सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) की अपील पर केंद्र ने आयात शुल्क घटाकर कुछ राहत दी थी। अब तेल मिलों को कीमतें घटाने पर जोर दिया जा रहा है। पिछले 40 दिनों में खाद्य तेलों के दाम 10-12 फीसदी तक गिरे हैं। इस साल 30 फीसदी अधिक सरसो तथा 10 लाख टन अधिक तेल का उत्पादन की संभावना है।
केंद्र सरकार खाद्य तेल के मामले में वर्ष 2025-30 तक आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है। वर्ष 2021-22 के लिए तिलहन उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाकर 38 मिलियन टन किया गया है। भारत कुल खपत का 30 फीसद उत्पादन करता है जिसे भारत सरकार 2030 तक तीन गुना करने की योजना बना रही है।
दलहन मूल्य वृद्धि
मूंगफली 19
सरसों 44
वनस्पति 46
सोयाबीन 49
सूरजमुखी 38
पामोलिन 62
स्रोत : उपभोक्ता मंत्रालय (अक्टूबर, 2020 से अक्टूबर, 2021) भारत में तिलहन उत्पादक राज्य
कुल तिलहन मध्य प्रदेश (प्रथम)
सोयाबीन मध्य प्रदेश
मूंगफली गुजरात
सरसों राजस्थान
सूरजमुखी कर्नाटक
नारियल तमिलनाडु
कुसुम महाराष्ट्र
दलहन
77 प्रतिशत दलहन उत्पादन देश में, बाकी आयात
96 फीसदी दाल का उत्पादन देश के 11 राज्य कर रहे
113.5 लाख टन चने का 2019-20 सर्वाधिक दशकीय उत्पादन
देश में कुल दलहन उत्पादन का लगभग 64 फीसदी रबी से, 30 प्रतिशत खरीफ और 6 प्रतिशत जायद से प्राप्त होता है। वर्तमान में दलहन उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। मध्य प्रदेश, यूपी, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान और तमिलनाडु कुल दाल उत्पादन में 96 फीसदी की हिस्सेदारी करते हैं।
सितंबर में जारी पहले अनुमान के मुताबिक खरीफ में दलहन का उत्पादन 94.5 लाख टन रहने की संभावना है, जो पिछले साल की तुलना में 8.74 प्रतिशत ज्यादा होगा। इनमें से अरहर, जिसका खरीफ में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है, का उत्पादन 44.3 लाख टन होने का अनुमान है,जो पिछले साल से 3.5 प्रतिशत ज्यादा है।
दलहन उत्पादन (प्रतिशत)
मध्य प्रदेश 24
उत्तर प्रदेश 16
महाराष्ट 14
आन्ध्र प्रदेश 10
कर्नाटक 7
राजस्थान 6
गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा और झारखण्ड 23 एमएसपी रबी सीजन 2021-2022
दलहन एमएसपी
चना 5,100
मसूर 5,100
अरहर 6000
उड़द 7196 सटोरिये बढ़ा देते हैं मूल्य
दलहनी-तिलहनी फसलों का रकबा बढऩे से 10 फीसदी तक उत्पादन बढ़ सकता है। अगर वैश्विक बाजार में तेजी नहीं रही तो देश के घरेलू बाजार को राहत मिल सकती है। हालांकि तेल और दाल का भाव बड़े सटोरियों के हाथ में है, जो अपने हिसाब से मूल्य तय करते हैं।
– शंकर ठक्कर, अध्यक्ष, अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ
अगले महीनों में और घटेंगे दाम
आने वाले एक दो महीनों में प्रति लीटर 10-15 रुपए दाम घट सकते हैं क्योंकि खेतों से तिलहन की फसल निकलेगी और पेराई का नया सीजन शुरू होगा। वैश्विक बाजार में तिलहन-तेल के दाम में गिरावट देखी जा रही है जिसका असर घरेलू बाजार पर भी दिखेगा।
– अतुल चतुर्वेदी, अध्यक्ष, सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन