ट्रस्ट के नियमों का पालन नहीं रिपोर्ट के अनुसार वाडिया अस्पताल सरकारी नियमों का पालन भी नहीं कर रहा है। यहां पर वर्ष 2010-11 में 50 और वर्ष 2016-17 में 89 मरीजों का इलाज मुफ्त में किया है। इसके लिए 50 से 60 करोड़ रुपए प्रति वर्ष खर्च बता कर अनुदान की मांग की गई है। बीएमसी के 300 बेड के अस्पताल को चलाने के लिए 12 से 13 करोड़ रुपए ही खर्च होते हैं जबकि मात्र 318 कर्मचारी ही लगते हैं। इन्हें 5वें वेतन आयोग के अनुसार भुगतान होता है। इससे भी कम मरीजों का इलाज करनेवाले नौरोसजी वाडिया हॉस्पिटल ने 50 से 60 करोड़ रुपए अनुदान की मांग की है।
अनुदान में कटौती का सुझाव वाडिया अस्पताल में 861 पद हैं, जिसके मुकाबले 733 कर्मचारी कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों को 6वें वेतन आयोग के अनुसार वेतन मिलता है। यह अस्पताल न तो गरीबों का मुफ्त इलाज करता है और न ही सरकार की ओर से संचालित अभियानों में ही शामिल होता है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि वाडिया हॉस्पिटल से सरकार को नुकसान हो रहा है। इसमें सुझाव दिया गया है कि नौरोसजी वाडिया हॉस्पिटल के अनुदान में अगले पांच साल तक हर साल 20 प्रतिशत कटौती की जाए।
बीएमसी अधिकारी साध गए चुप्पी इस मामले में बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही नहीं वाडिया अस्पताल की अधिकारी मिनी बोधनवाला ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। दो बार फोन और सन्देश दिए जाने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
कोट
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स्वास्थ्य विभाग को जानकारी नहीं
वाडिया अस्पताल के बारे में नकारात्मक रिपोर्ट है। बावजूद इसके वाडिया अस्पताल को निधि क्यों दी गई, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। प्रदीप व्यास , प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग
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स्वास्थ्य विभाग को जानकारी नहीं
वाडिया अस्पताल के बारे में नकारात्मक रिपोर्ट है। बावजूद इसके वाडिया अस्पताल को निधि क्यों दी गई, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। प्रदीप व्यास , प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग