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एपीएमसी की फलमंडी में बिहार के रसगुल्ला लीची की बहार

महाराष्ट्र के साथ गुजरात और राजस्थान में भी बढ़ी है रसीली लीची की मांग

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बढ़ी है रसीली लीची की मांग

बढ़ी है रसीली लीची की मांग

नवी मुंबई. एपीएमसी के फलमंडी में बिहार की प्रसिद्ध लीची का आगमन हो चुका है। व्यापारियों का मानना है कि बिहार में उत्पादित होने वाले रसीले फल लीची का इस वर्ष अधिक व्यवसाय होगा। बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा एवं असम में लीची की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। इसमें से 70 प्रतिशत उत्पादन बिहार में होता था।
थोक बाजार में लीची 70 से 100 रुपए किलो के भाव में उपलब्ध है। राज्य के कई हिस्सों में शाही, चायना, लोंगिया और बेखना प्रजाति की लीची का उत्पादन किया जाता है। बिहार के मुजफ्फरपुर को लीची उत्पादन का मुख्य केन्द्र माना जाता है। यहां पर बड़ी मात्रा में शाही और चायना लीची का उत्पादन किया जाता है।
देश के अलावा खाड़ी देशों में भी इन दोनों किस्म की लीची की विशेष मांग है। इन दोनों प्रजाति की लीची का स्वाद बेहद मीठा और रसीला होता है। व्यापारियों ने उम्मीद जताई है कि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष लीची की मांग 15 से 20 प्रतिशत और अधिक बढ़ सकती है।

बिहार की लीची की मुंबई में डिमांड
बिहार के लीची की मुंबई, दिल्ली और कोलकाता सहित अन्य राज्यों में विशेष मांग रहती है। एपीएमसी के फल मार्केट में 10 किलो की पेटी के रूप में लीची की आवक हो रही है। इसी तरह से तीन महीने तक यह आवक जारी रहेगी। अभी लीची थोक बाजार में 70 से 100 रुपए की दर से बेचा जा रहा है। व्यापारियों को उम्मीद है कि अगर बड़ी तादाद में लीची की आवक शुरू हुई तो कीमत में गिरावट आ सकती है।
व्यापारियों का कहना है कि इस वर्ष जिस तरह से शुरुआत में लीची की धमाकेदार आगमन हुआ है, अगर ऐसा ही रहा तो इस साल स्वादिष्ट और रसदार लीची का भरपूर स्वाद सभी लोग ले सकेंगे।