पाठक अखबार की आत्मा
पत्रिका के राज्य संपादक डॉ. उरुक्रम शर्मा ने कहा कि पत्रिका का हमेशा से मानना है कि पाठक अखबार की आत्मा होता है। मीडिया के हरेक प्लेटफॉर्म पर दस्तक दे चुके पत्रिका समूह का परिवार टीम भावना के साथ काम करता है।
परखी हुई खबरों के साथ हमेशा पाठकों के साथ न्याय करता है। राजस्थान की पूर्व सरकार ने प्रेस की आजादी पर अंकुश लगाने की कोशिश की थी। इसे पत्रिका ने चुनौती के रूप में लिया और विवश होकर सरकार ने अपान आदेश वापस लिया। आयोजन में किशन डागलिया, सुष्मिता सुमन सिंह, सागर ठाकुर, इब्जा के राष्ट्रीय सचिव सुरेन्द्र मेहता, नरेश धूत, गौतम डागा, प्रेमनारायण सिंह सहित बड़ी संख्या में राजस्थानी समाज के अग्रणी मौजूद रहे।
उद्योग, सेवा और देशभक्ति में आगे
समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान से मुंबई आकर इसे अपनी कर्मभूमि बनाने वाले महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री राज के पुराहित थे। राजस्थान दिवस की शुरुआत करनेवाले पुरोहित ने कहा कि वह राजस्थानी ही है जिसने हिन्दुस्तान में पहला उद्योग कोलकाता में स्थापित किया। समाज सेवा में भी मुकाम स्थापित किया और देश के 66 फीसदी चैरिटेबल ट्रस्ट राजस्थानियों के नाम पंजीकृत हैं। प्राकृतिक आपदाओं के समय सेवा कार्य में अग्रणी रहने वाला यह समाज है, जो दिन-रात की परवाह किए बिना दु:ख की घड़ी में लोगों के साथ खड़ा रहा है। देश सेवा में भी राजस्थान का योगदान किसी से कम नहीं है। सबसे अधिक इनकम टैक्स देनेवाला यह समाज स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, धर्मशालाओं ओर प्याऊ बनवाने में आगे है। राजस्थान के एक-एक गांव में वीरता का इतिहास है। मुगलों के आतंक को चुनौती देनेवाले से लेकर देश के बाहर के शत्रुओं को सीमा पर ही रोकने वाला राजस्थान ही है।
पुरोहित ने कहा कि महाराष्ट्र में यह संगम अनूठा है। जिन मुगलों के आतंक को राजस्थान में महाराणा प्रताप ने चुनौती दी, उन्हीं मुगलों का महाराष्ट्र में शिवाजी की तलवार ने अंत कर दिया। इतना सब होने के बावजूद प्रवासी राजस्थानी जहां हर क्षेेत्र में बढ़ रहे हैं, वहीं दुर्भाग्य से दूरियां भी बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि जातीय जहर राजस्थानी समाज को कमजोर कर रहा है, जिससे उबरना होगा। भले ही समाज के विभिन्न संगठन हों, पर 36 कौम की एकता को मजबूत करना जरूरी है।