बाला की कहानी स्कूल से शुरू होती है, अपने सुंदर बालों के चलते उसे बाला (आयुष्मान खुराना) कहा जाता है। स्कूल की लड़कियों को लुभाने के लिए वह फिल्मी सितारों की नकल करता है। उसे अपने व्यक्तित्व पर गर्व है। वह अपनी दोस्त लतिका (भूमि पेडनेकर) को उसके कालेपन का एहसास कराते हुए उसका अपमान करता है। अपने स्कूल टीचर को टकला कहना उसके लिए विनोद का विषय है। 25 वर्ष का होते-होते बाला के बाल साथ छोड़ देते हैं। अब शुरू होता है बालों को वापस लाने का संघर्ष। यह संघर्ष लोगों को लोटपोट होने पर मजबूर कर देगा। बाल के साथ बाला की बचपन की प्रेमिका भी उसे छोड़ जाती है। नौकरी में भी बाल के चलते बाला को बेहद परेशानियों से गुजरना पड़ता है। एक तरफ जहां बाला अपने बालों को लेकर गंभीर हीन भावना से ग्रसित है, वहीं उसकी बचपन की दोस्त लतिका अपने काले रंग से बिल्कुल हीन भावना से ग्रस्त नहीं है। बाला गोरा होने की क्रीम बेचता है, और क्रीम की मॉडल यामी गौतम से प्रेम हो जाता है। जो उसके गुड लुकिंग होने से उससे प्रेम करती है। शादी हो जाती है। और फिर उसे पता चलता है कि वह गंजा है। अगर कहानी पूरी बता भी दी जाए तो देखते समय यह नई लगेगी। खैर दर्शकों को यह फिल्म बेहद लुभाने वाली है।
बाला के रूप में आयुष्मान खुराना ने अच्छी एक्टिंग की है। वे फिल्म में छाए हुए है। छोटे शहरों के युवकों के अंदाज बोल-चाल और हाव-भाव को उन्होंने अच्छी तरह से स्क्रीन पर प्रस्तुत किया है। भूमि पेडनेकर भी वकील के किरदार में खूब जमी हैं। टिकटॉक बनाकर गोरा बनाने वाली क्रीम की मॉडल बनीं यामी गौतम ने भी अच्छा काम किया है। सौरभ शुक्ला और फिल्म के दूसरे कलाकारों के कामों ने फिल्म को रोचक और मजेदार बनाया है।
इस फिल्म की सबसे बड़ी खूबी है कि यह फिल्म हंसाने के साथ-साथ गंभीर प्रश्र भी उठाती है, पर कहीं भी जबरन ज्ञान नहीं ठूंसा है। एक बड़ी सामाजिक समस्या पर बनी यह फिल्म दर्शकों को बेहद हंसाते हुए बताती है कि बिना फूहड़ता के गंभीर विषयों को भी अच्छी कॉमेडी में तब्दील किया जा सकता है। यह फिल्म भारतीय समाज की सोच पर प्रहार करती दर्शकों को बहुत लुभाएगी।