आरटीई प्रवेश का पहला राउंड आठ अप्रेल को हुआ था। इसमें राज्य के 67 हजार 706 और मुंबई से तीन हजार 532 उम्मीदवारों का चयन किया गया था। विद्यार्थियों की ओर से मिल रहे कम प्रतिसाद के चलते बार-बार समय सीमा बढऩे के बावजूद केवल 46 हजार 842 छात्रों ने अपना प्रवेश निश्चित किया है, जबकि मुंबई से केवल दो हजार 259 बच्चों ने ही प्रवेश लिया है। इसके बाद 15 जून को दूसरे राउंड की लिस्ट प्रकाशित की गई। स्कूल शुरू होते ही कई अभिभावकों को जहां प्रवेश मिला, वहीं ले लिया। इसके चलते दूसरे राउंड की प्रक्र्रिया में अभिभावकों का प्रतिसाद कम देखने को मिला।
दूसरी लिस्ट में राज्य के केवल 20 हजार 212 छात्रों और मुंबई के 887 छात्रों ने प्रवेश लिया। फिर दूसरी लिस्ट के बाद राज्य भर से केवल 67 हजार 54 छात्रों को प्रवेश मिला। हालांकि आरटीई प्रवेश के तहत समाज के वंचित और कमजोर वर्गों तक पहुंच प्रदान करने का इरादा है, लेकिन इस प्रक्रिया में लगातार तकनीकी समस्याओं और सरकारी कुप्रबंधन के कारण हर साल सीटों की संख्या खाली रहती है। वहीं इस साल भी सरकार की अव्यवस्था ने आरटीई प्रवेश प्रक्रिया को प्रभावित किया है और दो चरणों के पूरा होने के बाद 49 हजार 754 सीटें खाली रह गईं। इसलिए अब तीसरे दौर के बारे में अभिभावकों, छात्रों में भ्रम है।
आरटीई प्रवेश नियमों में पात्र छात्रों के प्रवेश के लिए अक्सर माता-पिता को मोबाइल पर जानकारी दी जाती है। जबकि कुछ माता-पिता ने स्कूल और शिक्षा विभाग से समय रहते संपर्क नहीं किया, जिसके चलते कई विद्यार्थी ठहरा दिए गए। वहीं अधिकारियों की मानें तो छात्रों के दस्तावेज में गलतियां थीं, जिसके चलते उन्हें एडमिशन नहीं दिया जा सका।