मुख्य अतिथि वीणा शाही ने सवाल किया कि बुद्धि, विवेक, आत्मबल, धनबल और जमीन के मालिक भूमिहार ब्राह्मण समाज का अस्तित्व क्या रह गया है? राजनीति में हमारी भागीदारी कहां है? सब बंटे हुए हैं। हम किसी को नेता मानते ही नहीं। हमारे पूर्वजों ने स्कूल-कॉलेज के लिए दान किया और हममें संचय की प्रवृत्ति छाई हुई है। देना सीखिये, चौगुना होकर वापस आएगा।
इस अवसर पर बाबू प्रदीप नारायण सिंह ने वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय और क्वींस कॉलेज के लिए जगह अपने राज परिवार की ओर से देने के साथ ही मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे के लिए भी जमीन देकर काफी पहले ही कौमी एकता की मिसाल कायम करने की जानकारी दी। सम्मेलन को यूपी सरकार के पूर्व मंत्री अजय राय, वाराणसी के विधायक सुरेंद्र सिंह समेत भूमिहार समाज मुंबई के अध्यक्ष एडवोकेट आर.पी. सिंह, राघवशरम शर्मा, सुधा शर्मा, डॉ. इंदू सिंह, गोपाल राय, भाजपा नेता संतोष रंजन आदि ने संबोधित किया।