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मुंबई

भाजपा-शिवसेना गठबंधन में भी फूट रहा असंतोष !

आरपीआई, आरएसपी और शिवसंग्राम जैसे दलों की उपेक्षा

मुंबईApr 02, 2019 / 07:51 pm

Nitin Bhal

भाजपा-शिवसेना गठबंधन में भी फूट रहा असंतोष !

भाजपा-शिवसेना गठबंधन में भी फूट रहा असंतोष !

रामदिनेश यादव

मुंबई. कांग्रेस-राकांपा के 56 दलों के महागठबंधन में ही नहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-शिवसेना की युति (गठबंधन) के सहयोगी दलों में भी उपेक्षा को लेकर असंतोष है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने तो सहयोगी दलों के लिए अपने-अपने कोटे की दो-दो सीटें छोड़ी हैं। दूसरी तरफ भाजपा-शिवसेना ने राज्य की समूची 48 सीटों को आपस में ही बांट लिया है। भाजपा शिवसेना के साथ ही रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई), राष्ट्रीय समाज पार्टी (आरएसपी), रयत क्रांति किसान पार्टी और शिवसंग्राम भी एनडीए का हिस्सा हैं। सीट बंटवारे में अपनी उपेक्षा पर एनडीए के सहयोगी दल भाजपा-शिवसेना से खुली नाराजगी भी जता चुके हैं। बावजूद इसके एनडीए के साथ बने रहना उनकी मजबूरी है, क्योंकि और वे नहीं जा सकते।
एनडीए में शामिल सहयोगी दलों में शिवसेना को छोड़ दें तो बाकी को लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कोई महत्व नहीं दिया है। हालांकि इस लोकसभा चुनाव में अपना वजूद बचाने के लिए हाशिए पर रखे गए एनडीए के सहयोगी दलों का चुनाव मैदान में उतरना जरूरी था। बावजूद इसके एनडीए के सहयोगी दलों को मन मार कर बैठना पड़ा। नाराज होने के बाद भी भाजपा की राजनीतिक चाल में फंसे इन दलों ने आह तक नहीं भरी है। आरएसपी अध्यक्ष और राज्य के वरिष्ठ मंत्री महादेव जानकर धनगर समाज के समर्थन के बूते बारामती से राकांपा सुप्रीमो शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने के लिए ताल ठोंक रहे थे। जानकर ने दावा भी किया कि उन्हें टिकट मिला तो वे सुप्रिया को हरा देंगे। लेकिन, उनके दावे पर भाजपा को भरोसा नहीं हुआ। जानकर को टिकट नहीं दिया गया। इसी प्रकार शिवसंग्राम के विनायक मेटे भी शोर मचाया। टिकट नहीं मिलने पर नाराजगी जताई। लेकिन मन मसोसने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा। आरपीआई अध्यक्ष रामदास अठावले को भी दरकिनार कर दिया गया। अठावले चाहते हैं कि उन्हें ईशान्य मुंबई से टिकट दिया जाए। उठावले को फिर से राज्यसभा भेजने और अगली सरकार में मंत्री बनाने का आश्वासन मिला है।
विधानसभा चुनाव में रखेंगे ध्यान


लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं मिलने से असंतुष्ट दलों के नेताओं को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भरोसा दिया है कि इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनका ध्यान रखा जाएगा। फडणवीस ने अपने सहयोगी दलों के नेताओं की बैठक लेकर उन्हें आश्वस्त किया है कि उनकी नाराजगी विधानसभा चुनाव में दूर की जाएगी। तब तक वे एनडीए के साथ पूरी ताकत के साथ खड़े रहें। बावजूद इसके एनडीए के सहयोगी दलों की मंशा गठबंधन के अनुकूल नहीं है। वे साथ जरूर हैं, लेकिन आधे मन से। वे नाराज जरूर हैं, लेकिन साथ खड़े होने को मजबूर भी हैं।
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