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वायरस ने रोक दी वीजा प्रक्रिया…
पूरी तटीय सड़क परियोजना में 9.5 किलोमीटर लंबी सुरंग होगी। यह सुरंग मुंबई के पश्चिमी इलाके से गिरगांव चौपाटी और मालाबार हिल के बीच होगी। इसके लिए आवश्यक टनल की बोरिंग मशीन शंघाई से अब अप्रैल तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके अलावा चीन के 25 विशेषज्ञों की टीबीएम मशीन असेंबल करने को लेकर मुंबई आने की उम्मीद है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण अब उनके लिए वीजा प्रक्रिया को पूरा करना और मुंबई पहुंचना मुश्किल सा हो गया है।
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13 हजार 141 करोड़ को लागत…
मुंबई महानगर निगम के अनुसार, इस परियोजना के तहत टीबीएम मशीनों के संयोजन और टीबीएम मशीन को सौंपने के लिए आवश्यक कार्य में करीब दो महीने लगेंगे। अब महानगरपालिका भी विदेश मंत्रालय के साथ संपर्क कर इस मामले का हल खोजने की कोशिश कर रहा है। वहीं कुल 13 हजार 141 करोड़ रुपए कोस्टल पर खर्च होने वाले हैं।
अब मुंबई में शुरू होगा कोस्टल रोड का काम
हर तरह को कोशिश में जुटी महानगरपालिका…
वर्तमान में भारत में टीबीएम मशीनों के आयात की कोई समस्या नहीं है। अगर चीन में रसद सेवाओं में देरी होगी तो टीबीएम के आने में देरी हो सकती है, लेकिन टीबीएम के साथ मैन पॉवर और विशेषज्ञों को वीजा नहीं मिल पा रहा है, जो एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। समस्या यह है कि उन्हें फिलहाल वीजा नहीं मिलता है। टीबीएम वुहान से 1600 किमी दूर से आना है, जबकि मौजूदा समय में महानगरपालिका हर तरह से इस समस्या को दूर करने की कोशिश करने में जुटी है।
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2023 तक होगी समय सीमा…
कोस्टल रोड के लिए 2023 तक समय सीमा होगी, जिसकी घोषणा महानगरपालिका पहले ही कर चुकी है कि परियोजना को 3 बजे तक स्थगित कर दिया जाएगा। वहीं अब टीबीएम देरी से आ रही है, इसलिए परियोजना के सामने आने वाली समस्याएं बढ़ेंगी। टीबीएम की मदद से 12.19 मीटर चौड़ाई की सुरंग खोदी जाएगी। साथ ही 3.4 किलोमीटर लंबाई की दो समानांतर सुरंगों की खुदाई की जाएगी।