उल्लेखनीय है कि अदालत ने तर्क भी दिया कि दोनों मुद्दे महत्वपूर्ण थे। कुछ दिनों पहले एमएसआरडीसी को केंद्रीय पर्यावरण विभाग से अनुमति मिली। एमएसआरडीसी केंद्रीय विभाग की अनुमति से अगले पांच वर्षों के लिए इन पेड़ों के रख-रखाव के लिए जिम्मेदार होगा। केंद्रीय पर्यावरण विभाग ने यह भी आदेश दिया है कि भूमि का मुआवजा देते समय वन विभाग के नाम पर जमीन दी जानी चाहिए।
मार्च से खोपोली से कुसगांव तक मिसिंग लिंक का काम शुरू किया गया है। इस काम के दौरान देश के सबसे बड़ी सुरंग 21 मीटर व्यास का निर्माण किया जाएगा। इस पूरे मिसिंग लिंक का काम तीन साल तक चलने वाला है। आमतौर पर इस मिसिंग लिंक के काम के कारण यह अनुमान लगाया जाता है कि अगले 20 वर्षों में 1 लाख 80 हजार वाहन हर दिन इस मार्ग का उपयोग करेंगे।