मुंबईPublished: Apr 15, 2021 06:45:24 pm
Chandra Prakash sain
प्राचीन भारतीय ग्रंथ न्यायशास्त्र किसी से कम नहीं
अम्बेडकर चाहते थे संस्कृत बने देश की आधिकारिक भाषा: सीजेआइ बोबडे
नागपुर. डॉ. भीम राव अम्बेडकर ने संस्कृत को देश की आधिकारिक भाषा बनाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) शरद अरविंद बोबडे ने बुधवार को यह दावा किया। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय ग्रंथ ‘न्यायशास्त्र’ अरस्तू और पारसी तर्क विद्या से कम नहीं है। सीजेआइ अम्बेडकर जयंती के अवसर पर महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एमएनएलयू) के शैक्षणिक भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
भाषण को लेकर थी उलझन
सीजेआइ ने कहा, ‘मुझे किस भाषा में भाषण देना चाहिए इसे लेकर मैं थोड़ा उलझन में था। बोलचाल की भाषा और कामकाज की भाषा के बीच संघर्ष बहुत पुराना है। हाई कोर्ट को कई आवेदन मिल चुके हैं कि अधीनस्थ अदालतों में कौन सी भाषा इस्तेमाल होनी चाहिए, मुझे लगता है इस पर गौर नहीं किया गया है।’ सीजेआइ ने कहा, ‘डॉ. अम्बेडकर को इस पहलू का अंदाजा था और उन्होंने प्रस्ताव रखा कि भारत संघ की आधिकारिक भाषा संस्कृत होनी चाहिए। अम्बेडकर की राय थी कि जैसे दक्षिण भारत में हिंदी का विरोध होता है वैसे उत्तर भारत में तमिल का विरोध हो सकता है, लेकिन दोनों क्षेत्रों में संस्कृत के विरोध की कम आशंका थी।’
जानते थे कि लोग क्या चाहते हैं
सीजेआइ ने कहा कि अम्बेडकर कानून ही नहीं बल्कि सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों से भी अवगत थे। वह जानते थे कि लोग क्या चाहते हैं, देश का गरीब क्या चाहता है। उन्हें सभी पहलुओं की अच्छी जानकारी थी, इसलिए उन्होंने यह प्रस्ताव दिया होगा।