बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बंगले में हुए निर्माण में ‘फ्लोर स्पेस इंडेक्स’ (एसएसआई) और ‘कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन’ (सीआरजेड) नियमों का उल्लंघन किया गया है। कोर्ट ने कहा कि मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को राणे परिवार द्वारा संचालित कंपनी की ओर से दाखिल दूसरे आवेदन पर विचार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अगर ऐसा किया जाता है तो इससे अनधिकृत निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
दरअसल बंगले में निर्माण अवैध घोषित होने के बाद राणे परिवार से संबंधित कंपनी ने आवेदन दाखिल कर अनधिकृत निर्माण को नियमित करने की मांग की थी। कोर्ट ने बीएमसी को दो सप्ताह के भीतर अनधिकृत हिस्से को गिराने और एक सप्ताह बाद कोर्ट को प्रोग्रेस रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। कोर्ट ने राणे पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और इस राशि को दो सप्ताह के भीतर महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने का निर्देश दिया।
इस दौरान राणे के वकील ने कोर्ट से छह सप्ताह का समय मांगा, जिससे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंचाया जा सके, हालांकि कोर्ट ने यह अनुरोध खारिज कर दिया। मुंबई नगर निगम अधिनियम, 1888 के तहत सेक्शन 488 के मुताबिक मुंबई नगर निगम द्वारा राणे को नोटिस भेजा गया था। इसके बाद नगर निगम ने निर्माण को गिराने का नोटिस जारी किया। इसे लेकर नारायण राणे ने कोर्ट का रुख किया था।