scriptRTE प्रवेश प्रक्रिया को लेकर भ्रम कायम | Confusion about the RTE admission process | Patrika News

RTE प्रवेश प्रक्रिया को लेकर भ्रम कायम

locationमुंबईPublished: Jul 12, 2019 11:55:05 am

Submitted by:

Rohit Tiwari

राज्य में खाली हैं 49 हजार 754 सीटें
तकनीकी खामियों के चलते मिला कम प्रतिसाद
अभिभावकों को तीसरे राउंड की लिस्ट का इंतजार

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RTE प्रवेश प्रक्रिया को लेकर भ्रम कायम

मुंबई. नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत 25 प्रतिशत आरक्षण के लिए प्रवेश प्रक्रिया के दो चरण पूरे हो गए हैं। हालांकि, राज्य में कुल एक लाख 16 हजार 808 सीटों में से केवल 67 हजार सीटें ही भरी हैं, जबकि 49 हजार 754 सीटें खाली हैं। वहीं अब तीसरे राउंड में आरटीई आयोजित होगा भी या नहीं, इसे लेकर अभिभावकों और छात्रों में भ्रम है। लगातार तकनीकी खामियों के चलते आरटीई की प्रक्रिया में देरी हुई, जिसके चलते अभिभावकों को इन प्रवेशों से दूर हटने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
जहां मिला प्रवेश, ले लिया
आरटीई प्रवेश का पहला राउंड आठ अप्रेल को हुआ था। इसमें राज्य के 67 हजार 706 और मुंबई से तीन हजार 532 उम्मीदवारों का चयन किया गया था। विद्यार्थियों की ओर से मिल रहे कम प्रतिसाद के चलते बार-बार समय सीमा बढऩे के बावजूद केवल 46 हजार 842 छात्रों ने अपना प्रवेश निश्चित किया है, जबकि मुंबई से केवल दो हजार 259 बच्चों ने ही प्रवेश लिया है। इसके बाद 15 जून को दूसरे राउंड की लिस्ट प्रकाशित की गई। स्कूल शुरू होते ही कई अभिभावकों को जहां प्रवेश मिला, वहीं ले लिया। इसके चलते दूसरे राउंड की प्रक्र्रिया में अभिभावकों का प्रतिसाद कम देखने को मिला।
तीसरे राउंड का इंतजार
दूसरी लिस्ट में राज्य के केवल 20 हजार 212 छात्रों और मुंबई के 887 छात्रों ने प्रवेश लिया। फिर दूसरी लिस्ट के बाद राज्य भर से केवल 67 हजार 54 छात्रों को प्रवेश मिला। हालांकि आरटीई प्रवेश के तहत समाज के वंचित और कमजोर वर्गों तक पहुंच प्रदान करने का इरादा है, लेकिन इस प्रक्रिया में लगातार तकनीकी समस्याओं और सरकारी कुप्रबंधन के कारण हर साल सीटों की संख्या खाली रहती है। वहीं इस साल भी सरकार की अव्यवस्था ने आरटीई प्रवेश प्रक्रिया को प्रभावित किया है और दो चरणों के पूरा होने के बाद 49 हजार 754 सीटें खाली रह गईं। इसलिए अब तीसरे दौर के बारे में अभिभावकों, छात्रों में भ्रम है।
इसलिए अयोग्य ठहराए गए छात्र
आरटीई प्रवेश नियमों में पात्र छात्रों के प्रवेश के लिए अक्सर माता-पिता को मोबाइल पर जानकारी दी जाती है। जबकि कुछ माता-पिता ने स्कूल और शिक्षा विभाग से समय रहते संपर्क नहीं किया, जिसके चलते कई विद्यार्थी ठहरा दिए गए। वहीं अधिकारियों की मानें तो छात्रों के दस्तावेज में गलतियां थीं, जिसके चलते उन्हें एडमिशन नहीं दिया जा सका।
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