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सरकारी आवासों पर कब्जा करने वाले अफसरों पर मेहरबान महाराष्ट्र सरकार

locationमुंबईPublished: Nov 06, 2018 04:33:20 pm

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Prateek

नियमानुसार सरकारी निवास स्थान को तबादले के बाद नियत अवधि में खाली करना जरूरी होता है,लेकिन राज्य के 15 अफसर तबादले के बाद भी सरकारी आवास पर कब्जा जमाए हुए हैं…

रोहित के. तिवारी की रिपोर्ट…

(मुंबई): राज्य के ब्यूरोक्रेटस मुंबई के बाहर तबादला होने के बाद भी मुंबई में सरकारी आवास पर कब्जा नहीं छोड़ते। रिटायर्ड अफसर भी कहीं कम नहीं है। सरकार इनसे कब्जे खाली करवाने के बजाय उन्हें सरकारी आवास नियमित करने का काम कर रही है। इससे उन अफसरों को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है, जिनके पास सरकारी आवास नहींं हैं और मंहगे किराए पर निजी फ्लेट्स में रहना पड़ रहा है।


नियमानुसार सरकारी निवास स्थान को तबादले के बाद नियत अवधि में खाली करना जरूरी होता है। लेकिन राज्य के 15 अफसर तबादले के बाद भी सरकारी आवास पर कब्जा जमाए हुए हैं। इतना ही नहीं सरकार ने उनकी तय अवधि को बढ़ाकर नियमित करना शुरू कर दिया। इन अफसरों में 3 आईपीएस और 12 आईएएस शामिल हैं। इनमें आईएएस रश्मि शुक्ला का मुंबई के बाहर तबादला होने के बाद भी सरकारी निवास स्थान में रहने की मियाद बढ़ाते हुए वर्तमान में निवास स्थान नियमित किया गया है।

 

सरकार ने दे रखी है अनुमति…

महाराष्ट्र सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, सुरेंद्र बागडे मुंबई महानगरपालिका में कार्यरत हैं और उन्हें सरकारी निवास स्थान कब्जे में रखने की अनुमति दी है। विनित अग्रवाल केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं और केंद्र सरकार का निवास स्थान प्राप्त होने तक महाराष्ट्र सरकार ने निवास स्थान कब्जे में रखने की अनुमति दी है। बलदेव सिंह भी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं और उन्हें 31 मार्च 2019 तक सरकारी निवास को कब्जे में रखने की अनुमति मिली है। संजय चहांदे केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं और उन्हें भी सरकारी निवास स्थान कब्जे में रखने की अनुमति सरकार ने दी है।


रिटायर होने बे बाद भी नहीं छोड़ रहे सरकारी आवास…

वहीं रिटायर्ड होने के बाद भी जेपी डांगे और वी गिरिराज जैसे दो अधिकारी आज भी सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। गिरिराज को 30 अप्रैल 2018 तक सरकारी निवास स्थान में रहने की अनुमति दी गई थी। रिटायर्ड के बाद केपी बक्शी और दिलीप जाधव पर भी सरकार की मेहरबानी नजर आ रही है। साथ ही विजय सूर्यवंशी, अविनाश सुभेदार, कैलास शिंदे, किशोर राजे निंबालकर, राजेश देशमुख और मिलिंद शंभरकर जैसे छह अधिकारियों पर भी सरकार ने कृपा दृष्टि बना रखी है।


सवालों के घेरे में आती दिख रही फडणवीस सरकार…

गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने गत 4 वर्ष में रिटायर्ड, प्रतिनियुक्ति और तबादले के बाद भी सरकारी निवास स्थान नहीं छोड़ने वालों के लिए कड़ा नियम बनाकर दंडात्मक दर में वृद्धि भी की, लेकिन दुर्भाग्य से हर बार सरकार ही ऐसे अधिकरियों पर मेहरबानी करती नजर आती है। सरकार जहां एक ओर दंडात्मक दर में वृद्धि करती है, वहीं दूसरी तरफ मकान खाली नहीं करने वाले अफसरों पर मेहरबानी भी। इस मामले में राज्य सरकार ने अनिल गलगली को आरटीआई के तहत भी जानकारी दी है।

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