रोज मिल रहे पार्सल
शुभजीत को रोजाना दर्जनों पार्सल मिल रहे। यह पार्सल देश के कोने-कोने से भेजे जा रहे। इन पार्सलों में आम की गुठलियां होती हैं। यह सोशल मीडिया अपील का नतीजा है। उन्होंने लिखा था आप शौक से आम खाएं, गुठलियां इधर-उधर फेंकने के बजाय हमें भेज दें। इन गुठलियों से हम पौधे तैयार करेंगे।
लाखों पौधे लगाना लक्ष्य
शुभजीत का मकसद देश भर में आम के लाखों पेड़ तैयार करना है। इससे दोहरा लक्ष्य सधेगा। खाने के लिए आम मिलेंगे। इसकी बिक्री से आय होगी। वातावरण में ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ेगी। पर्यावरण प्रदूषण कम होगा। जलवायु परिवर्तन से जुड़ा खतरा कम होगा।
छोटे पेड़-ज्यादा फल
उन्होंने कहा कि हम पौधे लगाने के साथ व्यापारिक पहलू का भी ध्यान रख रहे हैं। नर्सरी में ग्राफ्ट तकनीक से पौधे तैयार किए जा रहे। पेड़ छोटे होते हैं जबकि फल ज्यादा लगते हैं। आम के पेड़ आय का जरिया हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
कई जगह नर्सरी
महाराष्ट्र के मुरबाड (ठाणे) और औरंगाबाद, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद व मेरठ, आंध्र प्रदेश के हैदराबाद और पश्चिम बंगाल के वर्धमान आदि जगहों पर बड़ी पौधशालाएं इस मिशन में शामिल हैं। शुभजीत ने बताया कि अलग-अलग शहरों में नर्सरियों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर आम के ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं।