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अबकी साल… गरीब भी खा सकेंगे सब्जी दाल

locationमुंबईPublished: Dec 23, 2021 09:53:01 pm

Submitted by:

arun Kumar

– तिलहन का रकबा 18.92 लाख हेक्टेयर तो दलहन का 50,000 हेक्टेयर बढ़ा- राजस्थान ने लक्ष्य से एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र मेंं बोई सरसों- देश में 8.74 फीसदी ज्यादा दलहन उत्पादन का अनुमान- 70,000 करोड़ रुपए आयात पर खर्च- 60 प्रतिशत तेल आयात करता है भारत- 31 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया

अबकी साल... गरीब भी खा सकेंगे सब्जी दाल

अबकी साल… गरीब भी खा सकेंगे सब्जी दाल

अरुण कुमार
जयपुर. देश के कुछ हिस्सों में रबी की बुवाई पूरी हो चुकी है तो कुछ जगह अंतिम दौर में है। अक्टूबर में हुई बारिश के चलते बुवाई में देरी हुई मगर रकबा काफी बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि गेहूं की अपेक्षा दलहन और तिलहन के रकबे में सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई है। वैश्विक बाजार भी मंद रहने के साथ महंगाई की उम्मीद कम है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बेमौसम ओला-बारिश नहीं हुई तो अगले साल गरीब भी रोटी के साथ दाल- सब्जी खा सकेंगे।
दलहन का रकबा पिछले साल के मुकाबले 50,000 हेक्टेयर अधिक है। बीते साल 113.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन की बुवाई हुई थी, जो इस बार 113.98 लाख हेक्टेयर है। गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना, झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्यों में अधिक क्षेत्र में बुवाई हुई है।
इस बार रबी की फसलों में तिलहन के रकबे में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई है। दिसंबर के पहले सप्ताह तक 83.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन की बुवाई हुई है। पिछले साल यह 64.73 लाख हेक्टेयर थी। यानी इस बार आंकड़ा 18.92 लाख हेक्टेयर अधिक है। 120 लाख टन सोयाबीन और 80 लाख टन अतिरिक्त मूंगफली की पैदावार होने की भी उम्मीद है। देश में राजस्थान सरसों का मुख्य उत्पादक राज्य है। यहां किसानों ने इस बार राज्य सरकार के लक्ष्य 27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से एक लाख हेक्टेयर में अधिक बुवाई की है।
40 दिन में 12 फीसदी गिरे तेल मूल्य
सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) की अपील पर केंद्र ने आयात शुल्क घटाकर कुछ राहत दी थी। अब तेल मिलों को कीमतें घटाने पर जोर दिया जा रहा है। पिछले 40 दिनों में खाद्य तेलों के दाम 10-12 फीसदी तक गिरे हैं। इस साल 30 फीसदी अधिक सरसो तथा 10 लाख टन अधिक तेल का उत्पादन की संभावना है।
आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम
केंद्र सरकार खाद्य तेल के मामले में वर्ष 2025-30 तक आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है। वर्ष 2021-22 के लिए तिलहन उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाकर 38 मिलियन टन किया गया है। भारत कुल खपत का 30 फीसद उत्पादन करता है जिसे भारत सरकार 2030 तक तीन गुना करने की योजना बना रही है।
एक साल में बढ़े तेल के दाम (फीसदी)
दलहन मूल्य वृद्धि
मूंगफली 19
सरसों 44
वनस्पति 46
सोयाबीन 49
सूरजमुखी 38
पामोलिन 62
स्रोत : उपभोक्ता मंत्रालय (अक्टूबर, 2020 से अक्टूबर, 2021)

भारत में तिलहन उत्पादक राज्य
कुल तिलहन मध्य प्रदेश (प्रथम)
सोयाबीन मध्य प्रदेश
मूंगफली गुजरात
सरसों राजस्थान
सूरजमुखी कर्नाटक
नारियल तमिलनाडु
कुसुम महाराष्ट्र

दलहन
77 प्रतिशत दलहन उत्पादन देश में, बाकी आयात
96 फीसदी दाल का उत्पादन देश के 11 राज्य कर रहे
113.5 लाख टन चने का 2019-20 सर्वाधिक दशकीय उत्पादन
देश में दलहन का उत्पादन
देश में कुल दलहन उत्पादन का लगभग 64 फीसदी रबी से, 30 प्रतिशत खरीफ और 6 प्रतिशत जायद से प्राप्त होता है। वर्तमान में दलहन उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। मध्य प्रदेश, यूपी, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान और तमिलनाडु कुल दाल उत्पादन में 96 फीसदी की हिस्सेदारी करते हैं।
94.5 लाख टन उत्पादन संभव
सितंबर में जारी पहले अनुमान के मुताबिक खरीफ में दलहन का उत्पादन 94.5 लाख टन रहने की संभावना है, जो पिछले साल की तुलना में 8.74 प्रतिशत ज्यादा होगा। इनमें से अरहर, जिसका खरीफ में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है, का उत्पादन 44.3 लाख टन होने का अनुमान है,जो पिछले साल से 3.5 प्रतिशत ज्यादा है।
प्रमुख दहलन उत्पादक राज्य
दलहन उत्पादन (प्रतिशत)
मध्य प्रदेश 24
उत्तर प्रदेश 16
महाराष्ट 14
आन्ध्र प्रदेश 10
कर्नाटक 7
राजस्थान 6
गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा और झारखण्ड 23

एमएसपी रबी सीजन 2021-2022
दलहन एमएसपी
चना 5,100
मसूर 5,100
अरहर 6000
उड़द 7196

सटोरिये बढ़ा देते हैं मूल्य
दलहनी-तिलहनी फसलों का रकबा बढऩे से 10 फीसदी तक उत्पादन बढ़ सकता है। अगर वैश्विक बाजार में तेजी नहीं रही तो देश के घरेलू बाजार को राहत मिल सकती है। हालांकि तेल और दाल का भाव बड़े सटोरियों के हाथ में है, जो अपने हिसाब से मूल्य तय करते हैं।
– शंकर ठक्कर, अध्यक्ष, अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ

अगले महीनों में और घटेंगे दाम
आने वाले एक दो महीनों में प्रति लीटर 10-15 रुपए दाम घट सकते हैं क्योंकि खेतों से तिलहन की फसल निकलेगी और पेराई का नया सीजन शुरू होगा। वैश्विक बाजार में तिलहन-तेल के दाम में गिरावट देखी जा रही है जिसका असर घरेलू बाजार पर भी दिखेगा।
– अतुल चतुर्वेदी, अध्यक्ष, सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन

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