मुंबई

bodhi divas : भिक्षु वह सूर्य है जिससे पूरा विश्व आलोकित हो रहा

शासन श्री चंदन बाला के सानिध्य में बोधि दिवस व भिक्षु जन्म कार्यक्रम का आयोजन किया गया
साध्वी श्री वर्धमानश्री ने अपने उद्बोधन में फरमाया कि भिक्षु वह सूर्य है जिससे पूरा तेरापंथ ही नहीं भारतवर्ष और विश्व आलोकित हो रहा है

मुंबईJul 16, 2019 / 05:17 pm

Binod Pandey

bodhi divas : भिक्षु वह सूर्य है जिससे पूरा विश्व आलोकित हो रहा

मुंबई. घाटकोपर के तेरापंथ भवन के प्रांगण में बोधि दिवस, आचार्य भिक्षु का 294 वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में शासन श्री चंदन बाला के सानिध्य में बोधि दिवस व भिक्षु जन्म कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी श्री ने नवकार मंत्र द्वारा किया। मंगलाचरण स्थानीय कन्यामण्डल द्ववारा हुआ। साध्वी श्री वर्धमानश्री ने अपने उद्बोधन में फरमाया कि भिक्षु वह सूर्य है जिससे पूरा तेरापंथ ही नहीं भारतवर्ष और विश्व आलोकित हो रहा है। साध्वी श्री समीक्षा प्रभा ने कुछ दृष्टांत के माध्यम से आचार्य श्री भिक्षु को श्रद्धांजलि अर्पित की। तत्पश्चात तुलसी सुर संगम भजन मंडली ने गीत प्रस्तुत किया। हस्तीमल डांगी, मनोहर, गोखरू स्वीटी लोढ़ा, नीलू ढिलीवाल, सीमा डूंगरवाल आदि ने अपनी अभिव्यक्ति दी। कुशल संचालन साध्वी राजश्री ने किया। तेयुप अध्यक्ष राकेश बडाला, मंत्री श्रवण चोरडिया के साथ पूरी टीम उपस्थित रही। सिरियारी संस्थान अध्यक्ष ख्यालीलाल तातेड़, सुरेश राठौड़, गोटुलाल बडाला, कांता तातेड, महिला मंडल संयोजिका भावना चपलोत, सहसंयोजिका रंजना बाफना सहित बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।
प्रभु से ज्यादा प्रभु के वचनों को महत्व देना चाहिए
ठाणे. ठाणे शहर स्थित टेंबिनाका परिसर के जैन मंदिर में चातुर्मासिक प्रवचन में आचार्य विजय वल्लभ मुनिश्वर समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर के शिष्य व प्रखर वक्ता आचार्य चिदानन्द सूरीश्वर महाराज ने प्रभु के वचनों के महत्व को बताकर आये हुए भक्तों को मंत्र मुग्ध कर दिया। प्रभु से ज्यादा प्रभु के वचनों को महत्व देना चाहिए। गुरुदेव ने कहा हम प्रभु की पूजा अर्चना करते है और द्रव्य पूजा करना भी महत्वपूर्ण है।मनुष्य को भाव पूजा भी करना चाहिए। उन्होंने बताया कि हम प्रभु को मानते हंै पर प्रभु के वचनों को क्यों नहीं मानते और प्रभु अच्छे लगते है तो प्रभु के वचन अच्छे क्यों नहीं लगते। हम संसार में सांसारिक सुखों के भोग के लिए मोह की निद्रा में सोए हुए हंै। हमें अपने आप को मोह निंद्रा से जगाना होगा जैसे कोई व्यक्ति हमे नींद में जगाता है तो अच्छा नहीं लगता है। गुरुदेव ने कहा उसी तरह इस मांगलिक चातुर्मास में हम मोह निंद्रा से जगाने के लिए आए है। हमें यदि अपने आप का कल्याण करना है तो आत्म जागृति लानी पड़ेगी तो ही प्रभु के वचन मोह निंद्रा से जगाएगी।

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