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आम खाने के बाद लोग भेजते हैं गुठली, नर्सरी तैयार कर देश भर में भेजते हैं पौधे

locationमुंबईPublished: Jun 26, 2021 08:44:03 pm

पर्यावरण की चिंता: अलग तरह के मिशन में जुटे मैंगो मैन शुभजीत बनर्जीपानी बचाने के लिए सरकार ने सराहाएनजीओ के माध्यम से समाज सेवा
 

आम खाने के बाद लोग भेजते हैं गुठली, नर्सरी तैयार कर देश भर में भेजते हैं पौधे

आम खाने के बाद लोग भेजते हैं गुठली, नर्सरी तैयार कर देश भर में भेजते हैं पौधे

मुंबई. फलों का राजा आम हर किसी को पसंद है। लोग आम तो खूब खाते हैं, मगर गुठलियां फेंक देते हैं। प्रकृति ्प्रेमी कांदिवली के चारकोप निवासी शुभजीत बनर्जी इन गुठलियों को जमा कर रहे हैं। इरादा देश भर में आम के पौधे लगाना और हरीतिमा से धरती का शृंगार करना है। उनकी मुहिम में देश के कई शहरों की पौधशालाएं शामिल हैं। गुठलियां साफ कर वे नर्सरियों को देते हैं। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में आम के हजारों पौधे लगाए जा चुके हैं। पिछले साल 30 से 35 हजार गुठलियां मिली थीं। इस साल यह संख्या लाख के ऊपर पहुंच चुकी है। मिशन ग्रीन मुंबई और ट्री एंबुलेंस इस मिशन में शुभजीत की मदद कर रहे हैं। एनजीओ कार्यकर्ता पौध रोपण के साथ देखरेख की जिम्मेदारी संभालते हैं। इस काम के लिए उन्होंने मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के साथ वन विभाग और कृषि कॉलेजों से हाथ मिलाया है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग का सरल तरीका ढूंढने के लिए सरकार से इन्हें सराहना भी मिल चुकी है।

रोज मिल रहे पार्सल
शुभजीत को रोजाना दर्जनों पार्सल मिल रहे। यह पार्सल देश के कोने-कोने से भेजे जा रहे। इन पार्सलों में आम की गुठलियां होती हैं। यह सोशल मीडिया अपील का नतीजा है। उन्होंने लिखा था आप शौक से आम खाएं, गुठलियां इधर-उधर फेंकने के बजाय हमें भेज दें। इन गुठलियों से हम पौधे तैयार करेंगे।

लाखों पौधे लगाना लक्ष्य
शुभजीत का मकसद देश भर में आम के लाखों पेड़ तैयार करना है। इससे दोहरा लक्ष्य सधेगा। खाने के लिए आम मिलेंगे। इसकी बिक्री से आय होगी। वातावरण में ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ेगी। पर्यावरण प्रदूषण कम होगा। जलवायु परिवर्तन से जुड़ा खतरा कम होगा।

छोटे पेड़-ज्यादा फल
उन्होंने कहा कि हम पौधे लगाने के साथ व्यापारिक पहलू का भी ध्यान रख रहे हैं। नर्सरी में ग्राफ्ट तकनीक से पौधे तैयार किए जा रहे। पेड़ छोटे होते हैं जबकि फल ज्यादा लगते हैं। आम के पेड़ आय का जरिया हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

कई जगह नर्सरी
महाराष्ट्र के मुरबाड (ठाणे) और औरंगाबाद, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद व मेरठ, आंध्र प्रदेश के हैदराबाद और पश्चिम बंगाल के वर्धमान आदि जगहों पर बड़ी पौधशालाएं इस मिशन में शामिल हैं। शुभजीत ने बताया कि अलग-अलग शहरों में नर्सरियों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर आम के ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं।

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