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5वीं और 8वीं के छात्रों को नाममात्र की मिल रही छात्रवृत्ति

locationमुंबईPublished: Aug 16, 2019 12:08:46 pm

Submitted by:

Rohit Tiwari

लालफीताशाही का शिकार हुआ माध्यमिक शिक्षा विभाग का प्रस्ताव
परीक्षा में राज्य भर के करीब आठ लाख छात्र होते हैं शामिल
करीब 33 हजार छात्रों को मिलती है छात्रवृत्ति

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5वीं और 8वीं के छात्रों को नाममात्र की मिल रही छात्रवृत्ति

मुंबई. राज्य में 5वीं और 8वीं कक्षा में परीक्षा की योग्यता के आधार पर मिलने वाली छात्रवृत्ति के नाम पर छात्रों को नाममात्र राशि ही मिल पा रही है। दरअसल, माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से तीन साल पहले छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाने के लिए भेजे गए प्रस्ताव को लालफीताशाही ने तूल दे दिया है और इससे छात्रवृत्ति की थोड़ी सी राशि का भुगतान कर होनहार छात्रों के साथ छलावा किया जा रहा है। महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद की ओर से 5वीं और 8वीं कक्षा के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें राज्य भर के करीब सात से आठ लाख छात्र शामिल होते हैं। इसमें 5वीं और 8वीं कक्षा के लगभग 33 हजार छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए चुना जाता है।
परीक्षा परिषद की लागत 350 रुपये…
विदित हो कि 5वीं में छात्रों को 6वीं, 7वीं व 8वीं जैसे 3 वर्षों तक छात्रवृत्ति दी जाती है, तो वहीं 8वीं के छात्रों को 9वीं और 10वीं 2 वर्षों की छात्रवृत्ति देने का प्रावधान है। इस छात्रवृत्ति के अंतर्गत राष्ट्रीय ग्रामीण, राष्ट्रीय सामान्य, ग्रामीण सामान्य, शहरी सामान्य, ग्रामीण अनुसूचित जाति, भूमिहीन कृषि मजदूर, ग्रामीण आदिवासियों के विभिन्न समूहों को लाभ पहुंचाने का कार्य किया जाता है। तहसील, जिला और राज्य स्तर पर मिलने वाली छात्रवृत्ति छात्रों को 5वीं वर्ष के दस महीने के लिए कुल 250-1000 रुपये निर्धारित हैं तो वहीं 8वीं के लिए 300-1500 रुपये छात्रवृत्ति दी जाती है। इसके अनुसार, 5वीं के छात्रों को मासिक दर के हिसाब से 25, 50 और 100 रुपये, जबकि 8वीं के होनहारों को 30, 40, 75 और 150 रुपये मिलते हैं। यह शुल्क छात्रों से परीक्षा के लिए लिया जाता है। हालांकि परीक्षा परिषद की ओर से प्रदान किए गए मार्गदर्शन सेट की लागत लगभग 350 रुपये है।
जिला स्तर पर अधिक है छात्रवृत्ति…
बहरहाल, माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो समय के साथ छात्रवृत्ति की मात्रा बढ़ाने की आवश्यकता है। भले ही छात्र छात्रवृत्ति राशि देखकर परीक्षा नहीं देते हों, लेकिन छात्रों को उनकी मेहनत का कुछ अच्छा पैसा मिलना चाहिए। इसके लिए सरकार को छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया था। इस संबंध में कार्यवाही सरकार के स्तर पर लंबित है। प्रत्येक जिले से राज्य स्तर पर छात्रवृत्ति के लिए दस छात्रों का चयन किया जाता है। इन छात्रों को 5वीं के लिए 50 रुपये और 8वीं के लिए 75 छात्रवृत्ति के रूप में मिलते हैं। वहीं जिला स्तर पर छात्रों को 100 और 150 रुपये छात्रवृत्ति मिलती है। इसलिए राज्य स्तर पर योग्य और होनहार छात्रों की छात्रवृत्ति की उपेक्षा होती है।
लागू हों सरकारी स्तर पर विशेष कार्यक्रम…
विदित हो कि वर्तमान में एक पुस्तक की कीमत 50 रुपये से कम नहीं मिलती। वहीं विदर्भ के 11 जिलों के छात्रों के लिए हर महीने मिलने वाली छात्रवृत्ति राशि बहुत कम है। इन छात्रों को 5वीं के लिए 25 रुपये और 8वीं के लिए 40 रुपये ही दिए जाते हैं। महंगाई को देखते हुए छात्रवृत्ति की राशि बहुत कम है। इसे बढ़ाने की नितांत आवश्यकता है। वहीं वरिष्ठ शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. वसंत कालपांडे को माने तो न केवल छात्रवृत्ति को बदलने की आवश्यकता है, बल्कि इसकी संरचना को बदलने की भी जरूरत है। हालांकि कुछ होनहार छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की राशि महत्वपूर्ण नहीं है। जबकि अगर छात्रवृत्ति को बढ़ाया गया तो छात्रों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इसी तरह अपने छात्रों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सरकारी स्तर पर विशेष कार्यक्रमों को लागू करने की आवश्यकता है।
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