मुंबई

Bhiwandi Hadsa : कागजों में गुम हुई कलस्टर विकास योजना

अवैध, घटिया और जर्जर निर्माणों के मकडज़ाल में फंसा भिवंडी
राज्य सरकार और मनपा की अनदेखी से खतरे में लोगों की जान!
2015 से सार्वजनिक निर्माण विभाग की योजना जमीन पर नहीं उतरी

मुंबईAug 27, 2019 / 01:06 pm

Binod Pandey

Bhiwandi Hadsa : कागजों में गुम हुई कलस्टर विकास योजना

भिवंडी. अवैध, घटिया और जर्जर निर्माणों के मकडज़ाल में फंसे लोग राज्य सरकार और भिवंडी मनपा की लापरवाही और अनदेखी के कारण खुद को ठगा महसूस करते हैं। हर साल यहां पर जर्जर और अवैध इमारतों के ढहने से कई मासूमों की असमय जान चली जाती है और जिम्मेदार बयानीबाजी तथा कागजी घोड़े दौड़ाने के अलावा कुछ नहीं करते। हाल यह हैं कि ठाणे जिले के पालक (प्रभारी) मंत्री एकनाथ शिंदे भी बीते पांच वर्ष से क्लस्टर (समूह) विकास योजना के तहत पुनर्वास के वादे करते रहे जबकि धरातल पर काम तक शुरू नहीं हो पाया। सरकार की सारी भाग-दौड़ केवल फाइलों में दिखाई दी। वहीं भिवंडी के विकास का दम भरने वाली मनपा अवैध, घटिया और जर्जर निर्माणों पर ठोस काम नहीं कर पाई।

भिवंडी मनपा क्षेत्र में 2015 से लगातार हो रहे इमारत हादसों के बाद पालक मंत्री शिंदे बार-बार स्थाई समाधान देने के लिए क्लस्टर डवलपमेंट स्कीम को लागू करने के दावे करते रहे, पर समस्या जस की तस बनी हुई है। इस योजना के लिए एक रुपए का काम नहीं किया गया। हादसों में अपनों को खोने वाले स्थानीय नागरिक भी लगातार सवाल पूछते हैं कि इस योजना का मुहूर्त भिवंडी में कब होगा? कितनी जिन्दगियों को खाक करने के बाद सरकार और मनपा चेतेगी?
विशेषज्ञों की मानें तो अवैध निर्माण और क्लस्टर विकास योजना दोनों अलग पहलू हैं। भिवंडी के अवैध निर्माण केवल मनपा प्रशासन के कारण हैं, क्योंकि गलत तरह से बन रही किसी भी इमारत की त्वरित जानकारी मनपा अधिकारियों को फील्ड में कार्यरत कार्मिकों से मिल जाती है। फिर भी इस अवैध निर्माण को रोकने के बजाय लीपापोती में जुट जाते हैं।
विधायक ने ही उठाए सरकार पर गंभीर सवाल
भिवंडी पूर्व से शिवसेना विधायक रूपेश म्हात्रे ने पीरानीपाड़ा हादसे के बाद कहा था कि ऐसी दुर्घटनाएं चिंताजनक हैं। इसकी रोकथाम के लिए सरकार को अविलंब क्लस्टर डवलपमेंट योजना लागू करनी चाहिए। मैंने सरकार के समक्ष कई बार मांग उठाई, पर भिवंडी के बारे में कोई सुनने को तैयार नहीं है। भिवंडी में यह योजना लागू होती है और एफएसआई बढ़ कर मिलती तो यहां की इमारतों के पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार में आसानी होती।
मनपा की सुस्ती कैसे पड़ती है भारी, समझें
विशेषज्ञ इंजीनियर ने अवैध निर्माणों की पोल खोलने के लिए बकायदा उदाहरण देकर बताया। उनके अनुसार, नागांव क्षेत्र में सलामतपुरा स्थित साफिया गल्र्स स्कूल की गैर-कानूनी इमारत बनाने के दौरान मनपा आयुक्त ने 18 जुलाई, 2013 को कार्रवाई के संबंध में आदेश जारी किया। इस पर नगर रचना विभाग के कनिष्ठ अभियंता अविनाश चौहान ने एक साल बाद 14 अगस्त, 2014 को नोटिस जारी किया। हाल यह है कि मनपा बीते पांच वर्ष से स्कूल के संचालकों-साफिया मोहम्मद यासीन अंसारी और अंसार अहमद मोहम्मद यासीन अंसारी को अतिक्रमण करने के लिए नोटिस पर नोटिस दिए जा रही है। इस दौरान वहां पांच मंजिला इमारत तैयार हो गई। सैकड़ों बच्चे वहां पढ़ रहे हैं। बावजूद इसके कि मनपा ने अपने रिकॉर्ड में 12 नवंबर, 2018 को पत्रांक-3997 के जरिए पूरी पांच मंजिला इमारत को अवैध घोषित कर रखा है। लेकिन मनपा ने इस अवैध इमारत के खिलाफ पुलिस थाने में एमआरटीपी एक्ट के तहत कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं कराया। यह तो महज एक अवैध इमारत पर मनपा की ओर से की गई कार्रवाई की सच्चाई है। भिवंडी में सैकड़ों ऐसी इमारतें हैं, जो मनपा की नीयत और काम पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

अवैध निर्माण के खिलाफ आपराधिक मामला
मनपा के प्रभारी आयुक्त अशोक कुमार रणखांब के आदेश पर प्रभाग क्रमांक 2 के प्रभाग अधिकारी सुनील भोईर ने कामतघर के भाग्यनगर स्थित मनपा विद्यालय क्रमांक 75 के पास पुराने घर को तोड़ कर बिना मनपा की अनुमति से नई आरसीसी इमारत बनाने वाले गजानन बालू चौधरी के खिलाफ एमआरटीपी एक्ट की धारा 52 के तहत मामला दर्ज कराया है। पीरानीपाड़ा इमारत हादसे के बाद दर्ज हुए इस मामले को लेकर अवैध निर्माण कार्य करने वाले बिल्डरों के बीच हड़कंप है।
 

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