के निवास पर हर साल अप्रैल में लाई जाती है। जो इनके घर मेहमान बनकर रहती है।

माखन-मिश्री कर जाते हैं चट
यह लड्डू गोपाल दही, दूध मक्खन, मिश्री सब खाते हैं। उन्हें लड्डू भी खिलाया जाता है। यह प्रतिमा एक के बाद एक भक्तों के निवास पर मेहमान बनकर पहुंचती है। कई भक्तों का नंबर दो-दो सालों में लगता है।
कई प्रदेश घूम चुके हैं लड्डू गोपाल
राजधानी के पंडित जगदीश शर्मा के अनुसार लड़्डू गोपाल की यह मूर्ति उत्तरप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के कई जिलों में भक्तों के निवास पर जा चुकी है। वहां तीन दिनों तक लाड़-प्यार से रखा जाता है उसके बाद दूसरे भक्त के पास चले जाते हैं।
मूर्ति का बढ़ रहा है आकार
भक्तों का कहना है कि कई धातुओं से मिलकर यह मूर्ति बनी है। इसका आकार भी लगातार बढ़ रहा है। भक्तों का भी मानना है कि हर साल इनका वजन बढ़ते हुए उन्होंने महसूस किया है।
बच्चों की तरह होता है दुलार
लड्डू गोपाल के साथ उनके भक्त एक बच्चे के समान ही व्यवहार करते हैं। लड्डू गोपाल को गर्मी हवा में घुमाना और गाय दिखाने भी ले जाया जाता है। बच्चे की तरह उन्हें खिलाया और पिलाया जाता है। लोरी सुनाकर उन्हें सुलाया जाता है।
यह भी खूबः दूध उगलते हैं चाय पी जाते हैं
लड्डू गोपाल के भक्त इस मूर्ति को चमत्कारिक मानते हैं। उनका कहना है कि जब सुबह-सुबह लड्डू गोपाल को उठाया जाता है और उन्हें बच्चों की तरह दूध पिलाया जाता है तो वह दूध उगल देते हैं। इसके बाद जब चाय पिलाई जाती है तो वह बडे़ ही शौक से पी जाते हैं। इसके बाद इन्हें दिन में नहलाया जाता है। मुकुट, मोरपंख, बांसुरी लगाकर उनका श्रंगार किया जाता है। शाम के बाद भजन गाकर बच्चे की तरह दिल बहलाया जाता है और रात को लोरिया गाकर बच्चे की तरह ही उन्हें सुलाया जाता है।
पूरी करते हैं पूरी करते हैं मुराद
लड्डू गोपाल के कानों में भक्त अपनी मुराद कहते हैं। लोगों का मानना है कि यह मुराद कुछ ही दिनों में पूरी हो जाती है। जो भी इच्छाएं उनके कानों में बोली जाती है, वह पूरी हो जाती है।
निसंतान वालों पर ज्यादा कृपा
माना जाता है कि जो लोग निःसंतान दंपती है। उन पर भगवान ज्यादा कृपा करते हैं। बाल गोपाल के बारे में कहा जाता है कि सभी निःसंतानों की मुराद वह सबसे पहले सुनते हैं। उन्होंने कई लोगों को संतान का आशीर्वाद दिया है।
सिवनी के परिवार की है यह मूर्ति
सिवनी के राजेश अर्चना जलज परिवार की है यह मूर्ति। सिवनी के जलज दंपती के साथ यह किस्सा बताया जाता है कि उनकी पत्नी अर्चना संतान नहीं होने पर वे लड्डू गोपाल की आराधना करती रहती थी। एक बार जब भाव-विभोर होकर भगवान से प्रार्थना करने लगी तो सपने में भगवान ने कहा कि मैं हूं। उसके बाद बाल रूप में जो लड्डू गोपाल स्वप्न में दिखते थे वही मूर्ति एक महात्मा ने उन्हें दे दी। इसके बाद जब वह मूर्ति स्थापित करने के प्रयास किए गए तो स्वप्न में दोबारा लड्डू गोपाल ने स्थापित करने से मना कर दिया। उसके बाद यह सिलसिला चल पड़ा। अब हर भक्त दो-चार दिनों के लिए लड्डू गोपाल को अपने घर ले जाता है और बच्चों की तरह देखभाल करता है।
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