सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की महाराष्ट्र इकाई के सचिव डॉ. सुहास पिंगले ने कहा कि हम नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के प्रावधानों के खिलाफ हैं। एसोसिएशन का कहना है कि यह विधेयक कानून बना तो डॉक्टरी की पढ़ाई और मंहगी हो जाएगी, जिसका खर्च सभी वहन नहीं कर पाएंगे। देश को ज्यादा संख्या में डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन मौजूदा विधेयक कानून बना तो कम संख्या में डॉक्टर बनेंगे। डॉक्टरों का कहना है कि यह गरीब और मरीज विरोधी बिल है, जिस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की महाराष्ट्र इकाई के सचिव डॉ. सुहास पिंगले ने कहा कि हम नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के प्रावधानों के खिलाफ हैं। एसोसिएशन का कहना है कि यह विधेयक कानून बना तो डॉक्टरी की पढ़ाई और मंहगी हो जाएगी, जिसका खर्च सभी वहन नहीं कर पाएंगे। देश को ज्यादा संख्या में डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन मौजूदा विधेयक कानून बना तो कम संख्या में डॉक्टर बनेंगे। डॉक्टरों का कहना है कि यह गरीब और मरीज विरोधी बिल है, जिस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।
एमएमआर रीजन में 12 हजार सदस्य
आईएमए की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष डॉ. होजी कापडिय़ा ने कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के तहत होमियोपैथी, आयुर्वेदिक डॉक्टरों समेत फिजियोथेरेपिस्ट और डेंटिस्ट ऐलोपैथी में प्रैक्टिस कर सकेंगे, जो मरीजों की जिंदगी के साथ सीधे खिलवाड़ है। इस बिल के पास होने से तीन लाख से ज्याजा नौसिखुवे डॉक्टरों को प्रैक्टिस करने की छूट मिल जाएगी। गौरतलब है कि राज्य में आईएमए के 45 हजार, जबकि एमएमआर रीजन में 12 हजार सदस्य हैं।
आईएमए की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष डॉ. होजी कापडिय़ा ने कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के तहत होमियोपैथी, आयुर्वेदिक डॉक्टरों समेत फिजियोथेरेपिस्ट और डेंटिस्ट ऐलोपैथी में प्रैक्टिस कर सकेंगे, जो मरीजों की जिंदगी के साथ सीधे खिलवाड़ है। इस बिल के पास होने से तीन लाख से ज्याजा नौसिखुवे डॉक्टरों को प्रैक्टिस करने की छूट मिल जाएगी। गौरतलब है कि राज्य में आईएमए के 45 हजार, जबकि एमएमआर रीजन में 12 हजार सदस्य हैं।