मुंबई

हड़ताल पर नहीं गए बेस्ट कर्मचारी

हम अपना काम करते रहेंगे, पर उन्हें भी हमारी फिक्र हो

मुंबईMay 18, 2020 / 06:47 pm

Arun lal Yadav

हड़ताल पर नहीं गए बेस्ट कर्मचारी

अरुण लाल
मुंबई. यूनियन के निर्देश को दरकिनार कर बेस्ट कर्मचारी सोमवार काम पर आए। सुबह के 10 बजे तक 1499 कंडेक्टर, 1642 ड्राइवर, 100 इंस्पेक्टर 69 स्टाटर काम पर पहुंचे। इनकी मदद से 1542 बसों का संचालन शुरू किया गया।

इससे मुंबई की सारी व्यवस्थाएं सुचारु रूप से चलतीं रहीं। पत्रिका ने शहर के विविध स्थानों पर काम कर रहे बेस्ट कर्मचारियों से इस विषय पर चर्चा की सबने एक स्वर में कहा ऐसे समय में हम घरों में नहीं बैठ सकते।

पर प्रशासन को भी हमारा ख्याल होना चहिए। अब तक बेस्ट के 120 कर्मचारी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 16 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं लगभग 55 लोग ठीक होकर अपने घर वापस आ गए हैं।

गौरतलब है कि बेस्ट यूनियन ने सोमवार से हड़ताल की घोषणा की थी। उनका कहना था कि मांगे पूरी न होने तक सभी कर्मचारी अपने घरों में कोरोंटाइन रहेंगे। दूसरी ओर बेस्ट प्रबंधन ने हड़ताल से इंकार करते हुए कहा था कि हमारी बसें अपनी सेवाएं देतीं रहेंगी। सोमवार सुबह बेस्ट कर्मचारी यूनियन की मांग को दरकिनार कर हड़ताल न करते हुए काम पर पहुंचे।

सुरक्षा की मांग कहां गलत है
बस चालक राम दयाल मिश्र कहते हैं कि ऐसे समय में हम हड़ताल कैसे कर सकते हैं। हमारे डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी और दूसरे विभागों के लोग सेवा कर रहें हैं और हम घरों में बैठें रहें। इसके लिए हमारी आत्मा तैयार नहीं है। किसी को किसी ने काम पर आने को नहीं कहा, सब अपनी मर्जी से काम पर आए। उन्होंने कहा कि हम अपना काम कर रहे हैं, सरकार को चाहिए कि वे हमारी सुरक्षा का ध्यान रखें। सुरक्षा की मांग करना कहां का गलत है।

हम भी इंसान हैं
बस कंडक्टर संजय दलवी (55) बताते हैं कि मैं लॉक डाउन में लगातर काम कर रहा हूं। ये समय है राष्ट्र सेवा का, पर यह भी सच है कि प्रशासन को हमारे स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। हम भी इंसान हैं, दिन रात मेहनत कर रहे हैं। हमारे परिवारों में भी भय है। पर हम काम कर रहे हैं। हम सुरक्षा ही तो मांग रहे थे।

गांव आकर रहो
्एक बेस्ट कर्मचारी की पत्नी संगीता बतातीं हैं, कि हमारा छोटा-सा कमरा है। जिसमें बच्चों के साथ रहते हैं। घर में भय का माहौल है, मेरी सास कहतीं हैं जब सरकार ध्यान नहीं दे रही है, तो काम छोड़ दे, गांव में आकर रहो। पर ये मानते नहीं कहते हैं, जाने दे मेरा काम मैं करूंगा उनका वे देखें।

एसटी से मंगाई गईं थीं 12सौ बस
हड़ताल की घोषणा के चलते बेस्ट प्रशासन ने एसटी महामंडल से 12 बसों को ड्राइवरों सहित शहर के विविध डीपो में पहुंचा दिया था। यदि हड़ताल होती तो ये बसें जरूरी सेवा के तहत लोगों को अस्पतालों और दूसरे स्थानों पर पहुंचाने का काम करतीं। पर हड़ताल न होने के चलते बसें जहां की तहां खड़ी रहीं।

हमने क्या देखा
ड्रइवरों के बार ठीक से मास्क नहीं थे। बहुत से लोगों ने मेडिकल में मिलने वाले यूज एंड थ्रो मास्क लगाए थे। कई स्थानों पर खाली सेनिटाइजर के डिब्बे दिखे। ग्लब्ज की दशा भी दयनीय देखने को मिली। ड्राइवर कंडेक्टर और दूसरे स्टॉफ प्रशासन के रवैये से बेहद दुखी नजर आए।

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