कुर्ला से सीएसएमटी के लिए पौने बारह बजे रवाना हुए दीपक सावंत इंटरव्यू देने नरीमन प्वाइंट जा रहे थे। सायन और माटुंगा के बीच उनकी गाड़ी खड़ी हो गई। चूंकि उन्हें दो बजे नरीमन प्वाइंट पहुंचना था। इसलिए रेल प्रशासन को कोसते हुए सावंत नीचे उतरे और पैदल ही माटुंगा की तरफ बढ़े ताकि टैक्सी आदि जैसे माध्यम से नरीमन प्वाइंट पहुंच सकें।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को सबसे पहले सायन-माटुंगा के बीच अप लाइन में सुबह के 11.50 से 1.30 के बीच ब्लॉक लिया गया।
इसके बाद किंग्स सर्कल से माहिम के बीच डाउन लाइन पर 12.45 से 1.15 बजे तक ब्लॉक रखा गया।
अंत में उल्हासनगर से वि_लवाड़ी के बीच 12.55 से 1.25 तक ब्लॉक लिया गया। अचानक लिए गए इन ब्लॉकों से सेंट्रल और हॉर्बर लाइन की लोकल सेवा लडख़ड़ा गई।
अंत में उल्हासनगर से वि_लवाड़ी के बीच 12.55 से 1.25 तक ब्लॉक लिया गया। अचानक लिए गए इन ब्लॉकों से सेंट्रल और हॉर्बर लाइन की लोकल सेवा लडख़ड़ा गई।
रविवार को नहीं लिया गया था ब्लॉक इस हफ्ते रविवार को ब्लॉक नहीं लिया गया था। इसके बाद सोमवार से लगातार तीसरे दिन अघोषित ब्लॉक लेने पड़े हैं। अचानक लिए जाने वाले ब्लॉक से लोकल से यात्रा करने वाले लोगों को भारी परेशानी होती है। रेलवे एक्टिविस्ट झवेरी कहते हैं कि इस तरह के ब्लॉक कायदे से नहीं लिए जाने चाहिए।
गंतव्य तक समय पर नहीं पहुंच पा रहे यात्री
पचीस वर्षीय हर्षदा बताती हैं, रेलवे की लापरवाही की कीमत हमें चुकानी पड़ती है। सेंट्रल रेलवे के कारण हम सही समय पर कहीं नहीं पहुंच पाते। ब्लॉक के बारे में लोगों को पहले से सूचना देनी चाहिए। यात्रियों को होनेवाली असुविधा के लिए रेलवे प्रशासन जिम्मेदार है।
पचीस वर्षीय हर्षदा बताती हैं, रेलवे की लापरवाही की कीमत हमें चुकानी पड़ती है। सेंट्रल रेलवे के कारण हम सही समय पर कहीं नहीं पहुंच पाते। ब्लॉक के बारे में लोगों को पहले से सूचना देनी चाहिए। यात्रियों को होनेवाली असुविधा के लिए रेलवे प्रशासन जिम्मेदार है।