वे कहते हैं, जब जीवन मिला है, तो सेवा करो… सेवा से हम बेहतर इंसान बनते हैं और बेहतर इंसान से बनता है एक अच्छा समाज… पुलिस कर्मियों की पत्नियां बनातीं हैं भोजन आज जब हर कोई अपने परिवार का पेट भरने को लेकर परेशान है, ऐसे में दीपक हंसते-हंसते बिना किसी परेशानी के रोज सैकड़ों लोगों का पेट भर रहे हैं।
दीपक ने 12 वर्ष पहले लाचार लोगों का पेट भरने का यह कार्य शुरू किया। तब से वे ठाणे सिविल अस्पताल में आने वाले 150 गरीबों को खाना खिलाते हैं। वे सुबह नाश्ता, दोपहर और रात का खाने में सभी को दाल-चावल, रोटी भाजी खिलाते हैं। कोरोना आने के बाद वे अब 300 लोगो को खिला रहे हैं। इस खाने को तैयार करने के लिए उन्होंने पुलिस कर्मियों की पत्नियों की मदद ली है। वे उन्हें राशन देते हैं, जिसे वे भोजन बान कर देती हैं। इससे उनकी भी आर्थिक मदद हो जाती है और सेवा भी।
लोगों ने बताया पागल
दीपक बताते हैं, “मै स्वामी समर्थ का भक्त हूं। वर्ष 2008 तक मैं मीट बंदर ठाणे के स्वामी समर्थ मंदिर में दर्शन के लिए जाता था। एक दिन मैंने सोचा कि अगर घर के पास कोई मंदिर हो तो मुझे दूर जाना न पड़ेï, मैं यहीं स्वामी समर्थ का दर्शन कर सकूं।
मैंने ठाणे सिविल अस्पताल के सामने अपनी दुकान तोड़कर मंदिर बनवाया। मंदिर देखकर कुछ बेसहारा लोग इस आशा में आने लगे कि यहां उनका पेट भर सकेगा। मैंने सोचा कि कुछ लोगों को भोजन कराया जाए। जब हमने खिलाना शुरू किया तो बहुत परेशानी आई। आसपास के लोगों ने कहा कि पागल है, कुछ दिनों में यह बंद कर देगा। मेरे विभाग में भी कुछ लोगों ने मुझे पागल कहा पर ज्यादातर लोगों ने कहा अच्छा काम है।
मेरा सौभाग्य है कि भगवान ने मुझे चुना
मैं कहना नहीं चाहता कि पहले साल कितनी दिक्कतें आईं। पर मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया और आज हम लोगों का पेट भर रहे हैं। लोग आते हैं मंदिर में दान करते हैं, दान के पैसे से आराम से लोगों के भोजन का इंतजाम हो जाता है। यह काम मैं नहीं कर रहा, यह भगवान का काम है।
मेरा सौभाग्य है कि इस काम के लिए भगवान ने मुझे चुना। बाकी सब उनकी मर्जी से हो रहा है। अक्सर ईश्वर मुझे राह दिखाते हुए कहते हैं, जब हम अच्छा काम करोगे, तो अच्छाई तुम्हारे पास आएगी, जब हम बुरा करोंगे, तो बुराई आएगी। मैं समझता हूं कि हर किसी को अच्छे काम करते समय ईश्वर से प्यार करते हुए इंसानियत के रास्ते पर चलना चाहिए।