गुरुवार और शुक्रवार को मनाया जाएगा, मुंडन, वास्तु पूजन, ग्रह प्रवेश समस्त मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा मां व्रन्दा का विवाह, उदयातिथि में मनाई जाएगी एकादशी।
खंडवा. देवउठनी एकादशी-ग्यारस इस बार दो दिन मनाई जाएगी। क्योंकि आज 10 को स्मार्त शैव एकादशी व्रत, कल 11 को वैष्णव निम्बार्काणाम प्रबोधनी एकादशी व्रत पर तुलसी विवाह होगा। हालांकि पंडि़तों के मुताबिक मनोवांछित फल प्राप्ती के लिए महिला-पुरुष को दोनों ही दिन उपवास रखना चाहिए। इसके साथ ही चार महीने का चातुर्मास समाप्त होगा। देवशयन काल समाप्त होते ही लोग गन्ने का मंडप सजाकर तुलसी व सालिगराम का विवाह करेंगे।
सराफा शीतला माता मंदिर के पंडित अंकित मार्केंडेय के मुताबिक 10 नवंबर देवउठनी एकादशी से विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य के मुहूर्त शुरू होंगे। 11 नवंबर को भी एकादशी मनाई जाएगी। हालांकि विवाह मुहूर्त 16 नवंबर से ही शुरू होंगे। एकादशी तिथि 10 नवंबर को सुबह 11.21 बजे से एकादशी तिथि समाप्त 11 नवम्बर को 9.12 बजे तक रहेगी। इसके साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
शादियां 16 से अभी यह कार्य शुरू
देव उठनी एकादशी से मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। हालांकि हर साल खोपड़ी ग्यारस पर शादियों के मुहूर्त होते हैं लेकिन इस बार नहीं है। वहीं 16 तारीक से शादियों के मुहूर्त है। हालांकि ग्यारस के बाद से मुंडन, वास्तु पूजन, ग्रह प्रवेश समस्त मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
कब कौन सा श्रेष्ठ मुहूर्त
नवंबर में 16, 17, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30
दिसंबर में 1, 3, 8, 9, 12, 13, 14
जनवरी में 15, 17, 20, 22, 23
फरवरी में 1, 2, 11, 13, 14, 16, 21, 22, 28
मार्च में 4, 6, 10, 12, 13, 14
शरद ऋतु में इस बार ज्यादा विवाह
शरद ऋतु में इस साल 39 दिन ऐसे हैं जिनमें विवाह हो सकते हैं। इसमें सबसे अधिक योग इसी माह में हैं। नवंबर में 12 दिनों के शुभ मुहूर्त हैं। कुछ दिवसों में यदि विवाह का योग रात में नहीं बनता है तो दिन के वक्त ये कार्य पूरे हो सकते हैं।