मुंबई बॉम्बे हाईकोर्ट ने सूखे पर सरकार द्वारा जवाब पेश नहीं करने पर फटकार लगाते हुए सवाल किया कि सरकार को जवाब पेश करने के लिए कितना समय चाहिए? कोर्ट ने सरकार को 24 मई को हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए हैं और इस पर सुनवाई 27 मई को होगी। सरकार को कोर्ट में सूखे से निपटने के लिए शुरू किए गए उपायों की जानकारी पेश करनी है। राज्य में सूखे के कारण बहुत ही गंभीर परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। उसके बाद राज्य सरकार को निर्देश देने के बावजूद जवाब नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट में सरकारी वकील ने बताया कि इस मामले में नियुक्त किए गए विशेष सरकारी वकील उपलब्ध नहीं होने के कारण जवाब नहीं दिया जा सका।
याचिका है दायर राज्य के किसानों की स्थिति, सूखे और जलसंवर्धन आदि बातों पर चिंता व्यक्त करते हुए डॉ. संजय लाखे पाटिल नामक व्यक्ति ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। न्यायाधीश संदीप शिंदे और न्यायाधीश सारंग कोतवाल की खंडपीठ के समक्ष अवधिकालीन कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि मराठवाड़ा और विदर्भ में पानी की स्थिति बहुत ही भयावह है। कुछ जगहों पर पानी शून्य प्रतिशत हो गया है। सरकार की वेबसाइट पर भी इस बारे में आकड़े उपलब्ध हैं। उसके बावजूद सरकार की ओर से पानी आपूर्ति की सुविधा और अन्य जीवनावश्यक वस्तुओं को उपलब्ध कराने के लिए तत्काल उपाय योजना शुरू नहीं की गई है।
सर्वोच्च न्यायालय भी दे चुका है आदेश याचिकाकर्ता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी सूखे से प्रभावित इलाकों में तत्काल उपाय योजना करने का आदेश सरकार को दिया है। परंतु अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। याचिकाकर्ता ने यह मांग कि है कि सूखे की परिस्थिति के बारे लगातार जानकारी मिले, इसके लिए स्वतंत्र आपातकालीन नियंत्रण कक्ष के माध्यम से एक मशीनरी तैयार की जाए।