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आरटीआई से हुआ खुलासा: खूनी बनती जा रही है मुंबई लोकल, डेढ वर्ष में ली 3037 लागों की जान

locationमुंबईPublished: Sep 25, 2018 04:03:39 pm

Submitted by:

Prateek

मुंबईकरों ने मायानगरी की लाइफ लाइन को डेथ लाइन कहना शुरू कर दिया है…

कौशल पांडे की रिपोर्ट…

(नागपुर): मायानगरी मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली मुंबई लोकल अब खूनी लोकल बनती जा रही है। ये हम नहीं, बल्कि दिल दहला देने वाले मुंबई लोहामार्ग पुलिस आयुक्त कार्यालय के आंकड़े कह रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1 जनवरी 2017 से लेकर 37 जुलाई 2018 तक कुल 3037 लागों की मौत मुंबई लोकल से हुई है। जिसमें 2686 पुरूष और 451 महीला शामिल है। इस वर्ष जनवरी से जुलाई तक 1109 लोगों की मौत हुई है। अगर पिछले डेढ वर्ष के आंकड़े पर नजर डालें तो चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। प्रति दिन 6 लोगों की मौत लोकन ट्रैन से हो रही है। इसीलिए अब मुंबईकरों ने मायानगरी की लाइफ लाइन को डेथ लाइन कहना शुरू कर दिया है। मामले का खुलासा आरटीआई एक्टिविस्ट अभय कोलारकर ने सुचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर किया है।


कोलारकर ने आरटीआई के तहत मुंबई रेलवे पुलिस आयुक्त कार्यालय से 2017 से जुलाई 2018 तक सेंट्रल रेलवे द्वारा मुंबई में चलने वाली लोकल से कितने यात्रों की मौत हुई है। वहीं खंबो से टकराने, हाईटेन्शन तारों का करट लगने, दौड कर ट्रैन पकडने, नैसर्गिक व अन्य मृत्यू के आंकाडों की जारकारी मांगी थी।


क्रासिंग के दौरन सर्वाधिक हादसे

प्राप्त जानकारी के अनुसार लोकल ट्रेन से हुए हादसों में सर्वाधिक लोगों की मौत रेलवे क्रासिंग के दौरान हुई है। रेलवे ट्रैक क्रासिंग के दौरान पिछले डेढ वर्षों में कुल 1668 नागरिकों की मौत हुई है। जिसमें 1474 पुरूष और 194 महिलाए शामिल है। जिसमें से 2017 में 949 पुरूष और 125 महिला को मिलाकर कुल 1074 लोग की मौत हुई। जनवरी से जुलाई 2018 तक 594 लोग इस हादसे का शिकार हुए। इन 6 महीनों में 525 पुरूष और 69 महिला शामिल है। इससे साफ समझ में आता है कि रेलवे ट्रैक क्रासिंग के दौरान लोग आज भी सावधानी नहीं बरत रहे है। कई यूवा तो हेडफोन लगा कर बेहद तेज आवाज में रेलवे लाइन पर चलते है और पिछे से आ रही ट्रेन का शिकार हो जाते है। बावजूद इसके सरकार और रेलवे प्रशासन को ही दोष दिया जाता है।

ट्रेन से गिरने से 674 की मौत

मुंबई लोकल में हर दिन लोगों की भीड कि स्थिति बनी रहती है। पुरूष हो महीला या बच्चें हो हर कोई चलती ट्रेन में हादसे से बेखौफ होकर चढते और उतरते देखे जाते है। ऐसे में कई हादसे भी होते है। आंकडों के अनुसार 2017 से 31 जुलाई 2018 के बिच करीब 674 नागरिक चलती गाड़ी से गिरने का शिकार हुए है,जिसमें 608 पुरूष और 66 महिला शामिल है। इस वर्ष के शुरूवाती 6 महिनों में 238 पुरूष और 29 महिला को मिलाकर 267 लोग इस हादसे का शिकार हुए है। गत वर्ष 407 लोग चलती गाड़ी से गिरे और उनकी मौत हो गई। इसके अलावा कुल 548 लोगों की नैसर्गिक मृत्यू हुई है। जनवरी से जुलाई माह तक कुल 194 लोग की इस कारण मौत हुई है।


25 लोगों की मृत्यू का नहीं पता कारण

इस के अलावा 7 युवकों की स्टंट बाजी के दौरान विद्यूत पोल से टकराकर मौत हुई। जिसमें इस वर्ष कुल 5 युवकों की मौत हुई है, फिर भी युवा वर्ग ट्रेन में स्टंटबाजी करने से बाज नहीं आ रहे है। प्लेटफार्म और ट्रेन के बिच की गैप में फसने से 8 की मौत हुई। हाईटेन्शन तारों के चपेट में आने से 35 की मौत हुई, जिसमें 2017 में आंकडा 25 था। चलती रेल से कुदकर आत्महत्या करने वालों की संख्या 19 है। वहीं अन्य कारणों से 53 नागरिकों की मौत हुई है और 25 नागरिकों की मौत किस कारण से हुई इसका पता आज तक नहीं चला है।


कुछ स्टेशन पर बढाई जानी चाहिए सुरक्षा

2017 और जुलाई 2018 के आंकडों के अनुसार यह देखा गया है कि कुर्ला 541, ठाणे511, डोंबिवली 261 और कल्याण स्टेशन 583 के अंतर्गत सर्वाधिक हादसे लोकल ट्रैन से होने का खुलासा हुआ है। इन स्टेशनों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में अधिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रशासन को विचार विमर्श करना चाहिए।

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