scriptजनता के 25 करोड़ वाडिया हॉस्पिटल को दिए | 25 crore to the public of Wadia Hospital | Patrika News

जनता के 25 करोड़ वाडिया हॉस्पिटल को दिए

locationमुंबईPublished: Dec 14, 2018 10:12:57 pm

Submitted by:

arun Kumar

निजी हॉस्पिटल पर बीएमसी आयुक्त मेहरबान

25 crore to the public of Wadia Hospital

25 crore to the public of Wadia Hospital

स्वास्थ्य विभाग में हॉस्पिटल के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्ट लेखा परीक्षक दे चुके हैं अनुदान बंद करने का सुझाव

रामदिनेश यादव

मुंबई. आम लोगों की गाढ़ी कमाई से भरने वाली सरकारी तिजोरी को सेवा के नाम पर कुछ बड़े लोगों की संस्थाएं कैसे लूटती हैं, इसके लिए परेल स्थित नौरोसजी वाडिया हॉस्पिटल का उदाहरण ले सकते हैं। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग की नकारात्मक रिपोर्ट और अनुदान बंद करने से जुड़े लेखा परीक्षक के सुझाव को नजरअंदाज करते हुए बीएमसी आयुक्त अजोय मेहता के निर्देश पर नौरोसजी वाडिया मैटर्निटी हॉस्पिटल को 25 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए। लेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हॉस्पिटल ने फर्जी आंकड़ों के जरिए करोड़ों रुपए का अनुदान हासिल कर सरकारी धन का गबन किया है। सवाल उठे तो बीएमसी आयुक्त मामले पर चुप्पी साध गए हैं। ऐसे ही एक मामले में राज्य के वरिष्ठ मंत्री सुभाष देशमुख के खिलाफ कार्रवाई हुई है जब उन्होंने गायों की संख्या के फर्जी आंकड़े के सहारे पांच करोड़ रुपए का अनुदान पास कराया था। स्वास्थ्य विभाग की प्रतिकूल रिपोर्ट और लेखा परीक्षक के सुझाव को दरकिनार कर हॉस्पिटल को अनुदान की राशि प्रदान की गई है। सवाल किया जा रहा है कि आखिर वाडिया हॉस्पिटल के प्रबंधकों पर सरकार और बीएमसी मेहरबान क्यों है? गौतरलब है कि मुंबई में वाडिया के दो अस्पताल हैं। नौरोसजी वाडिया मैटर्निटी हॉस्पिटल है जबकि दूसरा बच्चों का अस्पताल है। दोनों के लिए वाडिया ने 116 करोड़ रुपए का अनुदान मांगा था। बीएमसी आयुक्त मेहता राज्य के वरिष्ठ आइएएस अफसर हैं। महाराष्ट्र के मुख्य सचिव की दौड़ में भी उनका नाम शामिल है। हकीकत चाहे जो ही, मगर दस्तावेजी सबूत तो यही साबित करते हैं कि अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर उन्होंने वाडिया हॉस्पिटल को पैसा जारी करवाया है। समाजसेवी विजय कनौजिया का कहना है कि अनुदान की राशि हासिल करने के लिए वाडिया हॉस्पिटल मीडिया के माध्यम से सरकार और बीएमसी पर दबाव बनाता है।
ट्रस्ट के नियमों का पालन नहीं

रिपोर्ट के अनुसार वाडिया अस्पताल सरकारी नियमों का पालन भी नहीं कर रहा है। यहां पर वर्ष 2010-11 में 50 और वर्ष 2016-17 में 89 मरीजों का इलाज मुफ्त में किया है। इसके लिए 50 से 60 करोड़ रुपए प्रति वर्ष खर्च बता कर अनुदान की मांग की गई है। बीएमसी के 300 बेड के अस्पताल को चलाने के लिए 12 से 13 करोड़ रुपए ही खर्च होते हैं जबकि मात्र 318 कर्मचारी ही लगते हैं। इन्हें 5वें वेतन आयोग के अनुसार भुगतान होता है। इससे भी कम मरीजों का इलाज करनेवाले नौरोसजी वाडिया हॉस्पिटल ने 50 से 60 करोड़ रुपए अनुदान की मांग की है।
अनुदान में कटौती का सुझाव

वाडिया अस्पताल में 861 पद हैं, जिसके मुकाबले 733 कर्मचारी कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों को 6वें वेतन आयोग के अनुसार वेतन मिलता है। यह अस्पताल न तो गरीबों का मुफ्त इलाज करता है और न ही सरकार की ओर से संचालित अभियानों में ही शामिल होता है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि वाडिया हॉस्पिटल से सरकार को नुकसान हो रहा है। इसमें सुझाव दिया गया है कि नौरोसजी वाडिया हॉस्पिटल के अनुदान में अगले पांच साल तक हर साल 20 प्रतिशत कटौती की जाए।
बीएमसी अधिकारी साध गए चुप्पी

इस मामले में बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही नहीं वाडिया अस्पताल की अधिकारी मिनी बोधनवाला ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। दो बार फोन और सन्देश दिए जाने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
कोट
———-
स्वास्थ्य विभाग को जानकारी नहीं
वाडिया अस्पताल के बारे में नकारात्मक रिपोर्ट है। बावजूद इसके वाडिया अस्पताल को निधि क्यों दी गई, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। प्रदीप व्यास , प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो